बेसहारा गोवंश का सहारा बने आचार्य कन्हैया लाल दीक्षित गोशाला में लोगों के सहयोग से…
110 गोवंश का पालन पोषण गोशाला में नित्य नियम से सुनाया जा रहा हरिनाम संकीर्तन…
नीमगांव की श्रीसुमंगला गोशाला में हरिनाम संकीर्तन सुनाते भक्त…
गोवर्धन । तीर्थ स्थली गिरिराजजी धाम के देहात क्षेत्र में सड़को पर घूमते गोवंश की दुर्दशा को देख गांव भगौसा के नवयुवक आचार्य कन्हैया लाल दीक्षित का गो प्रेम जाग उठा तो उसने अपने घर में दस गोवंश की सेवा शुरु कर दी। वह यहीं नहीं रुका उसने धीरे-धीरे गो सेवा को विस्तार रुप दे दिया।और आज वह 110 गोवंश की सेवा कर रहा है। लेकिन गोसेवक को प्रशासन की ओर से कोई सुविधा नहीं मिल पा रही है। गोशाला को जाने वाला मार्ग जर्जर अवस्था में पड़ा हुआ हैं। गोशाला में लाइट की भी कोई व्यवस्था नहीं है। इसके चलते गोवंश और वहां सेवा कर रहे लोगों में प्रशासन के प्रति निराशा है।
गोवर्धन के निकटवर्ती छोटे से गांव भगौसा में रहने वाला नवयुवक कन्हैया लाल दीक्षित पेशे से कर्मकांडी पांडित्य है। 18 वर्ष की उम्र में कन्हैया लाल ने घर में गो वंश की सेवा की। इसके बाद उन्होंने दस गोवंश जुटा लिए। धीरे-धीरे गोसेवा का विस्तार कर लिया। अब उन्होंने नीमगांव में श्रीसुमंगला गोशाला का नाम देकर एक गोशाला का निर्माण किया है, वहां 110 गोवंश की सेवा हो रही है। कन्हैया लाल आचार्य का प्रेम यहीं नहीं रुका, वह गोशाला में नित्य नियम से साधु संत बुलाकर हरिनाम भजन संकीर्तन गोवंश को सुना रहे हैं।
आचार्य कन्हैया लाल दीक्षित ने बताया कि 18 वर्ष की उम्र में गो सेवा करना शुरु किया, आज भी कर रहे हैं। पहले गोवंश कम थे , लेकिन अब 110 गोवंशों की सेवा की जा रही हैं। उन्होंने बताया कि लोगों के सहयोग से गो सेवा हो रही है। गोवंश सड़कों पर घूम रहा है। सरकार से अनुदान नहीं मिलता, सरकार से सहयोग करें तो गोशाला का और विस्तार हो जाएगा। गोशाला को जाने वाला मार्ग भी जर्जर अवस्था में हैं। गोशाला में लाइट की भी कोई व्यवस्था नहीं है। विद्युत व्यवस्था के अभाव में गोवंश गर्मी से परेशान है।
पत्रकार अमित गोस्वामी की रिपोर्ट…