बचपन बचाओ आन्दोलन को संवेदनशील बनाने हेतु संगोष्ठी का आयोजन…

बचपन बचाओ आन्दोलन को संवेदनशील बनाने हेतु संगोष्ठी का आयोजन…

रायबरेली 24 नवम्बर। उ0प्र0 राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, लखनऊ के निर्देशानुसार व जिला एवं सत्र न्यायाधीश/अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण अब्दुल शाहिद के दिशा-निर्देशन व नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी की संस्था बचपन बचाओ आन्दोलन के संयुक्त तत्वाधान में जनपद के समस्त थानों के पुलिस अधिकारियों हेतु रिजर्व पुलिस लाइन में विशेष किशोर पुलिस इकाई, बाल कल्याण अधिकारी एवं मानव तस्करी निरोध इकाई के सदस्यों के साथ संगोष्ठी का आयोजन किया गया। आयोजित संगोष्ठी की अध्यक्षता विजय पाल, विशेष न्यायाधीश, पाक्सो-प्रथम रायबरेली द्वारा की गयी संगोष्ठी में अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम पूजा गुप्ता, मयंक जायसवाल, सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, सूर्य प्रताप मिश्रा, राज्य समन्वयक बचपन बचाओ आन्दोलन एएचटीयू एवं समस्त थानों के सम्बन्धित पुलिस अधिकारी व पराविधिक स्वयं सेवक उपस्थित रहे।
कोरोना महामारी के समय सोशल डिस्टेंसिग का पालन करते हुए कार्यक्रम का शुभारम्भ करते हुए अपने सम्बोधन में कहा कि बच्चों के मुद्दे पर सभी को अतिसंवेदनशील होकर काम करना चाहिए। पाक्सो के सम्बन्ध में बृहद रुप में जानकारी देते हुए विशेष न्यायाधीश द्वारा धारा 7, 8, 9 पर विशेष ध्यान देने हेतु सम्बन्धित उपस्थित पुलिस अधिकारियों को निर्देशित किया गया। पाक्सो संशोधन अधिनियम 2019 के बारे में बताया गया जिसमें यदि किसी बालक को कोई व्यक्ति मादक पदार्थ/सायनिक पदार्थ देता है पिलाता है तो वह भी इसमें दोषी होगा। पाक्सो के अन्तर्गत जितने भी अपराध है वह संज्ञेय अजमानती है जबकि सेक्शन 21 व सेक्शन 22 अंसज्ञेय और जमानती है। 3 वर्ष से कम कारावास की सजा अंसज्ञेय जमानती है। अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम पूजा गुप्ता द्वारा वन स्टाप सेन्टर, बाल कल्याण पुलिस अधिकारी व स्पेशल जुवेनाइल पुलिस यूनिट के सबंध में विस्तार पूर्वक जानकारी साझा की गयी। सूर्य प्रताप मिश्रा, राज्य समन्वयक. बचपन बचाओ आन्दोलन ने गुमशुदा बच्चों के बाबत जमीनी हकीकत से अवगत कराते हुए बताया कि गुमशुदा बच्चों का मुख्य रुप से इस्तेमाल मानव तस्करी में भीक्षावृत्ति देहव्यापार, बंधुवा बालश्रम में किया जाता है। इस बात पर ज्यादा जोर दिया गया कि मानव तस्करी का उन्मूलन पुलिस अधिकारियों व आमजन की जागरुकता से ही सम्भव है। मयंक जायसवाल, सचिव-जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा अपने वक्तव्य में जागरुकता को ही मुख्य हथियार बताया गया और यही कारण है कि पुलिस अधिकारियों को संवेदनशील बनाने हेतु इस विषय पर संगोष्ठी का आयोजन करने की आवश्यकता हुई। यह भी बताया गया कि गुमशुदा बच्चों के प्रकरण को बहुत ही गम्भीरता से लेते हुए बताया गया कि इस मुद्दे को अतिसंवेदनशील व धैर्यवान होकर देखने की जरुरत है। बाल तस्करी के रोकथाम के लिए एएचटीयू को बस व रेलवे स्टेशनों पर सक्रियता से गश्त कर तस्करी रोकने का प्रयत्न करना चाहिए। इस संगोष्ठी में पुलिस अधिकारियों द्वारा भी सक्रियता से प्रतिभाग करते हुए सवाल किये गये जिसका कि सम्मानित न्यायाधीशगण द्वारा जवाब देते हुए समस्या का निराकरण करने के उपाय बताये गये। इस अवसर क्षेत्राधिकारी डलमऊ अशोक कुमार सिंह नोडल एएचटीयू/एसजेपीयू वेद पाल सिंह मुख्य अभियोजन अधिकारी पाक्सो कोर्ट उपस्थित रहे।

हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट…