लखनऊ में नागरिकता संशोधित कानून के विरोध हिंसा में 13 दोषी करार, होगी 21.76 लाख रुपये की रिकवरी…
नागरिकता संशोधित कानून के विरोध में लखनऊ को ङ्क्षहसा की आग में झोकने वाले 13 उपद्रवियों से 21.76 लाख रुपये की वसूली का केवल दो माह से भी कम समय में आदेश जारी कर नजीर पेश की है। सात को साक्ष्य के अभाव में राहत मिली। अपर जिला मजिस्ट्रेट की कोर्ट ने उपद्रवियों को अर्थदंड जमा करने के लिए तीस दिन का समय दिया है। तय समय में बकाया नहीं जमा करने पर संपति कुर्क होगी। मुख्यमंत्री के उपद्रवियों से वसूली करने के सख्त निर्देश के बाद प्रदेश में तरह का पहला आदेश जारी हुआ है।केंद्र सरकार द्वारा संशोधित नागरिकता कानून बिल पास करने के बाद 19 दिसंबर को राजधानी में विभिन्न संगठनों द्वारा बुलाए गए प्रदर्शन के दौरान जबर्दस्त ङ्क्षहसा और उपद्रव के दौरान राजधानी में करीब पांच करोड़ रुपये की संपत्ति को आग के हवाले कर दिया गया था। आज का आदेश केवल हसनगंज थाना क्षेत्र के मुकदमों का है। यहां कुल 20 उपद्रवियों को रिकवरी का नोटिस जारी हुआ था। जिसमें से सात के खिलाफ पुलिस साक्ष्य नहीं जुटा सकी। अन्य थाना क्षेत्रों के उपद्रव की जांच अलग-अलग कोर्ट में चल रही है। ङ्क्षहसा में चार थाना क्षेत्रों हजरतगंज, कैसरबाग, ठाकुरगंज और हसनगंज में उपद्रवियों ने तोडफ़ोड़ कर करीब 35 वाहनों को आगे के हवाले कर दिया था। हसनगंज थाना क्षेत्र के मदेयगंज और ठाकुरगंज की सतखंडा चौकी को आग के हवाले किया गया था।अपर जिला मजिस्ट्रेट ट्रां्रसगोमती विश्वभूषण मिश्र ने अपने आदेश में कहा कि उत्तरदायी निर्धारित किए जाने क्षतिपूर्ति की धनराशि के लिए उपरोक्त 13 व्यक्ति संयुक्त रूप से तथा संपूर्ण धनराशि के लिए यह सभी व्यक्ति व्यक्तिगत रूप से अलग-अलग उत्तरदायी हैं। धनराशि इन सभी से अथवा इन सबकी संपति से संयुक्त रूप से किसी से अथवा किसी की भी संपति से वसूली जा सकती है। यदि किसी एक या कुछ ही लोगों से वसूली की कार्यवाही कर ली जाए तो वह व्यक्ति शेष उत्तरदायित्व निर्धारित आरोपियों से आनुपातिक आधार पर सहभागिता का दावा करने के लिए स्वतंत्र होगा लेकिन इस प्रक्रिया अथवा वसूली पर कोई विपरीत प्रभाव नहीं पड़ेगा।कोर्ट ने कहा उत्तरदायित्व से तात्पर्य है कि विधि द्वारा जमावड़े द्वारा लगभग समान उद्देश्य के साथ कारित किए गए विधि विरुद्व कृत्य के लिए जमावड़े में सम्मिलित प्रत्येक व्यक्ति का उत्तरदायित्व इस प्रकार निर्धारित होगा जैसे जमावड़े द्वारा किया गया विधि विरुद्व कृत्य उसने स्वयं किया हो तथा यदि कोई आर्थिक दंड आरोपित किया जाता है तो प्रत्येक व्यक्ति पूरे अर्थ दंड हेतु व्यक्तिगत रूप से तथा समस्त समूह सामूहिक रूप से अलग-अलग उत्तरदायी हैं। इसलिए यह धनराशि सभी से अथवा किसी से भी वसूली जा सकती है।ओसामा सिद्दीकी, मुहम्मद हासिम, मुहम्मद कलीम, मुख्तार अहमद, कलीम अहम, जाकिर, सलमान, मुबीन, वसीम, शफीकुद्दीन, माहेनूर चौधरी, हफीजुरर्रहमा। 13 में से छह ने नोटिसों के बावजूद जवाब नहीं दिया और सात उपद्रवी अपने जवाब और साक्ष्य से खुद को दोषपूर्ण नहीं साबित कर सके।कोर्ट ने कहा कि उत्तरदायित्व निर्धारित नहीं होना अन्य किसी भी दीवानी या आपराधिक उत्तरदायित्व से मुक्त नहीं करता है। इसलिए जिन सात आरोपियों से वसूली नहीं की जा रही है वह इससे मुक्त नहीं हैं।कोर्ट ने अपने आदेश में इस बात का भी हवाला दिया है कि राजधानी में हुए विरोध प्रदर्शन और ंिहसा में करीब दस हजार लोगों ने प्रतिभाग किया जिसके सापेक्ष पुलिस द्वारा बहुत कम संख्या में व्यक्ति चिन्हित कर आख्या पेश की गयी। पुलिस द्वारा इस प्रकरण में अपर्याप्त प्रयास किए गए जिसके कारण बहुत से दोषी व्यक्तियों का उत्तरदायित्व निर्धारित नही किया जा सका। हैरत की बात है कि पुलिस ने अपना पक्ष रखने के लिए किसी समक्ष विधि परामर्शी या शासकीय अधिवक्ता की सहायता नहीं ली।जिला मजिस्ट्रेट अभिषेक प्रकाश के मुताबिक यह आदेश केवल एक कोर्ट का है। अभी तीन अन्य अपर जिला मजिस्ट्रेट की कोर्ट में ङ्क्षहसा के मामले की सुनवाई चल रही है। सरकार की मंशा के अनुरूप ङ्क्षहसा के मामले में शामिल किसी उपद्रवी को बख्शा नहीं जाएगा। सभी के खिलाफ जल्द कार्रवाई होगी और सार्वजनिक व निजी संपत्ति को जो भी नुकसान हुआ है उसकी भरपाई होगी।
हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट…