चेहलूम है आज रन में शहनशाहे ज़मन का…
अन्जुमन हैदरया इमामबाड़ा मीर हुसैनी में ज़नजीरों से पुश्तज़नी करती हुई।
प्रयागराज/उत्तर प्रदेश:- करबला के बहत्तर शहीदों के चेहलूम के अवसर पर सड़कों पर कोई जुलूस नहीं निकला।अज़ाखानों व इमामबारगाहों के अन्दर ही ग़मज़दा माहौल में चेहलूम की मजलिस हुई और मातमी अन्जुमनों ने नौहा और मातम का नज़राना पेश करते हुए करबला के बहत्तर शहीदों को नम आँखों से खेराजे अक़िदत पेश किया। रानी मण्डी स्थित इमाम बाड़ा आज़म हुसैन से क़दीमी चेहलूम जुलूस नहीं निकाला गया।मौलाना जव्वाद हैदर की क़यादत में ठीक 12 बजे नमाज़ अदा की गई इमामबाड़े के अन्दर मौलाना जव्वाद हैदर रिज़वी ने मजलिस को खिताब करते हुए करबला के बहत्तर शहीदों का मार्मिक अन्दाज़ में ज़िक्र किया।मजलिस के बाद शबीहे ताबूत इमाम हुसैन व ज़ुलजनाह की शबीह निकाली गई। नौहा और मातम का सिलसिला शुरु हुआ तो एक के बाद एक मातमी दस्तों ने पुरदर्द नौहा ख्वानी ने माहौल को ग़मज़दा बना दिया।सबसे पहले अन्जुमन अब्बासिया के नौहाख्वान डॉ० अबरार, फैज़ जाफरी, सैय्यद हुसैन मेंहदी, सादिक़, अरशद जाफरी आदि ने गमगीन नौहा पढ़ा।उसके फौरन बाद अन्जुमन शब्बीरिया के नौहाख्वान मोहम्मद फैज़, शफक़, ग़दीर हैदर, तारिक़ अब्बास, शाज़ू आदि ने करबला के शहीदों को याद करते हुए नौहा और मातम का नज़राना पेश किया।वहीं दरियाबाद की अन्जुमन हुसैनिया क़दीम के शाह बहादर व हुसैन बहादर की क़यादत में नौहाख्वानी करते हुए हुसैन ए मज़लूम को पुरसा पेश किया। इमामबाड़ा आज़म हुसैन के गेट के बाहर सैनिटाईज़र और मास्क का एक कैम्प लगाया गया था जहाँ से लोगो को सैनिटाईज़्ड करने के उपरान्त ही प्रवेश कराया गया। इमामबाड़ा प्रांगड़ में रखे ताबूत इमाम हुसैन, ग़ाज़ी अब्बास का अलम, ज़ुलजनाह,हज़रत अली अज़ग़र का झूला,आबिदे बीमार का बिस्तर ताज़िया समेत सभी तबर्रुक़ात की ज़ियारत लोगों को कराई गई। वही इमामबाड़ा हाशिम रज़ा आब्दी में में अन्जुमन आबिदया कघ ओर से मजलिसे चेहलूम आयोजित की गई।जिसमे अन्जुमन आबिदया के नौहाख्वान मिर्ज़ा काज़िम अली, वेज़ारत आदि ने नौहा और मातम कर जनाबे सय्यदाह को उनके लाल हुसैन का पुरसा पेश किया। रानी मण्डी बच्चा जी धरमशाला के सामने इमामबाड़ा मीर हुसैनी में अन्जुमन हैदरया की जानिब से मजलिस हुई जिसमे हसन रिज़वी व हमनवा साथियों ने ग़मगीन नौहा और मातम का नज़राना पेश किया। अन्जुमन के सदस्यों ने तेज़ धार की छूरीयों से लैस ज़नजीरों से पुश्तज़नी कर अपने आप को लहुलुहान कर लिया।देर रात सभी तबर्रुक़ात पर चढ़ाए गए फूलों और ताज़िया को करबला ले जा कर नम आँखों से दफ्न किया।इस मौक़े पर मौलाना हसन रज़ा ज़ैदी, मौलाना रज़ी हैदर, ज़ाकिरे अहलेबैत रज़ा अब्बास ज़ैदी, मंज़र कर्रार, नजीब इलाहाबादी, गौहर काज़मी, सैय्यद मोहम्मद अस्करी, शाहिद अब्बास रिज़वी, ज़ामिन हसन, अब्बास ज़ैदी, मसूद आब्दी, रिज़वान जव्वादी, आग़ा मोहम्मद क़ैसर, माहे आलम, शजीह अब्बास, अमन अब्बास समेत सैकड़ों लोग मौजूद रहे।
इमामबाड़ा सलवात अली खाँ दरियाबाद से नहीं निकला चेहलुम का जुलूस
इमामबाड़ा सलवात अली खाँ दरियाबाद से उठने वाला सैकड़ों साल पुराना चेहलुम जुलूस इस बार नहीं निकाला गया।ताहिर मलिक की क़यादत में इमामबाड़े के अन्दर ही सभी रवायती कार्यक्रम हुए। अन्जुमन हाशिमया के सफदर अब्बास व अन्जुमन नक़विया के शबी हसन शारु के नेत्रित्व मे नौहाख्वानों ने नौहा पढ़ा। ताबूत ज़ुलजनाह, अलम, अमारी, ताज़िया आदि पर लोगों ने फूल माला चढ़ा कर पचरसा पेश किया।
पत्रकार इरफान खान की रिपोर्ट…