कुलपति ने क्यों कहा की जल्द ही विश्व को मिल सकता है कोविड-19 का इलाज…
इटावा/उत्तर प्रदेश-: सैफई चिकित्सा विश्वविद्यालय सैफई से अब तक 85 कोरोना संक्रमित मरीज ठीक होकर विश्वविद्यालय द्वारा डिसचार्ज किये जा चुके हैं। वर्तमान में कुल 12 मरीज कोविड-19 अस्पताल में भर्ती है। इन सभी मरीजों का समुचित इलाज प्रशिक्षित मेडिकल टीम द्वारा पूरी तत्परता से किया जा रहा है। यह जानकारी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 डा0 राजकुमार ने दी। उन्होंने यह भी बताया कि विश्वविद्यालय में कोरोना वायरस और कोविड के मरीजों पर लगातार रिसर्च भी किया जा रहा है।
विश्वविद्यालय द्वारा कोविड-19 के मरीजों के इलाज में आयुर्वेदिक दवाओं के परिणाम के लिए एक पायलट स्टडी किया जा रहा है जिसमें की राज निर्वाण बूटी (आरएनबी) जो कि 12 आयुर्वेदिक संघटकों का प्यूरिफाइड समिश्रण है, को कोविड-19 से प्रभावित माडरेट और सीवियर सिम्टम वाले मरीजों में साइन्टिफिक रिसर्च के प्रोटोकाॅलों का अनुपालन करते हुए आजमाया गया जिसके काफी सकारात्मक परिणाम मिले हैं। डा0 राजकुमार ने इस महत्वपूर्ण रिसर्च के बारे में बताया कि शीध्र ही इस महत्वपूर्ण रिसर्च को देश के सामने लाया जायेगा। पूरे विश्व में कोरोना पर अभी किसी प्रकार की दवा इजाद नहीं हुई है। देश में कोविड-19 आने के साथ ही विश्वविद्यालय ने कोराना के सम्बन्ध में रिसर्च करना शुरू कर दिया। इसमें सबसे पहले यह देखा गया कि कोरोना शरीर के किन-किन हिस्सों पर पहले अटैक करता है जिसकी वजह से कोविड मरीज की मृत्यु भी हो सकती है। इसके बाद प्राचीन चिकित्सा की उन दवाओं को छाॅटा गया जो इन सिस्टम के लिए कारगर है। इसके पश्चात् इन प्राचीन दवाओं पर आधुनिक चिकित्सा में हुए शोधों को देखा गया। इस बात का विशेष ध्यान दिया गया कि कोरोना शरीर के किन भागों पर अटैक करता है, और प्राचीन चिकित्सा में कौन सी दवायें हैंै जो इन जगहों को प्रोटेक्ट कर सकती हैं। इस महत्वपूर्ण रिसर्च के लिए विश्वविद्यायल द्वारा विश्व प्रसिद्ध आयुर्वेदाचार्य की मदद भी ली गयी। इसके बाद विश्वविद्यालय के कोविड-19 अस्पताल में भर्ती 103 मरीजों में से 20 मरीजों का चयन किया गया जिनमें कोरोना के अधिकांश लक्षण दिख रहे थे। इसके बाद इथिकल क्लियरेंस लेने के बाद इन 20 मरीजों पर रिसर्च क्लिनिकल ट्रायल डाक्यूमेंट्री प्रूफ के साथ शुरू किया गया। इस आयुर्वेदिक दवा का सकारात्मक परिणाम भी आने लगा। ये सभी 20 मरीज 05 से 07 दिनों में ठीक होने लगे। इस दवा का नाम राज निर्वाण बूटी (आरएनबी) रखा गया जिसकी 125 मिली ग्राम मात्रा 05 मिलीग्राम शहद के साथ दी जाती है। इस ट्रायल को आगे भी 20 अन्य करोना पाॅजिटिव मरीजों पर किया जा रहा है। यदि यह ट्रायल भी सही रहा तो यह माना जायेगा कि भारत ने कोरोना का ट्रीटमेंट खोज लिया है। इस उपलब्धि को विश्वविद्यालय द्वारा अन्तर्राष्ट्रीय जर्नल में भी प्रकाशित करवाया जा रहा है।
ज्ञात हो कि विश्वविद्यालय द्वारा अब तक 85 कोरोना संक्रमित मरीज ठीक होकर डिसचार्ज किये जा चुके हैं। इन सभी मरीजों का एलोपैथिक इलाज के साथ ही सदियों से प्रचलित आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति से भी किया गया। इन सभी मरीजों को राज निर्वाण काढ़ा (आरएनके) भी दिया गया। इस काढ़े के कोरोना मरीजों एवं हेल्थ केयर वर्कस पर सकारात्मक प्रभाव को देखते हुए इसे देशभर में अपनाया गया है।
प्रतिकुलपति डा0 रमाकान्त यादव ने बताया कि अभी विश्वविद्यालय में सभी सुपरस्पेशियलिटी विभागों का मैन पावर एवं इन्फ्रास्ट्रक्चर पूरी तरह से तैयार नहीं है और विश्वविद्यालय की एक पूरी बिल्डिंग को कोविड-19 अस्पताल बनाने से कई विभागों को अन्यत्र वैकल्पिक स्थानों पर शिफ्ट करके कार्य किया जा रहा है। चूॅकि विश्वविद्यालय द्वारा कोविड संक्रमित मरीजों के बेहतरीन इलाज के साथ ही नाॅन-कोविड मरीजों के लिए भी इमर्जेंसी सेवायें 24 घंटे दी जा रही हैं इसीलिए मैनपावर की समस्या उत्पन्न हो गयी है। विश्वविद्यालय की प्राथमिकता है कि कोविड से उबरने के बाद प्राथमिकता के आधार पर सुपरस्पेशियलिटी सेवाओं को शुरू किया जाये। तब तक के लिए मरीजों से अनुरोध है कि जिन अस्पतालों में सभी सुपरस्पेशियलिटी सेवायें पूरी तरह से बहाल हैं वहाॅ बिना समय बर्वाद किये सीधे जाकर दिखायें।
पत्रकार नितेश प्रताप सिंह की रिपोर्ट…