शारदीय नवरात्र आज 7 अक्टूबर से प्रारम्भ…
नवरात्रि में पांच रवियोग के साथ सौभाग्य योग और वैधृति योग का बन रहा संयोग: पं बृजेश पाण्डेय…
गोरखपुर! विद्वत जनकल्याण समिति के केन्द्रीय महामंत्री व युवा जनकल्याण समिति के संस्थापक व संरक्षक पं बृजेश पाण्डेय ज्योतिषाचार्य के अनुसार अश्विन शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से शारदीय नवरात्रि प्रारम्भ हो रहा हैं. आज 7 अक्टूबर दिन गुरुवार से मां शैलपुत्री के पूजन से नवरात्रि प्रारंभ होगें. इस बार के नवरात्रि खास माने जा रहे हैं, कारण है कि नवरात्रि में पांच रवियोग के साथ सौभाग्य योग और वैधृति योग बन रहा है. इस वहज से इस नवरात्रि नए कार्यों की शुरुआत शुभ रहेगी. दुर्गा मां का जातकों को आशीर्वाद प्राप्त होगा और शुरू किए गए कार्यों में सफलता मिलेगी
पण्डित जी ने बताया कि एक ही दिन में दो तिथियां पड़ने से शारदीय नवरात्रि 8 दिन तक चलेंगे. 9 अक्टूबर दिन शनिवार को तृतीया सुबह 7 बजकर 48 मिनट तक रहेगी, इसके बाद चतुर्थी शुरू हो जाएगी, जो अगले दिन 10 अक्टूबर दिन रविवार को सुबह 5 बजे तक रहेगी.इस बार देवी मां के पूजन की शुरुआत गुरुवार के दिन से हो रही है, जो पूजा व आध्यात्मिक उन्नति के लिए शुभ है. नवरात्रि की शुरुआत चित्रा नक्षत्र में हो रही है, जिससे साधाना, साहस और संतोष प्राप्त होगा. 15 अक्टूबर को दशहरा मनाया जाएगा। नवरात्रि में 12 अक्तूबर को सप्तमी तिथि संपूर्ण दिन और रात्रि को एक बजकर 49 मिनट तक एवं मूल नक्षत्र का योग होने से पंडालों मे मूर्तियों के स्थापन का कार्य इसी दिन होगा। 13 अक्तूबर को महाअष्टमी है। इस दिन अष्टमी तिथि रात्रि 11 बजकर 42 मिनट तक है। अष्टमी का उपवास इसी दिन रखा जाएगा। महानिशा पूजन और रात्रि में बलिदानिक कार्य भी इसी दिन किए जाएंगे। 14 अक्तूबर नवमी तिथि रात्रि नौ बजकर 53 मिनट तक है। इस दिन मां दुर्गा के पूजन-अर्चना एवं पूर्णाहुति के लिए सूर्योदय से रात्रि नौ बजकर 53 मिनट का समय उत्तम है। व्रत का पारण 15 अक्तूबर को होगा।
भक्तों के कल्याण के लिए तन मन धन से नवदुर्गा के नौ स्वरुपो का प्रथम शैलपुत्री, द्वितीय ब्रह्म चारिणी, तृतीय चंद्रघंटा, चतुर्थ कुष्मांडा, पंचम स्कंद माता, षष्ठम कात्यायनी,सप्तम कालरात्रि,अष्टम महागौरी तथा नवम सिद्धि धात्री के स्वरुपो का पंचोपचार या षोडशोपचार पूजन करें तथा देश एवं अपने कल्याण हेतु कामना करें.
पूजा की सामग्री: नवरात्रि के लिए पूजा सामग्री पहले से ही तैयार कर लें। लाल चुनरी, मौली, दीपक, घी, धूप, नारियल, फूल, पान, सुपारी, लौंग, इलायची, मिसरी, कपूर, आदि की खरीदारी कर लें। भोग के लिए सभी फलों का इंतजाम भी कर लें।
कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त।
कलश स्थापना कर मां दुर्गा के नौ रूपों की आराधना की जाती है। नवरात्रि के पहले ही दिन सुबह कलश स्थापना का मुहूर्त बनता है। इस बार ये मुहूर्त आज 7अक्टूबर दिन बृहस्पतिवार को सूर्योदय के पश्चात सम्पूर्ण दिन रहेगा।
पूजा विधि: नवरात्रि के दिन सुबह नित्य कर्म से निवृत्त होकर साफ पानी से स्नान कर लें। पानी में कुछ बूंदें गंगाजल की डालकर स्नान करें या स्नान के पश्चात शरीर पर गंगा जल का छिड़काव करें। कलश स्थापना के स्थान पर दीया जलाएं और दुर्गा मां को अर्घ्य दें। इसके बाद अक्षत और सिंदूर चढ़ाएं। लाल फूलों से मां को सजाएं और फल, मिठाई का भोग लगाएं। धूप, दीप, अगरबत्ती जलाकर दुर्गा चालीसा या दुर्गा सप्तशती का पाठ करें तत्पश्चात मां कि आरती करें।
हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट…