मोटर वाहन अधिनियम कल्याणकारी कानून का एक अंश : उच्च न्यायालय

मोटर वाहन अधिनियम कल्याणकारी कानून का एक अंश : पंजाब और हरियाण उच्च न्यायालय

चंडीगढ़, 14 अक्टूबर। पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने कहा है कि मोटर वाहन कानून एक कल्याणकारी कानून है और इसका मकसद सड़क दुर्घटनाओं में जान गंवाने वाले या घायल होने वाले लोगों के परिवार को त्वरित मुआवजा देना है। अदालत ने कहा कि इस क़ानून के तहत मामलों से निपटने के लिए उदार दृष्टिकोण की आवश्यकता है। अदालत ने माना है कि

ऐसे मामलों में प्राथमिकी दर्ज करने में देरी करना निरर्थक है। अदालत ने कहा कि एक आपराधिक मुकदमे के दौरान यह कारक प्रासंगिक हो सकता है लेकिन मोटर वाहन अधिनियम के तहत मुआवजे के निर्धारण के लिए कार्यवाही में इसे अधिक महत्व नहीं दिया जा सकता है। न्यायमूर्ति एच एस मदान ने हरियाणा के पलवल में एक अदालत द्वारा भिडुकी गांव के 26 वर्षीय व्यक्ति की मौत के मामले में निर्धारित मुआवजे की राशि के खिलाफ एक निजी बीमा कंपनी की याचिका का निपटारा करते हुए

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यह आदेश पारित किया। मोटरसाइकिल सवार व्यक्ति की 10 अक्टूबर 2015 को एक कार के चालक द्वारा “तेज और लापरवाही से” गाड़ी चलाने के कारण मौत हो गई थी। उच्च न्यायालय ने कहा, ‘यह ध्यान में रखना होगा कि मोटर वाहन अधिनियम कल्याणकारी कानून है और इसका मकसद मोटर वाहन से होने वाले हादसों में घायलों या ऐसी सड़क दुर्घटनाओं में दुर्भाग्यवश जान गंवाने वाले लोगों के परिवार के सदस्यों को तेजी से मुआवजा देना है। मामले में उदारवादी दृष्टिकोण की

आवश्यकता है।’ इस मामले में मृतक के परिवार ने कार चालक के खिलाफ मुआवजे की याचिका दायर की थी। दावा अधिकरण ने सितंबर, 2017 को अपने आदेश में मृतक के परिवार को 30,88,172 रुपए मुआवजे का भुगतान करने का आदेश बीमा कंपनी को दिया था। हालांकि, बीमा कंपनी ने अधिकरण के इस आदेश को उच्च न्यायालय चुनौती दी थी जबकि मृतक के परिजनों ने मुआवजे की राशि बढ़ाने के लिए अलग से याचिका दायर की थी।

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