देश की शान महान धावक “फ्लाइंग सिख” मिल्खा सिंह नहीं रहे…
पत्नी निर्मल मिल्खा सिंह के साथ (फाइल फोटो) 👆
राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री सहित खेल जगत व फिल्म जगत दुखी: चंडीगढ़ में शाम को होगा अंतिम संस्कार…
पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान ने दिया था “फ्लाइंग सिख” नाम…
लखनऊ/चंडीगढ़। देश के लिए दुख भरी खबर ! फ्लाइंग सिख मिल्खा सिंह नहीं रहे। कुछ दिन पहले ही कोरोना निगेटिव आए थे मिल्खा सिंह, तबीयत बिगड़ने पर उन्हे चंडीगढ़ के अस्पताल में भर्ती कराया गया था। 91 साल की उम्र में जिंदगी की जंग हार गए मिल्खा सिंह के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा- हमने महान खिलाड़ी खो दिया। राष्ट्रपति, गृहमंत्री, कई राज्यों के मुख्यमंत्री एवं खेल जगत से जुड़े लोगों, अमिताभ बच्चन एवं अन्य तमाम लोगों ने मिल्खा सिंह के निधन पर गहरा दुःख व्यक्त किया है। फ्लाइंग सिख मिल्खा सिंह के शव को अंतिम दर्शन हेतु उनके निवास पर रखा जाएगा तथा कोविड नियमों के तहत शाम 5 बजे उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। देश के दमदार धावक व अपनी उपलब्धियों से दुनिया में भारत का नाम रोशन करने वाले एथलीट मिल्खा सिंह कोरोना से जूझने के बाद जिंदगी की जंग हार गए। इसी हफ्ते उनकी पत्नी निर्मल मिल्खा सिंह (85 वर्षीय) का देहांत भी कोरोना की वजह से हो गया था।
बताते चलें कि मिल्खा सिंह बीते दिनों कोरोना निगेटिव हुए थे, लेकिन अचानक से उनकी तबीयत नाजुक होने लगी इसके बाद उन्हें चंडीगढ़ के पीजीआई अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उनका अंतिम संस्कार आज शाम 5 बजे चंडीगढ़ के सेक्टर 25 स्थित श्मशान घाट में किया जाएगा। अंतिम दर्शन के लिए 3 बजे पार्थिव शरीर उनके सेक्टर 8 सिथित घर पर रखा जाएगा।
‘फ्लाइंग सिख’ की पत्नी भी कोरोना की जंग हारीं…..
इसी हफ्ते कोरोना से पत्नी की मौत हो जाने के बाद मिल्खा सिंह पत्नी के दाह संस्कार में भी शामिल नहीं हो सके थे, क्योंकि वे खुद भी आईसीयू में भर्ती थे। अस्पताल ने अपने स्टेटमेंट में बताया है ”मिल्खा सिंह 3 जून को PGIMER अस्पताल में भर्ती हुए थे, 13 तारीख तक यहां उनका कोरोना का इलाज चलता रहा अंततः वे कोरोना नेगेटिव आ गए। हालांकि बाद में कोविड दिक्कतें आने के कारण उन्हे कोविड अस्पताल से मेडिकल ICU में भर्ती किया गया, लेकिन डॉक्टरों की टीम के द्वारा की गई पूरी कोशिशों के बाद भी वे क्रिटिकल कंडीशन से बाहर नहीं आ सके और कल रात 11.30 बजे वे स्वर्ग के लिए प्रस्थान कर गए।
प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति सहित विपक्ष के नेता दुखी…..
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके निधन पर दुःख व्यक्त करते हुए कहा ”हमने एक महान खिलाड़ी खो दिया है” रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ट्वीट कर लिखा, ”मिल्खा सिंह एक बेहतरीन एथलीट और स्पोर्टिंग लेजेंड थे, उन्होने अपनी उपलब्धियों से देश को गौरवंतित महसूस कराया था। वह एक शानदार व्यक्ति थे। सपा प्रमुख यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने दुख जताते हुए कहा, ईश्वर उनकी आत्मा को शांति व शोकाकुल परिजनों को यह दुःख सहने की शक्ति प्रदान करें। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने लिखा, देश उनके योगदान को हमेशा याद रखेगा। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने लिखा, मिल्खा सिंह जी केवल स्पोर्ट्स स्टार नहीं थे वो करोड़ों लोगों की प्रेरणा के स्रोत थे, भारत अपने फ्लाइंग सिख को याद रखेगा। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने लिखा, ‘देश में जब भी उड़ान की कहानियां कही जाएंगी, तब एक ऐसी शख्सियत का नाम जरूर आएगा जिसने रेस के मैदान में देश और करोड़ों भारतीय युवाओं के सपनों को एक नई ऊंचाई दी।
फिल्म अभिनेता और मिल्खा सिंह पर बनीं फिल्म में मुख्य भूमिका निभाने वाले फरहान अख्तर ने संवेदना प्रकट करते हुए लिखा, मेरे मन का एक हिस्सा यह मानने को बिल्कुल राजी नहीं है कि आप नहीं रहें। हो सकता है यह जिद है. वही जिद जो मैंने आप से सीखी थी। महानायक अमिताभ बच्चन ने लिखा है- ”दुखद, मिल्खा सिंह चले गए, भारत के गौरव, एक महान एथलीट, एक महान इंसान, वाहेगुरु दी मेहर, प्रार्थनाएं…”।
बंटवारे में खोया आधे से ज्यादा परिवार. . . . .
‘फ्लाइंग सिख’ नाम से मशहूर मिल्खा सिंह का जन्म 1929 में पाकिस्तान के मुजफरगढ़ के गोविंदपुरा में हुआ था। उन्हे अपने जीवन में कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा। भारत और पाकिस्तान के बंटवारे के वक्त वे भारत आ गए, लेकिन उस दौरान उन्होने 14 में से 8 भाई बहनों और माता-पिता को खो दिया। इन सब यादों के साथ वो भारत आए और सेना में शामिल हो गए। सेना में भर्ती होना उनका सबसे जबरदस्त फैसला था, इस फैसले ने उनकी पूरी जिंदगी बदल दी और एक क्रॉस-कंट्री रेस ने उनके प्रभावशाली करियर की नींव रखी। इस दौड़ में 400 से अधिक सैनिक शामिल थे और इसमें उन्हें छठा स्थान हासिल किया था।
महान उपलब्धि: पिता पुत्र दोनों को मिला पद्मश्री…..
खेल जगत की तमाम उपलब्धियों के साथ ही फ्लाइंग सिख मिल्खा सिंह देश के पहले ऐसे व्यक्ति बने, जिसमें किसी एक परिवार से पिता पुत्र दोनों को देश का प्रतिष्ठित सम्मान “पद्मश्री” मिला हो। उनके परिवार में उनके बेटे गोल्फर जीव मिल्खा सिंह और 3 बेटियां हैं। चार बार के एशियाई खेलों के स्वर्ण पदक विजेता मिल्खा ने 1958 राष्ट्रमंडल खेलों में भी पीला तमगा हासिल किया था। उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन हालांकि 1960 के रोम ओलंपिक में था जिसमें वह 400 मीटर फाइनल में चौथे स्थान पर रहे थे। उन्होने 1956 और 1964 ओलिंपिक में भी भारत का प्रतिनिधित्व किया। उन्हें 1959 में पद्मश्री से नवाजा गया था। बताते चलें कि पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खां ने पहली बार मिल्खा सिंह को “फ्लाइंग सिख” का नाम दिया था जो उनकी पहचान बन गया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने दूसरे ट्वीट में लिखा- अभी कुछ दिन पहले ही मेरी मिल्खा सिंह जी से बात हुई थी। मुझे नहीं पता था कि यह हमारी आखिरी बातचीत होगी। कई ऐथलीट उनकी जीवन यात्रा से ताकत हासिल करेंगे। उनके परिवार और दुनिया भर में कई प्रशंसकों के प्रति मेरी संवेदनाएं।
“भाग मिल्खा भाग” के लिए एक रुपया लिया था….
दिग्गज धावक मिल्खा सिंह के जीवन पर ‘भाग मिल्खा भाग’ नाम से फिल्म भी बनी है। फिल्म अच्छी चली, उसकी कमाई का हिस्सा जब मिल्खा सिंह को देने का प्रयास किया गया, तो उन्होने मात्र एक रुपया लिया था। मिल्खा सिंह ने जीवन में कभी भी हार नहीं मानी। मिल्खा सिंह के बेटे जीव मिल्खा सिंह इंटरनैशनल स्तर पर एक जाना माना गोल्फर हैं। जीव ने दो बार एशियन टूर ऑर्डर ऑफ मेरिट जीता है। उन्होने साल 2006 और 2008 में यह उपलब्धि हासिल की थी। दो बार इस खिताब को जीतने वाले जीव भारत के एकमात्र गोल्फर हैं। वह यूरोपियन टूर, जापान टूर और एशियन टूर में खिताब जीत चुके हैं।
पद्मश्री से सम्मानित पिता-पुत्र की पहली जोड़ी…..
मिल्खा सिंह व उनके पुत्र को पद्मश्री सम्मान से नवाजा जा चुका है। ऐसे में मिल्खा सिंह और उनके बेटे जीव मिल्खा सिंह देश के ऐसे इकलौते पिता-पुत्र की जोड़ी है, जिन्हे खेल उपलब्धियों के लिए पद्मश्री मिला है। मिल्खा का जन्म अविभाजित भारत (वर्तमान पाकिस्तान) में हुआ, लेकिन वह आजादी के बाद हिंदुस्तान आ गए। मिल्खा की प्रतिभा और रफ्तार का यह जलवा था कि उन्हें पाकिस्तानी प्रधानमंत्री फील्ड मार्शल अयूब खान ने दिया था।
काश मिल्खा ने पीछे मुड़कर न देखा होता….!
जब भी मिल्खा सिंह का जिक्र होता है रोम ओलिंपिक में उनके पदक से चूकने का जिक्र जरूर होता है। एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था, ‘मेरी आदत थी कि मैं हर दौड़ में एक दफा पीछे मुड़कर देखता था। रोम ओलिंपिक में दौड़ बहुत नजदीकी थी और मैंने जबरदस्त ढंग से शुरुआत की। हालांकि, मैंने एक दफा पीछे मुड़कर देखा और शायद यहीं मैं चूक गया। इस दौड़ में कांस्य पदक विजेता का समय 45.5 था और मिल्खा ने 45.6 सेकंड में दौड़ पूरी की थी। (19 जून 2021)
विशेष संवाददाता विजय आनंद वर्मा की रिपोर्ट, , ,