तीसरे दिन भी इनकम टैक्स की छापेमारी जारी; कांग्रेस का सरकार पर हमला

कर्नाटक में तीसरे दिन भी इनकम टैक्स की छापेमारी जारी; कांग्रेस का सरकार पर हमला

बेंगलुरु, 10 अक्टूबर। कर्नाटक में रविवार को लगातार तीसरे दिन भी इनकम टैक्स विभाग की ओर से छापेमारी जारी है। आईटी अधिकारियों ने पूर्व मुख्यमंत्री बी.एस. येदियुरप्पा के सहयोगी उमेश के करीबी एक ठेकेदार सोमशेखर के आवास पर अपनी तलाशी जारी रखी है। अधिकारियों ने बेंगलुरु में सोमशेखर के आवास पर जाकर उनसे और उमेश के बीच पैसे के लेन-देन के बारे में पूछताछ की। सूत्रों ने बताया कि सोमशेखर, उमेश के काफी करीब थे और उन्होंने सिंचाई विभाग की

परियोजनाओं और टेंडरों से जुड़े सौदे संयुक्त रूप से संचालित किए थे। इनकम टैक्स विभाग के अधिकारियों ने कहा कि उमेश के आवास से महत्वपूर्ण दस्तावेज प्राप्त किए हैं और अब सोमशेखर से पूछताछ कर रहे हैं। सूत्र बताते हैं कि इससे राज्य में और भी कई ठेकेदारों पर छापेमारी होगी। हालांकि, कर्नाटक कांग्रेस अध्यक्ष डी.के. शिवकुमार ने इस सिलसिले में सत्तारूढ़ भाजपा सरकार पर हमला बोला। उन्होंने कहा, छापे का इरादा येदियुरप्पा को नियंत्रित करना है। उनके करीबी के आवास और

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कार्यालयों पर छापेमारी की गई है। इस छापेमारी के पीछे राजनीति है। उन्होंने आरोप लगाया, मैं कुछ मंत्रियों के बारे में जानता हूं जो वर्तमान में नई दिल्ली में बैठे हैं और अधिकारियों से उन पर छापेमारी नहीं करने की गुहार लगा रहे हैं। मुझे बेंगलुरु के होटलों में आयोजित सिंचाई विभाग की कुछ बैठकों के बारे में जानकारी है। उन पर छापे क्यों नहीं किए जाते हैं। येदियुरप्पा और उनके बेटे बी.वाई. विजयेंद्र के नजदीकी लोगों पर छापेमारी ने कई संदेहों को हवा दी है। विपक्ष के नेता सिद्धारमैया ने कहा, मेरा मानना है कि आईटी छापे के पीछे राजनीति है। आईटी विभाग के 300 से अधिक अधिकारियों ने गुरुवार (7 सितंबर)

को सुबह से पूरे कर्नाटक में 50 स्थानों पर छापे मारे।  सूत्रों ने कहा कि येदियुरप्पा के कार्यकाल के दौरान जल संसाधन मंत्रालय में 20,000 करोड़ रुपये की विभिन्न योजनाओं को लागू करने के दौरान भारी रिश्वत के संबंध में विशिष्ट इनपुट पर छापे मारे गए थे। अधिकारियों ने उमेश के घर पर छापा मारा, जो बीएमटीसी के कंडक्टर सह ड्राइवर से ठेकेदार बने, जो कथित तौर पर येदियुरप्पा के करीबी सर्कल में आने के बाद संपन्न हुए। उन्होंने येदियुरप्पा के निजी सचिव के रूप में काम किया और बोम्मई सरकार ने भी उनकी सेवाएं जारी रखीं। हालांकि, यह तथ्य सामने आने के बाद उनकी नियुक्ति वापस ले ली गई

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