दिल चुरा लेगा दिलकश दार्जिलिंग…
दिल ये मेरा बस में नहींबर्फ़ी फिल्म का यह गाना तो आपने जरूर देखा होगा और फिर ये भी हो सकता है कि गाने के साथ ही आपने उस गाने की लोकेशन को भी उतना ही सराहा हो। जी हां, आपको शायद अब तक पता चल ही गया होगा की हम यहां बात कर रहे हैं खूबसूरत शहर दार्जीलिंग की। दार्जीलिंग के सुंदर और मनोरम प्राकृतिक वातावरण का जादू ही कुछ ऐसा है की पर्यटक तो क्या बॉलीवुड फिल्म मेकर्स भी यहां खींचे चले आते हैं। पूर्वी भारत के पश्चिम बंगाल में स्थित यह शहर जन्नत से कम नहीं है। दार्जीलिंग में सूर्योदय और सूर्यास्त का दृश्य पर्यटकों को खूब भाता है। सैलानी इसे अपलक निहारने का लोभ नहीं नहीं छोड़ पाते हैं।
मनोहर दार्जीलिंग:- दार्जीलिंग पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी से लगभग 80 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां की औसत ऊंचाई 2,134 मीटर (6,982 फुट) है। गर्मी के इस मौसम में तो पहाडों की चोटी पर विराजमान दार्जीलिंग का एहसास सैलानियों को एक ठंडा और सुखद अनुभूति देने के लिए काफी है। दार्जीलिंग का तो मतलब ही होता हैं ठंडी जगह, जो इस शहर के वातावरण का चित्र बकायदे पेश करता है। दार्जीलिंग घूमने का सबसे बेहतर समय है गर्मी। यहां लोगों को गर्मी से राहत तो मिलती ही है, लोग इस मौसम में चाय की पत्तियों को भी टूटते हुए देख सकते हैं। इसीलिए तो दार्जीलिंग को अंग्रेजो के शासन काल से ही हिल स्टेशन का दर्जा मिला है।
टाइगर हिल्स और कंचनजंघा पर्वत:- दार्जीलिंग के टाइगर हिल पर चढ़ाई करने का आनंद ही कुछ और है। और टाइगर हिल के समीप ही है कंचनजंघा चोटी, जिसे पहले विश्व की सबसे बड़ी छोटी मन जाता था। टाइगर हिल से कंजनजंघा तथा माउंट एवरेस्ट, इन दोनों ही चाटियों को देखना सच में एक रोमांचक अनुभव होगा। ऐसे ही थोड़ी न कंचनजंघा को सबसे रोमांटिक पर्वत माना जाता है। कंजनजंघा की सुंदरता तो ऐसी ही की जो इसे एक बार देखे तो यह उसके मन रच-बस ही जाये। तभी तो इस चोटी की सुंदरता ने कवियों और फिल्मकारों का भी ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया है।
तीस्ता नदी:- दार्जीलिंग से गैंगटोक जाते हुए घाटियों के बीच बहते तिस्ता नदी की खूबसूरती को निहारा जा सकता है।जी हां, मौज-मस्ती और सुकून की खोज में आए लोगों को तिस्ता नदी के दृश्य बहुत ही भाते हैं और वो इसे अपने कैमरे में कैद किए बिना नहीं रह पाते। तीस्ता नदी दार्जीलिंग के लोगों के लिए बहुत उपयोगी है और इससे पर्यटन में भी बढ़ावा मिलता है।
चाय के खेत:- क्या आपको भी दार्जिलिंग का नाम लेते ही वहां के सुंदर हरे भरे चाय के बागान और टोकरियों में चाय की पत्तियां चुनती खूबसूरत औरतें नजर आती हैं? दार्जीलिंग पहाड़ी ढलानों पर उगाई जाने वाली चाय के लिए प्रसिद्ध है। समझा जाता है कि दार्जीलिंग में चाय खेती 19वीं सदी के उत्तरार्द्ध से शुरू हुई थी। दार्जीलिंग को चाय की खेती के लिए उपयुक्त माना जाता है क्योंकि यहां की उपजाऊ मिट्टी और हिमालयी हवा के कारण यहां चाय की उन्नत किस्मे पैदा की जा सकती हैं। क्या आपको पता है? एक जमाने में दार्जीलिंग पूरे दक्षिण पूर्व एशिया में मसालों के लिए प्रसिद्ध था। लेकिन आज इस शहर की प्रसिद्धि चाय बागानों से है। इन चाय के बागानों को दूर से देखने से ये हरे मखमली कालीन से प्रतीत होते हैं।
चाय के बागान:- दार्जिलिंग में इसके अलावा जो देखने लायक जगह है वो हैं, हिमालयन जैविक उद्यान। यह उद्यान माउंटेंनिग संस्थान के पास ही स्थित है, जो बर्फीले प्रदेश में रहने वाले तेंदुओं और लाल पांडा के प्रजनन कार्यक्रम के लिए प्रसिद्ध है। और भला हम यहां की टॉय ट्रेन को कैसे भूल सकते हैं जिसमे बैठ कर बॉलीवुड के कई हीरो और हेरोइन्स ने रोमांटिक गाने गए हैं। टॉय ट्रेन से दार्जिलिंग के चारों ओर के प्राकृतिक वातावरण का नजारा लेना बहुत ही सुहाना लगता है। यहां पर प्रसिद्ध निप्पोजन मायोजी बौद्ध मंदिर भी है जहां से पूरे दार्जीलिंग और कंचनजंघा श्रेणी का मनोरम दृश्य नजर आता है।
अब भला दार्जिलिंग के बारे में इतना कुछ खूबसूरत जानने के बाद आप भी कहां खुद को रोक पाएंगे। तो अभी मेकमायट्रिप की मदद से बुक करें होटल और फ्लाइट और निकल पड़ें सुहाने सफ़र की ओर।
हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट …