देश की सर्वोच्च अदालत ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया है कि वह 10 दिनों के अंदर एक सील बंद लिफाफे में राफेल की कीमत और इसके फायदे बताए। आदेश के कुछ घंटों बाद सरकार के एक उच्च सूत्र ने बताया कि सरकार ने इस बारे में जानकारी देने को लेकर अपनी असमर्थता जताते हुए एक हलफनामा दायर किया है। इसके लिए सरकार ने अत्यंत गोपनीयता को कारण बताया है।
सूत्र ने बताया कि अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अगुआई वाली बेंच से कहा कि यहां तक संसद को भी राफेल लड़ाकू विमान की कीमत के बारे में नहीं पता है। एक याचिकाकर्ता का कहना था कि केंद्र सरकार को राफेल विमान की कीमत के बारे में सर्वोच्च न्यायालय को सील बंद लिफाफे में बताने में कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए क्योंकि संसद को पहले से ही इसके बारे में पता है।
सूत्र का कहना है कि केंद्र ने संसद को जो बताया है वह राफेल का बेसिक फ्रेम है ना कि राफेल विमान की मेड टू ऑर्डर कीमत। जिसका समझौता भारत और फ्रांस के बीच हुआ है। बेंच ने अटॉर्नी जनरल से कहा कि यदि यह विवरण इतना विशेष है और इसे न्यायालय के साथ भी साझा नहीं किया जा सकता है तो केंद्र सरकार को ऐसा कहते हुए हलफनामा दाखिल करना चाहिए।
मुख्य न्यायाधीश की बेंच ने वेणुगोपाल से अपनी मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा, ‘यदि कीमतें विशेष हैं और आप हमारे साथ इन्हें साझा नहीं कर रहे हैं तो ऐसा कहते हुए हलफनामा दायर कीजिए।’ बता दें कि विपक्ष मोदी सरकार पर राफेल सौदे को लेकर लगातार हमला कर रही है। उसका कहना है कि यूपीए के 126 राफेल जेट की बजाए एनडीए ने 36 विमानों की डील की है, वह भी पहले के मुकाबले ज्यादा कीमत पर।