आज का समय बहुत ही कठीन है…
कोरोना वाइरस को पनपने के लिए मानव शरीर चाहिए और यदि मानव शरीर नहीं मिला तो ये खत्म होते जाएंगे…
कुछ पंक्तियां उन भटके हुए नागरिको के लिए हैं
जिनकी वज़ह से कुछ कर्मशील लोगों के प्रयास असफल हो सकते हैं….
इनकी चाल है बस ऐश के लिए
मतलब दिख रहा बस कैश के लिए
चकरा रहें हैं इस देश के दीवाने
कोई नहीं लड़ रहा मेरे देश के लिए
आज का समय बहुत ही कठीन है, देश गंभीर महामारी के संकट मे फ़ंसा हुआ है। मेडिकल टीम व स्वास्थ्य मंत्रालय बस एक ही अनुनय लोगों से किए जा रहे हैं कि ‘कोरोना वाइरस को पनपने के लिए मानव शरीर चाहिए और यदि मानव शरीर नहीं मिला तो ये खत्म होते जाएंगे।’ इसीलिए प्रशासन ने लोक डाउन घोषित किया है। यदि कड़ाई से पालन किया जाए तो हम इस कोरोना पर विजय प्राप्त कर सकते हैं।
हमारे सिस्टम को एक महामारी ही नहीं अपितु कई विपरीत परिस्थितियों का सामना करना पड़ रहा है। कहीं गरीबी रेखा के नीचे के तबके के लोगों को एक समय का भोजन मुहाल नहीं हो रहा है, दीन – दुखियों के शुभचिंतक दिन – रात लोगों की सेवा में लगे हैं वहीं इतने कठोर मन वाले या यू कहे कि वाणिज्य बुद्धि वाले, अर्थकामी छोटे मोटे दुकानदार एक का दस दाम लेकर व्यापार करने मे लगे हैं।यह स्थितियाँ बड़ी दुख दायी है
कहीं लोग महज बोरियत के मारे लोकडाउन की अवहेलना कर घर से बाहर निकल पड़ते हैं। यह बहुत ही निंदनीय स्थिती है, यदि हम हमारे देश के प्रधानमंत्री की बात का सम्मान करते हैं तो उनके आदेश का चुस्त रूप से पालन होना चाहिए। सोचिए यदि चुस्त रूप से देश के प्रत्येक नागरिक ने पालन किया तो पुलिस कर्मियों को जनता की निगरानी नहीं करनी पड़ती। फिर भी हमारे देश की पुलिस कई तरह की सेवाएं प्रदान कर रही है। इतने पर भी उनकी निंदा करने वाले, मज़ाक बनाने वाले संदेश नजरों के सामने आ जाते हैं।
पिछले कुछ सालों में डॉक्टर की छवि खराब हो गई है किन्तु आज आपत्ति के समय अपनी और अपने परिवार की चिंता छोड़कर स्वार्थ विहीन सेवाप्रदाता बने हुए हैं इतने पर भी डॉक्टर की पिटाई, कितना निंदनीय है।
लोक डाउन का एक सप्ताह भी नहीं बिता की बच्चों के स्कूल से ग्रुप के जरिए कई शैक्षणिक लिंक, कहानियों के लिंक भेजे गए प्रोजेक्ट आ गए ताकि हमारे बच्चे व्यस्त रहें। कई प्राइवेट कंपनियों ने अपने कर्मचारियों को घर से ही काम करने की हिदायत दी और वे सुचारू रूप से कर भी रहें हैं। यह कार्य कितना प्रसंशनीय लगता है शायद यही वो वज़ह है कि इस महामारी की बदतर हालात से हम बचे हैं। समय समय पर हमे सैनिटाइजर उपयोग करने की हिदायत दी जा रही है। छींकते या खांसते समय मुँह ढक कर रखा जाए। खान पान मे हिदायत बरती जाए। तुलसी, लौंग, हल्दी, कालीमिर्च, अदरक आदि का काढ़ा पीया जाए छोटी – छोटी सावधानियां ही हमे इस महामारी से बचा सकता है। हमारे गवर्नर तक हमे डिजिटल पेमेंट की हिदायत दे रहे हैं। ताकि किसी संक्रमित द्वारा छुए हुए पैसे किसी अन्य को संक्रमित न कर दे।
मुझे विश्वास है कि इस महामारी से निपटने के बाद हम लोगों की जबान से यह सुनेंगे की जीवन की इस आपाधापी मे परिवार कहीं खो गया था किंतु लोकडाउन ने फिर से वह भावनात्मक अंतरंगता प्रदान की है।
इस महामारी का मुख्य हथियार बस संयम है ।
डॉ सुशीला पाल (सचिव साहित्य, राष्ट्रीय गूंज(ngo)
हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट…