माननीय न्यायाधीश मथुरा श्री विवेक संगल जी के निर्देशन में आज ऑनलाइन निरीक्षण एवं विधिक साक्षरता शिविर, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग…

माननीय न्यायाधीश मथुरा श्री विवेक संगल जी के निर्देशन में आज ऑनलाइन निरीक्षण एवं विधिक साक्षरता शिविर, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग…

का आयोजन जिला कारागार मथुरा में किया गया, इसकी अध्यक्षता सुश्री सोनिका वर्मा ने की…

उत्तर प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, लखनऊ तथा माननीय जनपद न्यायाधीश, मथुरा श्री विवेक संगल जी के निर्देशानुसार आज दिनांक 26.08.2021 को मध्यान्ह 02:30 बजे से कोविड-19 को दृष्टिगत रखते हुए ऑनलाइन निरीक्षण एवं विधिक साक्षरता शिविर का आयोजन जनपद न्यायालय, मथुरा से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जिला कारागार, मथुरा में किया गया। इस ऑनलाइन विधिक साक्षरता शिविर की अध्यक्षता सुश्री सोनिका वर्मा, सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, मथुरा द्वारा की गई। इस अवसर पर जिला कारागार, मथुरा के डिप्टी जेलर श्री अनूप कुमार तथा बंदीगण उपस्थित रहे।

ऑनलाइन निरीक्षण के दौरान डिप्टी जेलर श्री अनूप कुमार द्वारा बताया गया कि आज दिनांक 26.08.2021 को जिला कारागार, मथुरा में 1762 बंदी निरुद्ध हैं। बंदियों को प्रातः नाश्ते में चाय, पाव रोटी, गुड़ दिया गया था। दोपहर के खाने में अरहर की दाल, चावल, आलू-बैगन की सब्जी व रोटी दी गई।
ऑनलाइन विधिक साक्षरता शिविर में सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, मथुरा सुश्री सोनिका वर्मा द्वारा उपस्थित बंदियों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक किया गया। सचिव द्वारा बताया गया कि कानून के तहत किसी भी बंदी को उसके मौलिक अधिकारों से वंचित नहीं किया जा सकता है। कानून किसी कैदी के साथ दुर्व्यवहार या अमानवीय व्यवहार करने या फिर क्रूरता बरतने की इजाजत नहीं देता है। जेल में बंद कैदियों को शुद्ध पानी, पोष्टिक खाना, रोजगार और मेडिकल सुविधा पाने का मौलिक अधिकार है। यदि जेल में किसी कैदी के मौलिक अधिकारों का हनन होता है तो वह अनुच्छेद 32 के तहत सीधे माननीय सर्वोच्च न्यायालय और अनुच्छेद 226 के तहत सीधे माननीय उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटा सकता है।
जेल में कैदियों के साथ पशुओं की तरह बर्ताव नहीं किया जा सकता है। जेल प्रशासन और सरकार की जिम्मेदारी है कि वह जेल में बंद कैदियों को सभी सुविधा मुहैया कराए, जो रोजमर्रा की जिंदगी के लिए जरूरी है। जेल मैनुअल के मुताबिक कैदियों को स्वच्छ पानी, ताजा खाना, पहनने के लिए कपड़े, बिस्तर और मेडिकल सुविधा समेत ढेर सारी सुविधा दी जाती हैं। इसके अलावा कैदियों को मुफ्त में कानूनी सलाह, परिजनों को खत लिखने की सुविधा और मुलाकात करने की इजाजत, रोजगार आदि की इजाजत दी जाती है। कैदियों को सुबह का नाश्ता, दोपहर में खाना (लंच) और फिर रात में खाना (डिनर) दिया जाता है। नाश्ता, लंच और डिनर ताजा दिया जाता है। ठंडा या बासी खाना नहीं दिया जाता है। इसके अलावा अगर कैदी को खाने को लेकर किसी तरह की दिक्कत है, तो वह इसकी शिकायत भी कर सकता है। कैदियों को उनके सेहत की आवश्यकता और इलाके के वातावरण के मुताबिक खाना दिया जाए जाता है। कैदियों की खुराक मेडिकल अधिकारी की सलाह से निर्धारित की जाती है।
कैदियों के लिए अलग से हॉस्पिटल होता है, जिसमें डॉक्टर से लेकर दवाई इलाज की सभी सुविधा उपलब्ध होती हैं। मानसिक रोग के शिकार कैदियों के लिए मनोचिकित्सक भी रखे जाते हैं। इसके अलावा जेल में बंद कैदियों को मुफ्त में कानूनी मदद देने की भी व्यवस्था की गई है।

शिविर में उपस्थित बन्दीगण व जेल प्रशासन को सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, मथुरा सुश्री सोनिका वर्मा द्वारा कोरोना को दृष्टिगत रखते हुए बताया कि इस महामारी के दौर में माननीय उच्च न्यायालय तथा केंद्र व राज्य सरकार द्वारा जारी गाइडलाइन का पालन करना हम सब का कर्तव्य है और सर्वहित के लिए मास्क, सेनेटाइजर का प्रयोग व सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें तथा समय-समय पर हाथ धोते रहें। कोरोना संक्रमण को दृष्टिगत रखते हुए जेल प्रशासन को निर्देशित किया गया कि पॉजिटिव बन्दीयो को आइसोलेशन वार्ड में मास्क के प्रयोग के साथ उचित दूरी पर रखा जाए तथा चिकित्सीय सलाह के अनुसार बंदियों के स्वास्थ्य अनुरूप भोजन व दवा इत्यादि की व्यवस्था रहे।

ऑनलाइन निरीक्षण एवं विधिक साक्षरता शिविर में उपस्थित बंदियों से वार्ता की गई तथा उनके द्वारा बताई गई समस्याओं के समाधान हेतु जेल अधिकारियों को आवश्यक दिशा निर्देश दिए गए।

पत्रकार अमित गोस्वामी की रिपोर्ट…