देश में अधिक समय तक राज करने वालों ने ‘बांटों और राज करो’ का रास्ता अपनाया : नकवी
नई दिल्ली, 03 अक्टूबर। केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि ‘कम्युनल टिफिन’ में ‘सेक्युलर टमाटर’ के सियासी सिलसिले ने संविधान और समाज के साथ छल किया है और देश में अधिकांश समय तक सत्ता सुख भोगने
वाले राजनीतिक दलों ने धर्मनिरपेक्षता को संवैधानिक संकल्प नहीं बल्कि सियासी सुविधा का साधन बना कर ‘बांटों और राज करो’ का रास्ता अपनाया। श्री नकवी ने भारतीय बौद्ध संघ द्वारा रविवार को आयोजित ‘सामाजिक समरसता एवं महिला सशक्तिकरण महासम्मेलन’ एवं ‘पंडित दीनदयाल स्मृति सम्मान’ कार्यक्रम में कहा कि देश में अधिकांश समय तक सत्ता सुख
भोगने वाले राजनीतिक दलों ने धर्मनिरपेक्षता को संवैधानिक संकल्प नहीं बल्कि सियासी सुविधा का साधन बना कर ‘बांटों और राज करो’ का रास्ता अपनाया।उन्होंने ने कहा कि ऐसी तमाम साजिशों के बावजूद हमारी संस्कृति-संस्कार-संविधान ने ‘अनेकता में एकता’ की डोर को कमजोर नहीं होने दिया। समावेशी विकास के रास्ते में बाधाएँ आई भी तो हमारी इसी ताकत ने देश को रुकने नहीं दिया।
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श्री नकवी ने कहा कि हम आज आज़ादी की 75वीं वर्षगांठ मना रहे हैं। हमें आज़ादी के जश्न के साथ बंटवारे के ज़ख़्म को भी याद रखना होगा। हमें यह याद रखना होगा कि बंटवारे की विभीषिका के कौन ज़िम्मेदार थे जिन्होंने हिंदुस्तान के हितों को अपनी स्वार्थी सियासत की बलि चढ़ाने की साजिश की थी। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भगवान गौतम बुद्ध का आध्यात्मिक
मानवतावाद एवं कर्म प्रधान जीवन का सार्थक सन्देश आज भी मानवता के लिए सशक्त सबक है। संसार की विरोधाभासी प्रकृति के बीच आध्यात्मिक आत्मबल हमें आत्मिक शांति और शक्ति की राह दिखाता रहा है। उन्हाेंने कहा कि जिस आत्मबल से भरपूर समावेशी समाज की शिक्षा भगवान बुद्ध ने दी वह मानवता के लिए कोरोना काल में सबसे सार्थक और सटीक संकल्प
साबित हुआ है। उनके उपदेश अधिकतर सामाजिक-सांस्कृतिक समस्याओं के समाधान से सम्बंधित थे, सैंकड़ों वर्ष पहले कही उनकी बाते आज भी प्रासंगिक हैं। श्री नकवी ने कहा कि सैंकड़ों भाषाएँ, विभिन्न धार्मिक आस्थाओं, अलग-अलग रहन-सहन, खान-पान, वेश-भूषा के बावजूद हम एक सूत्र में बंधे हैं तो उसका सीधा श्रेय सदियों पुराने भारतीय संस्कार, संस्कृति एवं मजबूत संवैधानिक मूल्यों को जाता है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने पिछले सात वर्षों में संवैधानिक मूल्यों के सशक्त संकल्प के
साथ समावेशी विकास के लिए काम किया है जिसका नतीजा है कि समाज के सभी तबकों के साथ अल्पसंख्यक समुदाय भी ‘सम्मान के साथ सशक्तिकरण’ के बराबर के हिस्सेदार-भागीदार बनें हैं। श्री नकवी ने कहा ‘भारतीय बौद्ध संघ’ जैसी संस्थाएं, समाज के विभिन्न वर्गों के बीच सौहार्द कायम रखने, राष्ट्रीय एकता के विचार को और मजबूत करने की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। इस अवसर पर शिक्षा, सामाजिक, सांस्कृतिक, स्वास्थ्य आदि क्षेत्रों के प्रमुख लोग उपस्थित रहे।
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