अनंत चतुर्दशी पर भगवान विष्णु की ऐसे करें उपासना
हरिद्वार, 18 सितंबर। अनंत चतुर्दशी का सनातन धर्म में खास महत्व है। भगवान विष्णु को समर्पित अनंत चतुर्दशी का पर्व भाद्रपद महीने की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है। इसे अनंत चौदस के नाम से भी जाना जाता है। इस साल अनंत चतुर्दशी का पर्व 19 सितंबर को मनाया जाएगा। अनंत चतुर्दशी का व्रत भगवान विष्णु को प्रसन्न करने और अनंत फल देने वाला माना गया है। अनंत चतुर्दशी का व्रत भगवान विष्णु और शिव को समर्पित है। इस दिन नारायण के अनंत रूप की पूजा की जाती
है। अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान नारायण की विधि विधान से पूजा और व्रत करने से सभी तरह के संकट से मुक्ति मिलती है। मान्यता है कि इस दिन व्रत करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। ज्योतिषाचार्य नं. देवेन्द्र शुक्ल शास्त्री के मुताबिक 19 सितम्बर को पूरे दिन चतुर्थी तिथि है। सुबह 6.20 बजे से शुरू होकर 20 सितंबर को सुबह 5.30 तक चतुर्थी तिथि रहेगी। भगवान नारायण के पूजा के लिए विशेष योग सूर्य उदय से लेकर मध्याह्न काल तक विशेष महत्व रखता है। अनंत चतुर्दशी के
मौके पर व्रत का संकल्प लें, पूजा के दौरान खासकर भगवान विष्णु की पूजा अर्चना कर भगवान शिव का जलाभिषेक करें। साथ ही 14 गांठों वाला अनंत सूत्र भगवान विष्णु को समर्पित कर मंत्र जाप कर अपने हाथ में धारण करें, जो दीर्घायु एवं अनंत जीवन का प्रतीक माना जाता है। पूरे दिन उपवास रखें, शाम को पूजन के बाद मीठा भोजन कर अपना व्रत का परायण करें। सनातन धर्म को मानने वाले अनंत चतुर्दशी के त्योहार को पूरी श्रद्धा और आस्था से मनाते हैं। उन्होंने बताया कि मान्यता है कि अनंत
चतुर्दशी का दिन था जब भगवान विष्णु ने सृष्टि की रचना के लिए 14 लोकों का निर्माण किया था। भगवान विष्णु ने इन सभी लोकों की रक्षा करने के लिए अनंत रूप धारण किया था। मान्यता है कि इस व्रत की सबसे पहले महाभारत काल में रखा गया था। द्वापर युग में जब पांडव जुआ में अपना सब कुछ हार कर वन में भटक रहे थे तब भगवान कृष्ण ने उन्हें अनंत चतुर्दशी का व्रत रखने की सलाह दी थी। जिसके बाद उन पर से संकट के बादल कि छटने शुरू हो गए थे।
“हिन्द वतन समाचार” की रिपोर्ट