मोदी आज करेंगे स्वामित्व योजना की शुरूआत, वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए जुड़ेंगे
भोपाल, 06 अक्टूबर। ग्रामीण इलाकों में संपत्ति के स्वामित्व से संबंधित महत्वाकांक्षी ‘स्वामित्य योजना’ की शुरूआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से करेंगे। श्री मोदी मध्यप्रदेश के तीन जिलों के हितग्राहियों के साथ संवाद भी करेंगे। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान हरदा जिले में आयोजित कार्यक्रम में मौजूद रहकर वहीं से वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए कार्यक्रम में जुड़ेंगे। राज्य के 19 जिलों के 3 हजार ग्रामों में एक लाख 71 हजार हितग्राहियों को ‘अधिकार अभिलेख’ का
वितरण स्वामित्व योजना के माध्यम से किया जाएगा। श्री मोदी इस दौरान सीहोर, हरदा और डिंडोरी जिलों के योजना से संबंधित हितग्राहियों से संवाद करेंगे। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार राज्य में 17 सितंबर से 7 अक्टूबर तक चलाए जा रहे जनकल्याण और सुराज अभियान के तहत स्वामित्व योजना की शुरूआत की जा रही है। योजना को जिन 9 राज्यों में प्रायोगिक आधार पर लागू किया गया है, उनमें मध्यप्रदेश भी शामिल है। मध्यप्रदेश में स्वामित्व योजना का क्रियान्वयन तीन चरणों में 10-10 जिलों को शामिल कर क्रमबद्ध रूप से प्रारंभ किया गया है। योजना में सर्वे ऑफ इंडिया की सहायता से ग्रामों में बसाहट क्षेत्र पर ड्रोन के
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माध्यम से नक्शे का निर्माण तथा डोर-टू-डोर सर्वे कर अधिकार अभिलेखों का निर्माण किया जा रहा है। अभी तक मध्यप्रदेश के 42 जिलों में सर्वेक्षण की प्रक्रिया प्रारंभ की गई है, जिसके तहत 24 ड्रोन 24 जिलों में कार्य रह रहे हैं। इनमें से 6500 ग्रामों में ड्रोन कार्य पूर्ण किया जा चुका है। हितग्राहियों को योजना का अधिक से अधिक लाभ प्रदान करने के लिए सर्वे के नियमों को वर्तमान आवश्यकता के अनुसार सरल बनाया गया है। इस प्रक्रिया को राष्ट्रीय स्तर पर सराहना मिली और अन्य राज्यों ने इसे अपने यहां लागू करने के लिए प्रक्रिया का अवलोकन किया है। इस योजना के तहत ग्राम की आबादी भूमि में अपना मकान
बनाकर रहने वाले ग्रामवासियों को अपने घर का मालिकाना हक मिल सकेगा। आबादी भूमि के कागजात मिल जाने से कानून का सहारा मिलने लगेगा। मनमर्जी से घर बनाने और अतिक्रमण की समस्या से निजात मिलेगी। इसके अलावा सम्पत्ति का रिकार्ड हो जाने से बैंक लोन लिया जा सकेगा। भूमि संबंधी विवाद भी नियंत्रित होंगे। जमीन एवं भवन के नामांतरण एवं बंटवारे आसानी से हो सकेंगे। सरकारी भवन भी योजनाबद्ध तरीके से निर्मित किये जा सकेंगे। गाँव में आबादी की भूमि को लेकर भ्रम की स्थिति खत्म होगी।
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