प्रेरक प्रसंग: बात के पक्के लोहिया जी…

प्रेरक प्रसंग: बात के पक्के लोहिया जी…

 

बात उन दिनों की है, जब राममनोहर लोहिया बर्लिन में थे। वह अपने वचन के पक्के थे। जो एक बार कह देते, उस पर टिके रहते थे। एक रात वह अपने एक मित्र के साथ कार में घूमने निकले। लोहिया जी तेजी से गाड़ी चला रहे थे। सामने सड़क पर एक किसान बिना लाइट की मोटरगाड़ी में सब्जियां रखकर ला रहा था।

लोहिया जी की गाड़ी किसान की गाड़ी से टकरा गई। किसान अपनी सब्जियों समेत सड़क पर जा गिरा। उसे चोट लगी और सिर से खून निकलने लगा। उसने लोहिया जी को भला-बुरा कहना शुरू कर दिया।

वह बोला, तुम यहां से भागना नहीं, मैं अभी पुलिस बुलाकर लाता हूं।

बहुत समझाने के बाद भी जब वह नहीं माना तो लोहिया जी बोले, ठीक है, आप पुलिस को बुला लाइए, मैं वचन देता हूं कि आप का यहीं पर इंतजार करूंगा।

किसान पुलिस को बुलाने चला गया। उसके जाते ही लोहिया जी का मित्र बोला, मुसीबत टल गई है, अब यहां से भाग चलो।

पर लोहिया जी नहीं माने। मित्र के बहुत समझाने के बाद भी वह टस से मस नहीं हुए। थोड़ी देर बाद किसान पुलिस को भला-बुरा कहते हुए लौट आया क्योंकि पुलिस ने उसके साथ आने से मना कर दिया था।

लोहिया जी को वहीं खड़ा पाकर वह आश्चर्यचकित रह गया और बोला, मैं तो सोच रहा था कि अब तक तुम भाग चुके होगे।

लोहिया जी ने कहा, मैंने वचन दिया था कि आपके लौटने से पहले यहां से नहीं जाऊंगा तो मैं भाग कैसे सकता था?

किसान लोहिया जी से बेहद प्रभावित हुआ और चुपचाप चला गया।

हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट …