रामबहादुर की रिहाई से पाकिस्तान की जेल में बंद बांदा के छह युवकों के रिहाई की आस जगी
बांदा, 01 सितंबर। बारह वर्ष पहले साइकिल पर घर से निकले रामबहादुर को लेकर उसके माता-पिता और परिवार के लोग उसके लौटने की आस ही छोड़ चुके थे। लेकिन अचानक आई एक खबर ने उनकी आंखों में खुशी के आंसू भर दिए। अब उनका बेटा पाकिस्तान की जेल से रिहा होकर घर वापस लौटने वाला है। रामबहादुर की रिहाई से बांदा के उन छह परिवारों के चेहरों पर भी चमक आ गई है, जिनके लाल चार साल से पाकिस्तान की जेल में बंद हैं।
पाकिस्तान के लाहौर जेल से रामबहादुर की रिहाई हो गई। पाकिस्तान ने 14 अगस्त को उसे छोड़ दिया था। अभी वह अमृतसर के अस्पताल में भर्ती है। घर कब तक पहुंचेगा इसकी जानकारी परिवार को नहीं है। लेकिन बेटे के भारत आने पर खुशी है। अतर्रा के पचोखर अंश कोटेदार का पुरवा निवासी बुजुर्ग दंपति गिल्ला और उनकी पत्नी कुसमा ने बताया कि 12 साल पहले बेटा रामबहादुर लापता हो गया था। घर से काम की तलाश में जाने की बात कहकर गया था। साइकिल लेकर निकला था। परिचितों, नाते-रिश्तेदारी में काफी खोजबीन की पर कोई खबर नहीं मिली। अतर्रा थाने में भी सूचना दी।
पाकिस्तान कैसे पहुंचा किसी को पता नहीं
रामबहादुर के छोटे भाई मइकू ने बताया कि उनके परिवार में मां-बाप के साथ पत्नी मिढ़िया, तीन बेटियां और दो बेटे हैं। उन्होंने बताया कि रामबहादुर अविवाहित हैं। भाई घर से काम की तलाश में जाने की बात कहकर निकला था। कई बार काम के लिए जा चुका था। कब और कैसे वह पाक सीमा पर पहुंच गया, इसके बारे में न तो उन्हे और न ही उनके किसी परिवार को इसके बारे में कोई जानकारी नहीं है। मंगलवार को पुलिसकर्मी आए थे। नाम-पता नोट कर ले गए। रामबहादुर के आने के बाबत कोई जानकारी नहीं दी। मंगलवार को ही अमृतसर प्रशासन ने जब फोन पर रामबहादुर के मिलने की सूचना दी तो घर में सभी के चेहरे खुशी से खिल उठे।
इसी साल मई में हुई जानकारी
पूर्व प्रधान लवकुश त्रिपाठी ने बताया कि इसी साल मई में लोकल इंटेलीजेन्स यूनिट की टीम गांव आई थी। उन्होंने पाकिस्तान प्रमुख सचिव का पत्र दिखाकर बताया था कि रामबहादुर पाकिस्तान की जेल में है। तहसीलदार ने घरवालों के बयान दर्ज किए थे। पत्र में लिखा था कि उसे पाकिस्तान में सात साल की सजा हुई है। वह पाकिस्तान कैसे पहुंचा, ये अभी किसी को जानकारी नहीं है।
मछली पकड़ने को जाते हैं यहां के लोग
बांदा जनपद के तिंदवारी के दो गांव ऐसे हैं, जहां के लोग ओखा बंदरगाह मछली पकड़ने के लिए जाते हैं। इलाकाई के लोग बताते हैं कि रास्ता भटकने व जानकारी के अभाव में यहां के काफी लोग पहले भी पाकिस्तान की सीमा में प्रवेश करने के आरोप में पकड़े जा चुके हैं। जिनको यातनाएं भी सहनी पड़ी हैं। हालांकि यह सभी पूर्व में छोड़े जा चुके हैं। लेकिन अभी भी तिंदवारी ब्लाक के जसईपुर के रफीक अहमद, विवेक कुशवाहा, बाबू, रोहित, सिंघौली के राजू कुशवाहा व बिसंडा के बच्ची नवम्बर 2017 से पाकिस्तान की जेल में कैद हैं।
परिजन बताते हैं कि ठेकेदार उनको मछली पकड़ने के लिए गुजरात के पोरबंदर ले गए थे, जहां नावों से समुद्र में उतरने के बाद हवाओं के रुख के आधार पर पाक सीमा में चले गए। पाक जेल में बंद बांदा के सभी छह युवक अविवाहित हैं। कमाऊ पूत होने से घरों पर तंगहाली आ गई है। पहले चिट्ठी आ जाती थी, लेकिन अब वह भी नहीं आ रही हैं।
सिंघौली निवासी विनोद कुमार व मीरा देवी ने बताया कि जेल में बंद बेटे राजू के हालचाल पहले दो-चार माह में चिट्ठी से मिल जाते थे। उन्हें लगा था कि बेटा परदेश से कमाई करके आएगा, लेकिन उसके जेल में कैद होने से कर्ज तले दब गए हैं। रोते-रोते आंखें सूख चुकी हैं। रामबहादुर की रिहाई से पाकिस्तान की जेल में बंद अब उन छह युवकों के परिजन भी अपने बेटों के लौटने की राह ताक रहे हैं।