*देश के गरीब, किसान, मध्यम वर्ग, महिलाओं और युवाओं के साथ विश्वासघात थी नोटबंदी…..*
*मोदी सरकार द्वारा की गयी नोटबन्दी संगठित और वैधानिक लूट थी- प्रमोद तिवारी*
*”नोटबन्दी ने प्रधानमंत्री मोदी को तानाशाह गद्दाफी, मुसोलनी और हिटलर की कतार में खड़ा कर दिया”*
*लखनऊ।* उ0प्र0 कांग्रेस कमेटी मुख्यालय में आज वरिष्ठ कांग्रेस नेता एवं पूर्व राज्यसभा सांसद प्रमोद तिवारी ने नोटबन्दी की चौथी बरसी पर प्रेसवार्ता को सम्बोधित करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा की गयी नोटबन्दी देश की 125 करोड़ जनता, गरीब, किसान, मध्यम वर्ग, महिलाओं और युवाओं की आकांक्षाओं, इच्छाओं और उनके भविष्य के साथ विश्वासघात थी। यह विश्वासघात था मोदी जी और उनकी सरकार का भारत की जनता के साथ, अर्थव्यवस्था के साथ और भारत की सुरक्षा के साथ।
श्री तिवारी ने कहा कि यह नोटबन्दी एक संगठित और वैधानिक लूट थी, जिससे देश की 125 करोड़ जनता की कमर टूट गयी अर्थव्यवस्था चैपट हो गयी। एक झटके में की गयी नोटबन्दी से प्रधानमंत्री मोदी के कुछ पूंजीपति मित्रों और भाजपा को ही फायदा पहुंचा। उन्होने उस समय राज्यसभा में दिये गये अपने भाषण को उद्धृत करते हुए कहा कि यह देश की जनता के साथ संगठित लूट थी। पूर्व प्रधानमंत्री डा0 मनमोहन सिंह ने इसे वैधानिक लूट करार दिया था। उन्होने मोदी के गोवा के मोपा एयरपोर्ट का शिलान्यास करते हुए दिये गये भाषण का जिक्र करते हुए कहा कि -मोदी जी ने कहा था कि मेरे देशवासियों मुझे 50 दिन दे दो, बेनामी सम्पत्ति, भ्रष्टाचार, कालाधन, आतंकवाद और नक्सलवाद की पूर्ण समाप्ति के लिए नोटबन्दी अतिआवश्यक है आप लोगों को जो पीड़ा और कष्ट इस दौरान झेलना पड़ रहा है, सारी स्थिति इन 50 दिनों में सुधर जाएगी। यदि मेरे अन्दर कोई कमी रह जाए, गलती निकल जाए, कोई मेरा गलत इरादा निकल जाए, यदि हालात न सुधरे तो आप जिस चैराहे पर खड़ा करेंगे, मैं खड़ा होकर देश की जनता की सजा स्वीकार करूंगा।
उन्होने कहा कि आज कांग्रेस पार्टी मोदी जी को याद दिला रही है कि 50 दिन तो छोड़ दीजिए चार साल बीत गये हैं देश की अर्थव्यवस्था रसातल में है, मोदी जी को देश की जनता से नोटबन्दी के लिए माफी मांगनी चाहिए। उन्होने कहा कि नरेन्द्र मोदी ने नोटबन्दी को जरूरी बताते हुए इसे आतंकवाद और नक्सलवाद के खात्मे के लिए बेहद जरूरी राष्ट्रहित का कदम बताया था लेकिन ठीक इसके बाद पुलवामा की घटना होती है जिसमें हमारे देश के चालीस नौजवान शहीद हुए। नोटबन्दी के चार साल बीत जाने के बाद हमारे देश में सबसे ज्यादा शहादत आतंकवादी घटनाओं में हुई हैं।
श्री तिवारी ने कहा कि इस नोटबन्दी की वजह से ही आज देश 47 सालों में सर्वाधिक बेरोजगारी की स्थिति से गुजर रहा है। हमारी जीडीपी रसातल में पहुंच गयी है। नोटबन्दी के चलते हमारी जीडीपी -23.9प्रतिशत (माइनस 23.9 प्रतिशत) पर पहुंच गयी है। देश जीडीपी के एतिहासिक गिरावट में पहुंच चुका है। मजदूरों का पलायन जो कोरोना काल में हुआ है उसकी सबसे बड़ी वजह नोटबन्दी ही है। नोटबन्दी से कई प्रदेशों की अर्थव्यवस्था टूट गयी और प्रवासी श्रमिकों को अत्यधिक दिक्कतों का सामना करना पड़ा। उन्होने कहा कि बढ़ा हुआ आतंकवाद, नक्सलवाद और बेतहाशा मंहगाई, बेरोजगारी अगर बढ़ी है तो इसी संगठित लूट की वजह से बढ़ी है अब मोदी जी आप खुद चैराहा चुनें, समय चुनें और देश की जनता से माफी मांगें।
*”हिंद वतन समाचार” की रिपोर्ट, , ,*