भागलपुर में गंगा हो रही मैली, नगर निगम नदी किनारे कूड़ा कर रहा डंप
भागलपुर, 05 अक्टूबर। मोदी सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट नमामि गंगे को भागलपुर नगर निगम पलीता लगाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा है। नगर निगम शहर से निकलने वाला कूड़ा-कचरा को नदी में गिरा रहा है। मुसहरी गंगा घाट पर कूड़ा का टीला बन गया है। एनजीटी के निर्देश पर प्रतिमा विसर्जन के लिए मुसहरी घाट पर बनाए गए कृत्रिम तालाब के समीप भी निगम कूड़ा गिरा कर नदी को दूषित कर रहा है। कूड़ा गंगा की धार में प्रवाहित हो रहा है, जिससे गंगा में गंदगी फैल रही है। नदी किनारे गिराया गया कूड़ा बारिश और जलस्तर बढ़ने पर नदी में मिल रहा है।
उल्लेखनीय है कि 1990 तक गंगा शहर के किनारे बहती थी। 2001 में विक्रमशिला सेतु का उद्घाटन हुआ था। तब तक नवगछिया की तरफ से यात्रियों को लेकर नाव आती थी। नाव शहर के किनारे घाटों तक पहुंचती थे। कूड़ा का दुष्प्रभाव यह हुआ की गंगा नदी में धीरे धीरे गाद की मात्रा बढ़ती गई। आज कल यह है कि गंगा नदी नवगछिया की तरफ लगभग ढाई किलोमीटर दूर चली गई है। प्रदूषण के कारण गंगा पानी बरारी पुल घाट पर स्नान करने लायक नहीं रह गया है। पानी में आर्सेनिक की मात्रा 10-50 पीपीबी (पार्ट पर बिलियन) से अधिक पाई जा रही है। किसी-किसी इलाके में 400 पीपीबी तक आर्सेनिक पाया जा रहा है। इसका खुलासा जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया ने किया है। प्राथमिक जांच रिपोर्ट में पाया गया है कि भागलपुर जिले के गंगा तटीय इलाके राजपुर इंग्लिश, शंकरपुर, मिर्जापुर, घोषपुर और सुल्तानगंज में पानी में आर्सेनिक की मात्रा 25-100 पीपीबी तक पाई गई है। यह पानी पूरी तरह से दूषित है। जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया भागलपुर के पानी की शुद्धता की जांच कर रही है। इसके तहत भागलपुर जिले के गंगा के तटीय और ऊपरी इलाके के पानी का 450 सैंपल लिया गया। यह सैंपल सरकारी चापाकल, नल जल योजना और निजी बोरिंग से लिया गया है। इसमें तटीय इलाके के 25 फीसदी सैंपलों में आर्सेनिक पाया गया। 2022 तक भागलपुर जिले के 900 स्क्वायर किलोमीटर एरिया तक पानी की जांच होगी। इसमें 460 स्क्वायर किलोमीटर तक सैंपल लिया जा चुका है। केंद्रीय लैब में इसकी जांच चल रही है, जिसकी रिपोर्ट 2022 के सितंबर में आएगी। इस जांच में पता चल जाएगा कि पानी में आर्सेनिक की मात्रा कहां कितनी है।
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भारतीय वन्यजीव संस्थान स्पेयरहेड के गंगा प्रहरी दीपक कुमार ने बताया कि दुर्भाग्यपूर्ण बात है कि नगर निगम का सारा कचरा गंगा में प्रभावित किया जा रहा है। नाला का पानी और सूखा कचरा गंगा में जा रहा है। गंगा किनारे कूड़ा डंप किया जा रहा है जो बढ़ते जलस्तर के कारण गंगा में मिल जाता है। गंगा की सहायक नदी चंपा में कचरा डाला जाता है जो गंगा में आकर मिल जाता है। शहर के दक्षिणी और उत्तरी क्षेत्र का गंदा पानी सीधे गंगा में बह रहा है। उन्होंने बताया कि भागलपुर में गंदे पानी के ट्रीटमेंट का प्लांट 20 साल पहले लगा था। वह प्लांट अब बंद पड़ा है। ट्रीटमेंट प्लांट के लिए हथिया नाला बना था। हथिया नाला भी बेकार पड़ा है। नाला का पानी सीधे गंगा में जा रहा है। जब तक भागलपुर में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट नहीं बनेगा तब तक गंगा में सीधे गंदा पानी जाता रहेगा। निगम जब तक कूड़ा डंप करना बंद नहीं करेगा, गंगा दूषित होने से नहीं बच सकती। उन्होंने कहा कि गंगा में खास इको सिस्टम विकसित है। यही वजह है कि हर 2 किलोमीटर में गंगा अपने पानी को स्वच्छ करती है। विदेशी पक्षियों की डेढ़ सौ से 200 प्रजातियां गंगा के आसपास भ्रमण पर आती हैं जो आकर्षक का केंद्र होता है। अभी भी गंगा में डॉल्फिन अठखेलियां करते दिखाई दे रही है। कछुए की कई प्रजातियां भी हैं। सुल्तानगंज से बटेश्वर स्थान तक विक्रमशिला गांगेय डॉल्फिन सेंचुरी घोषित है। इसलिए गंगा में गंदा पानी प्रभावित नहीं करना चाहिए।
जिलाधिकारी सुब्रत कुमार सेन ने कहा गंगा को स्वच्छ बनाए रखने के लिए नमामि गंगे परियोजना के तहत भारत सरकार ने गंगा के आसपास सभी शहरों के लिए स्वच्छ गंगा के तहत योजना चलाई है। जो शहर गंगा के किनारे बसे हैं वहां एसटीपी का निर्माण किया जा रहा है। नवगछिया, कहलगांव और सुल्तानगंज में एसटीपी और ड्रेनेज सिस्टम का निर्माण अंतिम चरण में है। भागलपुर को लेकर भी टेंडर हो गया है, जल्द ही टेंडर फाइनल होने के बाद एजेंसी का चयन होगा और निर्माण कार्य शुरू होगा। एसटीपी का निर्माण जब शहर में हो जाएगा तो सारे नाले को जोड़कर बड़े नाला का निर्माण होगा। इससे गंदे पानी को ट्रीटमेंट प्लांट लाया जाएगा और फिर वहां पर पानी को स्वच्छ कर गंगा में प्रभावित किया जाएगा। गंगा को स्वच्छ रखने के लिए सारे प्रयास भारत सरकार के स्तर से किए जा रहे हैं। बहुत जल्द ही काम पूरा हो जाएगा। नगर निगम के प्रभारी नगर आयुक्त प्रफुल्ल चंद्र यादव ने कहा कि गंगा किनारे अगर कूड़ा गिराया गया है तो उसका उठाव होगा।
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