*मंदिर निर्माण शुरू होते ही अयोध्या में जमीन के दाम तेजी से बढ़े. . . . .*

*मंदिर निर्माण शुरू होते ही अयोध्या में जमीन के दाम तेजी से बढ़े. . . . .*

*कई बड़ी कंपनियां अयोध्या में तलाश रहीं हैं जमीन*

*लोगों में भी है ललक श्रीराम के शहर में बसने की*

*लखनऊ।* अयोध्या में राम जन्मभूमि मंदिर निर्माण की नींव पड़ते ही रामनगरी में बसने का सपना देख रहे लोगों को गहरा झटका लगा है, वहीं अयोध्या में रहने के लिए भी लोगों में कम ललक नहीं है। मंदिर निर्माण के साथ-साथ जिला की विकास योजनाओं की उम्मीद के कारण अब अयोध्या में जमीन की कीमत चार गुना बढ़ चुकी है, फिर भी लाखों खरीददार जमीनों को खरीदने के इंतजार में है। सबसे ज्यादा दाम अयोध्या को जोड़ने वाले बाईपास और मार्गों के किनारे की जमीन के दाम बढ़े हैं। यही नहीं, रजिस्ट्री में भी 20 फीसदी इजाफा हुआ है, इसके बावजूद लोगों में जमीन खरीदने की होड़ है।
हालांकि, लोग बड़े आकार की जमीन की लिखा-पढ़ी करवाने से बच रहे हैं। इसकी वजह है कि अभी यह साफ नहीं है कि प्रदेश सरकार कहां और कितनी जमीन का अधिग्रहण करेगी। अयोध्या के प्रोपर्टी डीलरों की माने, तो 14 कोसी परिक्रमा क्षेत्र में जमीनों के दाम 700 रुपये स्कवायर फुट से बढ़कर 2000-3000 रुपये स्कवायर फुट तक पहुंच गये हैं। डीलर बताते हैं कि एक तरफ सरकार अंतरराष्ट्रीय लेवल का एयरपोर्ट, वातानुकूलित बस स्टेशन, अंतरराष्ट्रीय लेवल पर तैयार हो रहा अयोध्या का रेलवे स्टेशन के साथ कई बड़ी योजनाएं यूपी व केंद्र सरकार ने अयोध्या के लिए प्रस्तावित की है, जिसके कारण हिंदुस्तान ही नहीं बल्कि विदेशों से भी पर्यटक बड़ी संख्या में अयोध्या पहुंचेंगे।
*लोगों को उम्मीद मंदिर बनने के बाद बदलेगी सूरत….*
कई बड़ी कंपनियां अयोध्या में जमीनों की तलाश कर रही हैं। यहां कारण है कि अयोध्या में जमीन की कीमत दिन दुनी रात चौगुनी बढ़ रही है। अयोध्या में सरयू नदी के किनारे की जमीन सबसे महंगी है। अयोध्या के सबसे नजदीक के चार गांव मांझा बरेहटा, सहजनवा, सहजनवा उपरहा व माझा उपरहा पहुंच रहे लोग। ये चारों गांव सरयू नदी के किनारे बसे हैं, लोग अभी से ग्रामीणों को दे रहे प्रलोभन, एडवांस में पैसे देने की भी कर रहें हैं बात।
*राम मंदिर के तीसरे पिलर का निर्माण पूर्ण. . . . .*
उधर रामजन्मभूमि परिसर में निर्माणाधीन राम मंदिर के तीसरे पिलर का निर्माण पूर्ण हो गया है, चौथे पिलर की तैयारी शुरू हो गयी है। इंजीनियरों ने बताया कि चार-चार पिलरों का तीन सेट 180 डिग्री पर निर्धारित दूरी पर बनाया जाना है। पहले सेट के पहले पिलर का निर्माण कुबेर टीले पर स्थित शेषावतार के सौ मीटर की परिधि से बाहर किया गया है, वहीं दूसरे सेट का पहला पिलर जन्मस्थान-सीतारसोई के सामने किया गया जबकि तीसरे पिलर का निर्माण दूसरे सेट के बगल में किया गया है। (24 सितंबर 2020)
*”हिंद वतन समाचार” की रिपोर्ट, , ,*