दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण का स्तर देश के बाकी हिस्सों से सबसे अधिक है। यहां दिवाली से पहले ही लोगों को सांस लेने में दिक्कत का सामना करना पड़ा रहा है। दिवाली के बाद यहां क्या हाल हो सकता है इसका अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है।
बुधवार को भी सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उसके हरे पटाखे बेचना और बाकी पटाखों की बिक्री पर प्रतिबंध वाला आदेश भी केवल दिल्ली एनसीआर के लिए ही था। लोगों को सांस लेने के लिए विभिन्न प्रकार के मास्क का सहारा लेना पड़ा रहा है। आज हम आपको इससे होने वाले नुकसानों, प्रभावों और इस खतरे से बचने के उपाय बताने जा रहे हैं।
लोगों को इस तरह से प्रभावित कर रही है जहरीली हवा-
– वयस्कों के मुकाबले अधिक प्रभावित हो रहे हैं बच्चे
जहरीली हवा बड़ों के मुकाबले बच्चों को अधिक प्रभावित करती है। यह हवा फेंफड़ों के जरिए अंदर जाती है और उस स्थान पर जमा होती है जहां खून में ऑक्सीजन कार्बनडाइऑक्साइड की जगह लेती है। बच्चे इससे ज्यादा प्रभावित होते हैं क्योंकि वह वयस्कों से दोगुना अधिक तेजी से सांस लेते हैं। वह आमतौर पर मुंह से भी सांस लेते हैं जो अधिक प्रदूषित हवा को फेंफड़ों तक पहुंचाता है। इससे आने वाले समय में दिल की बीमारी हो सकती है।
गर्भ में भी बच्चों को नुकसान
बच्चों के अलावा ये खतरनाक हवा अजन्में बच्चों को भी प्रभावित करती है। गर्भनाल से ये हवा मां के जरिए शिशु तक पहुंच जाती है। महिलाएं गर्भावस्था में अधिक तेजी से सांस लेती हैं ताकि उनके शिशु तक भी पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन पहुंच सके।
इससे घातक पदार्थ मां के खून में मिल जाते हैं जो बच्चे के विकास को प्रभावित करते हैं। प्रदूषण से डीएनए खराब होने का खतरा बढ़ जाता है और बच्चे का वजन जन्म के बाद कम भी रह सकता है। केवल इतना ही नहीं जन्म लेने के बाद जब शिशु मां का दूध पीता है तब भी प्रदूषण के त्तत्व बच्चे तक पहुंच जाते हैं।
किस तरह के मास्क इस्तेमाल करने चाहिए-
एन95 मास्क मामूली मास्क की तुलना में 95 फीसदी कणों को ब्लॉक कर देता है। इसकी कीमत 300-500 रुपये के बीच है। इसके अलावा भी कई तरह के मास्क बाजार में उपलब्ध हैं जो न केवल कणों को ब्लॉक करते हैं बल्कि 99 फीसदी हवा के हानिकारक कणों को भी फिल्टर करता है। जिसकी कीमत 500-600 रुपये के बीच है।
वहीं वोगमास्क 99 फीसदी जहरीले कणों को ब्लॉक करता है और अपने डिजाइन के लिए काफी मशहूर भी है। इसे दोबारा भी इस्तेमाल किया जा सकता है। इसकी कीमत 2 हजार से 4 हजार रुपये के बीच है। इसके अलावा नेसल फिल्टर भी उपलब्ध है। अगर मास्क का इस्तेमाल नहीं करना चाहते तो इसका इस्तामल किया जा सकता है। इसकी कीमत 3 हजार रुपये के करीब है।
इसके साथ ही एयरलेंस भी काफी उपयोगी है। इसे एम्स ने बनाया है। यह एक ऐप के साथ उपलब्ध है। जो हवा में घुले प्रदूषण के कणों की मात्रा बताता है। इसके अलावा एयर प्योरिफायर भी प्रयोग किया जा सकता है।
खुद को प्रदूषण से कैसे बचाएं
– प्रदूषण स्तर की जांच करें।
– मास्क पहनें और अगर संभव न हो तो मुंह को ढंककर रखें।
– व्यायाम के लिए सुबह की धुंध में और शाम को जाने से बचें। हो सके तो सुबह की धूप के बाद व्यायाम के लिए जाएं।
– ऐसी सड़कों पर जाने से बचें जहां जाम लगा हो। क्योंकि वाहनों के जाम से अधिक जहरीली हवा निकलती है और प्रदूषण के स्तर को भी बढ़ाती है।
– उन जगहों पर जाने से बचें जहां निर्माण कार्य चल रहा हो। ऐसी जगहों पर धूल के कण अधिक होते हैं।
– अगर अस्थमा या दिल की बीमारी है तो डॉक्टरों से सलाह लें।
घर के अंदर कैसे बचें-
– रसोई में वेंटीलेशन लगाएं ताकि अंदर की खराब हवा बाहर निकले।
– घर की साफ सफाई रखें। कहीं पर भी धूल के कण जमा न होने दें। यह कण सांस लेने के दौरान फेंफड़ों तक जा सकते हैं।
– वैक्यूम क्लीनर का इस्तेमाल करें। साथ ही हवा फिल्टर करने वाले पौधों को घर में रखें। ताकि अधिक मात्रा में ऑक्सीजन आ सके। साथ ही पौधों की भी नियमित रूप से सफाई करें।
दिवाली के समय वायु प्रदूषण से ऐसे बचें
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने अधिक प्रदूषण फैलाने वाले पटाखों पर प्रतिबंध लगा दिया है और केवल हरे पटाखे फोड़ने की सलाह दी है। साथ ही पटाखे फोड़ने का समय भी रात 8-10 बजे तक रखा है। लेकिन दिवाली से पहले मौजूद जहरीली हवा को देखते हुए यह नहीं कहा जा सकता कि दिवाली के बाद प्रदूषण नहीं होगा। दिवाली के समय खुद को वायु प्रदूषण से बचाने के लिए आप इन तरीकों को अपना सकते हैं-
– जिन स्थानों पर पटाखे फोड़े जाते हैं वहां से दूर रहें।
– पटाखों के फटने से होने वाली आवाज से ध्वनि प्रदूषण होता है। इससे बचने के लिए किसी शांत जगह पर जाएं।
– अगर आप प्रदूषण वाले स्थान को छोड़कर नहीं जा सकते तो खुद को बचाने के लिए मास्क का इस्तेमाल कर सकते हैं। एंटी पॉल्यूशन मास्क एक अच्छा विकल्प है।
– हो सके तो घर से बाहर न निकलें और एयरकंडीशन वाले कमरे में रहें। साथ ही डॉक्टर की सलाह भी लें।
– अधिक फल और सब्जियों का सेवन करें और दिक्कत आने पर इनहेलर का भी इस्तेमाल करें। इसके साथ ही अधिक मात्रा में पानी भी पिएं।
– लेकिन अगर अस्थमा जैसी परेशानी है तो डॉक्टर की सलाह अवश्य लें।