पुणे, 27 अगस्त (वेब वार्ता)। केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शुक्रवार को कहा कि सरकार देश में खेलों और खिलाड़ियों को आगे बढाने की दिशा में अनेक कदम उठा रही है और उनका सपना है कि भारत खेल प्रधान देश बने और ओलंपिक का आयोजन करे। रक्षा मंत्री ने टोक्यो ओलंपिक में भाला फेंक स्पर्धा में देश को स्वर्ण पदक दिलाने वाले सेना के सुबेदार नीरज चोपड़ा के नाम पर स्टेडियम का उद्धाटन करने के बाद कहा कि सरकार ने पिछले कुछ वर्षों में खेलों में गुणवत्ता बढ़ाने का प्रयास किया है। मैं समझता हूँ ये केवल सरकारी स्कीम नहीं, बल्कि एक आंदोलन है, जिसे हमें और आगे लेकर जाना है। हमें अभी इन प्रयासों से सफलता के और नए आयाम हासिल करने हैं।
राजनाथ सिंह ने कहा कि मेरा यह स्वप्न है कि भारत एक खेल प्रधान देश बने जो ओलंपिक में टॉप देशों की श्रेणी में आए। उन्होंने कहा कि मैं उम्मीद करता हूं कि आप सब इसमें मेरा साथ अवश्य देंगे। मैं उस पल के लिए भी स्वप्न देख रहा हूं, जब भारत को ओलंपिक का आयोजन करने का मौका मिलेगा। उन्होंने कहा कि सभी ओलंपियन, जो थोड़े से अंतर से चौथे स्थान पर रह गए या फाइनल में पहुंचे, लेकिन पदक नहीं पा सके। मेरे लिए वो सभी किसी विजेता किसी पदक विजेता से कम नहीं है। आपने में हमारे देश का प्रतिनिधित्व किया यह कोई कम गौरव की बात नहीं है। उन्होंने कहा कि यह हमारे लिए भी गर्व का विषय है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी स्वयं खेल में रूचि लेते हैं। यह उनके नेतृत्व में हमारी सरकार का खेल और हमारे खिलाड़ियों के प्रति स्नेह और प्रतिबद्धता दर्शाता है।
राजनाथ सिंह ने कहा कि किसी भी एथलीट के जीवन में सबसे महत्वपूर्ण क्षण वो होता है जब वह तिरंगा पकड़ता है। मैं समझता हूं की जब सूबेदार नीरज चोपड़ा को स्वर्ण पदक देते हुए जब टोक्यो में राष्ट्र गान बजा, तब एक-एक भारतीय का सीना गर्व से चौड़ा और आंखें ख़ुशी से नम हो गई थी। एक खास बात जो मुझे लगती है कि अब समय आ गया है कि हम सभी खेलों को समान महत्व देना शुरू करें। हमारे देश की महिलाएं भी लगातार खेल में बेहतर प्रदर्शन कर रही है। आप महिला हॉकी टीम और ओलंपिक्स में पदक जीतने वाली हमारी 3 महिला-खिलाड़ियों का ही उदाहरण ले लीजिये।
उन्होंने कहा कि यह बेहद प्रसन्नता का विषय है कि इन प्रयासों का परिणाम पिछले कुछ वर्षों से दिखना शुरू हो चुका है। साल 2014 तथा 2018 के कामन वेल्थ गेम्स में हमने क्रमशः 64 और 66 पदकों के साथ 5वां और तीसरा स्थान हासिल किया। भारत सरकार ने पिछले कुछ वर्षों में खेलों की स्पर्धा में गुणवत्ता बढ़ाने का प्रयास किया है। उन्होंने कहा कि मैं समझता हूं ये केवल सरकारी योजनाएं नहीं, बल्कि एक आंदोलन है, जिसे हमें और आगे लेकर जाना है। हमें अभी इन प्रयासों से सफलता के और नए आयाम हासिल करने हैं।
राजनाथ सिंह ने कहा कि आर्मी स्पोर्टस इंस्टीट्यूट्स (एएसआई), भारतीय सेना का एक अद्वितीय और विश्व स्तरीय खेल संस्थान है। मुझे बतलाया गया है कि इसने अब तक 34 ओलाम्पियंस, 22 कॉमनवेल्थ गेम्स के पदक विजेता, 21 एशियाई गेम्स के पदक विजेता, 06 यूथ ओलिंपिक पदक विजेता, 13 अर्जुन पुरस्कार विजेता दिए हैं। आप सभी मेरी इस बात से सहमत होंगे की इस प्रकार के प्रदर्शनों के लिए जिस प्रकार के अनुशासन की आवश्यकता है, ठीक वैसी ही आवश्यकता सेना का जवान बनने के लिए भी होती है। मुझे इस बात पर हमेशा गर्व रहा है कि हमारे देश की सेना विश्व की सबसे अनुशासित सेनाओं में से एक है।
उन्होंने कहा कि आप सभी मेरी इस बात से सहमत होंगे की इस प्रकार के प्रदर्शनों के लिए जिस प्रकार के अनुशासन की आवश्यकता है। ठीक वैसी ही आवश्यकता सेना का जवान बनने के लिए भी होती है। मुझे इस बात पर हमेशा गर्व रहा है कि हमारे देश की सेना विश्व की सबसे अनुशासित सेनाओं में से एक है। सेलिंग में नायब सूबेदार विष्णु सरवन्नन और रोविंग में नायब सूबेदार अरुणलाल जाट और नायब सूबेदार अरविंद सिंह की टीम ने अपने-अपने इवेंट्स में भारत का सबसे सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन दिया है। आप सभी ने यह अभूतपूर्व प्रदर्शन ऐसे समय में दिया है। जब हम एक अप्रत्याशित समय से गुजर रहे हैं।
नायब सूबेदार दीपक पुनिया अपने कांस्य पदक मुकाबले में मामूली अंतर से चूक गए, लेकिन उनका प्रदर्शन प्रशंसनीय था। इसके साथ ही सूबेदार अरोकिया राजीव का 4गुना400 मीटर (रिले) में नया एशियाई रिकॉर्ड बनाने का प्रदर्शन काबिले तारीफ है। नायब सूबेदार अविनाश सेबल ने ओलंपिक में 3000 मीटर (स्टीपल चेस) में नया राष्ट्रीय रिकॉर्ड बनाया और पांचवीं बार अपने स्वयं के राष्ट्रीय रिकॉर्ड में सुधार किया। जहां सूबेदार नीरज ने देश को गौरवान्वित किया है, वहीं मैं सूबेदार मेजर सतीश के प्रदर्शन की सराहना करता हूं, जिन्होंने 13 टांके लगने के बावजूद अपने (क्वार्टर फाइनल्स बॉक्सिंग) मुकाबले में शानदार प्रदर्शन किया।
रक्षामंत्री ने कहा कि भारतीय सेना भी, मैं समझता हूं उसी परंपरा को बखूबी आगे बढ़ा रही है। मुझे गर्व है कि भारतीय खेल के इतिहास में मेजर ध्यानचंद, कैप्टन मिल्खा सिंह, कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौर और कैप्टेन विजय कुमार की परंपरा में अब सूबेदार नीरज चोपड़ा ने भी अपना नाम स्वर्ण अक्षरों में जोड़ लिया है। खेल इंसान को केवल शारीरिक ही नहीं, बल्कि सामाजिक, व्यावहारिक भावनात्मक और मानसिक रूप से भी सुदृढ़ बनाता है। इसलिए मेरा मानना है, कि एक सैनिक में सच्चा खिलाड़ी, और सच्चे खिलाड़ी में एक सैनिक हमेशा मौजूद होता है।
जिस भूमि पर आज हम सभी लोग उपस्थित हुए हैं, इसका इतिहास देखिए आप। यह खेल ही था जिसने एक शिवा नाम के बच्चे को छत्रपति शिवाजी महाराज बना दिया। गुरु रामदास, दादोजी कोंड देव और माता जीजाबाई ने बचपन से ही खेल-खेल में ऐसी शिक्षाएं उन्हें दीं, जिसने उन्हें एक राष्ट्र-नायक में बदल दिया। रक्षा और खेल का संबंध कोई नई बात नहीं है। इनका संबंध मैं समझता हूँ उतना ही पुराना है, जितना की मानव-सभ्यता। स्वतंत्र रूप में जिन्हें हम आज ‘खेल’ कहते हैं, प्रारंभ में वे दरअसल मानव की अपनी सुरक्षा के ही अंग रहे हैं। आज के अवसर पर स्टेडियम की रेनेमिंग, न केवल नए भारत की ऊर्जा को, बल्कि लंबे समय से चले आ रहे रक्षा और खेल के संबंधों को भी दिखाती है। रक्षामंत्री ने कहा कि हमारे यहां कहा भी गया भी गया है, कि ‘नास्ति उद्यम समो बंधु:’, यानि परिश्रम और प्रयास के समान मित्र दुनिया में कोई नहीं है। परिश्रम से मनुष्य हर लक्ष्य प्राप्त कर सकता है। मुझे पूरा विश्वास है कि एक दिन हमारा प्रदर्शन विश्व में सर्वश्रेष्ठ होगा।