पश्चिम बंगाल के ‘मतुवा’ हिंदुओं को मिलेगी भारत की नागरिकता…

पश्चिम बंगाल के ‘मतुवा’ हिंदुओं को मिलेगी भारत की नागरिकता…

यूपी के पूर्व डीजीपी/भाजपा सांसद बृजलाल 👆

    बृजलाल व अन्य सांसदों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से शुक्रवार को की शिष्टाचार भेंट 👆          

भाजपा सांसद बृजलाल ने बताया इसे ऐतिहासिक कदम, कहा- ये मोदी सरकार में ही संभव है…

लखनऊ/नई दिल्ली। गृह मंत्री अमित शाह द्वारा पश्चिम बंगाल के ‘मतुवा’ हिंदुओं को ‘नागरिकता संशोधन अधिनियम’ के तहत भारत की नागरिकता देने का ऐलान किए जाने का राज्यसभा सदस्य बृजलाल ने ऐतिहासिक कदम बताते हुए कहा है कि मतुवा भी पूर्वी पाकिस्तान (बंगलादेश) से ‘नमों शूद्र’ हिंदुओं की तरह पलायित होकर आये थे। देश के बँटवारे के समय बाबा साहब भीम राव आम्बेडकर ने बंगाल के प्रख्यात दलित नेता जोगेंद्र नाथ मंडल को सलाह दी थी, कि वे पाकिस्तान से हिंदुओं जिसमें अधिकतर दलित और पिछड़े थे, को लेकर भारत आ जाएं क्योंकि इस्लामिक देश में हिंदू सुरक्षित नहीं रह पाएँगे।
जोगेंद्र बाबू ने उनकी सलाह नहीं मानी और कहा कि पूर्वी पाकिस्तान में दलितों- पिछड़ों की स्थिति वहाँ के मुसलमानों जैसी ही है। वे सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक रूप से उन्ही की भाँति पिछड़े हैं। नये इस्लामिक देश में मुसलमानों की तरह उनका भी सम्पूर्ण विकास होगा। जोगेंद्र बाबू ने जिन्ना के ’Direct Action’ 16 अगस्त 1946 से भी सबक नहीं लिया, जिसमें कोलकाता सहित नोवाखाली में हुए साम्प्रदायिक दंगों में हजारों लोग मारे गये थे। जिन्ना ने जोगेंद्रनाथ मंडल को पाकिस्तान का कानून मंत्री और ‘पाकिस्तान संविधान मसौदा’ समिति का अध्यक्ष बनाया। देश के बँटवारे के बाद हिंदुओं का कत्लेआम हुआ और जोगेंद्रनाथ मंडल लाख प्रयास के बाद भी कुछ नहीं कर पाये, उनके पूर्वी पाकिस्तान में 1950 तक लगभग 50,000 हिंदू मारे गये, महिलाओं से बलात्कार हुआ।
जोगेंद्र बाबू का ’दलित -मुस्लिम’ गठजोड़ का भ्रम टूट गया और वे दलितों को पाकिस्तानी भेड़ियों के रहमों-करम पर छोड़कर 8-10-1950 को भारत भाग आये और गुमनामी में 5-10-1968 को उनका देहांत हुआ। दूरदर्शी और राष्ट्रवादी बाबा साहब की सलाह न मानना दलित हिंदुओं के साथ उनको भी बहुत भारी पड़ा। बची- खुची कसर 1971 बंगलादेश मुक्ति-संग्राम में निकल गयी, जिसमें भी लाखों अल्पसंख्यक हिंदुओं की हत्याएँ हुईं और बाकियों को जबरदस्ती धर्म परिवर्तन कराया गया।
मंडल जी के 1950 में भारत भाग आने पर पूर्वी पाकिस्तान के हिंदुओं में भगदड़ मच गयी और वे लाखों की संख्या में भारत भाग आए। उन्हे बंगाल, असम, बिहार और यूपी में बसाया गया। नागरिकता न होने के कारण वे देश के विकास के लाभ से वंचित रहे। ‘मतुवा हिंदू’ पश्चिमी बंगाल के नादिया, उत्तर और दक्षिण परगना में भारी संख्या में पाये जाते है। इसी प्रकार नमोंशूद्र भी बंगाल में भारी संख्या में हैं। पूर्ववर्ती कांग्रेस, वामपंथी और त्रिमूण पार्टी की ममता बनर्जी ने इन गरीब दलितों के तरफ से मुँह मोड़ लिया। केवल सब्जबाग दिखाकर वोट- बैंक के रूप में इस्तेमाल किया।
अब मतुवा और नमोंशूद्र जाग गये हैं, इन्हे भारत की नागरिकता देकर देश की मुख्यधारा में लाकर विकसित किया जायेगा। जोगेंद्र बाबू का ‘दलित – मुस्लिम’ गठजोड़ का खामियाजा इन दलितों की पीढ़ियां भोग रहीं थीं, जिसका निदान देश की भाजपा सरकार निकालने जा रही है। भाजपा सांसद बृजलाल ने इसकी सराहना करते हुए कहा है कि यह देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भाजपा सरकार में ही सम्भव है। (13 फरवरी 2021)

विशेष संवाददाता विजय आनंद वर्मा की रिपोर्ट, , ,