दो लाख में सुपारी देकर इकलौते बेटे ने ही कराई थी किसान की हत्या…
मोदीनगर। 9 जून की रात खंजरपुर में किसान उम्मेद उर्फ टीटू की हत्या उसी के इकलौते बेटे विकास चौधरी ने दो लाख की सुपारी देकर कराई थी। पुलिस ने खुलासा करते हुए विकास चौधरी और दो शूटर्स को गिरफ्तार कर लिया है। शूटर्स की पहचान मोदीनगर के कृष्णा कुंज तिबड़ा रोड निवासी अरूण उर्फ मोती तथा भूपेंद्रपुरी तिबड़ा रोड निवासी भानू उर्फ कुल्हड़ के रूप में हुई है। इन्होंने ही घेर में गोलियां बरसाकर उम्मेद को मौत के घाट उतारा था। आरोपियों से हत्या में प्रयुक्त पिस्टल, तमंचा, कारतूस, बाइक और सुपारी की रकम में 75 हजार रुपये बरामद किए गए हैं। एसपी ग्रामीण डॉ. ईरज राजा ने बताया कि विकास चौधरी ने ही पिता की सुपारी देकर हत्या कराई थी। उसने शूटर्स अरुण व भानू को एक लाख रुपये एडवांस दिए थे, जबकि बाकी रकम काम होने के बाद देनी तय हुई थी। बाकी की रकम हत्या के बाद देना तय किया था। जिस वक्त शूटर्स ने उम्मेद पर गोलियां बरसाईं, उस वक्त विकास भी घेर से कुछ ही दूरी पर अन्य साथियों के साथ खड़ा हुआ था। लोगों व पुलिस को गुमराह करने के लिए वह बिलखते हुए थाने गया और अज्ञात हत्यारों के खिलाफ केस दर्ज कराया। एसपी ग्रामीण के मुताबिक पूछताछ में विकास ने बताया कि उसके पिता का चरित्र ठीक नहीं था और वह शराब पीने का आदी था। अवैध संबंधों के चलते पिता एक महिला पर सारी कमाई खर्च करता था। महिला के चक्कर में ही पिता ने सड़क किनारे की बेशकीमती जमीन के एक हिस्से का सौदा कर दिया था। विकास ने बताया कि उसका पिता परिवार को बर्बाद करने पर तुला हुआ था। काफी समझाने के बाद भी वह आदत से बाज नहीं आ रहा था। जिसके चलते पिता की हत्या के अलावा कोई दूसरा चारा नहीं था।
शूटर्स अरुण और भानू का किसान उम्मेद के मिलना-जुलना था। दोनों शूटर्स उम्मेद को मामा कहते थे। दो लाख रुपये का लालच मिलने पर दोनों उम्मेद की हत्या के लिए तैयार हो गए। उम्मेद रात में घेर में सोते थे और गेट में ताला लगा देते थे। घटना वाली रात दोनों शूटर्स ने मामा कहकर ही गेट खुलवाया। दोनों के अंदर जाते ही उम्मेद ने फिर से ताला लगा दिया। उम्मेद को गोलियों से छलनी करने के बाद दोनों शूटर्स भागने लगे तो ताला बंद मिला। जिसके चलते उन्हें 15 फुट ऊंची छत से कूदकर भागना पड़ा।
उम्मेद की हत्या के दौरान अरुण के तमंचे से चली गोली भानू के हाथ में जा लगी, जिससे वह भी लहूलुहान हो गया था। वहीं, छत से कूदते समय उसका पैर भी टूट गया। घर पहुंचने से पहले आरोपियों ने मेडिकल स्टोर से दवाई लेकर खुद ही पट्टी बांधी और खुद ही दर्द का इंजेक्शन भी लगाया। नाम प्रकाश में आने के बाद शूटर्स ने पुलिस को यह कहकर गुमराह करने की कोशिश की कि घटना में बागपत के बदमाश शामिल हैं। दोनों ने पुलिस को बदमाशों के नाम भी बताए, लेकिन पुलिस ने रिकार्ड खंगाला तो बदमाशों के नाम फर्जी निकले।
वर्ष 2019 में मोदीनगर में दीपेंद्र उर्फ दिप्पन की हत्या हुई थी। वर्चस्व की लड़ाई में हुई दीपेंद्र की हत्या तिबड़ा रोड निवासी अक्षय सांगवान ने साथी अरूण, भानू व एक अन्य के साथ मिलकर की थी। पुलिस ने हत्याकांड में चारों को जेल भेजा था। दीपेंद्र की हत्या के दौरान अक्षय सांगवान भी गोली लगने से घायल हो गया था, लिहाजा इलाज के आधार पर उसकी जमानत जल्दी हो गई थी। जबकि भानू व अरूण पिछले साल अक्टूबर महीने में जमानत पर रिहा हुए। पिछले साल अक्षय सांगवान की भी हत्या कर दी गई। इसके बाद से भानू व अरुण उसके परिवार की ढाल बने हुए थे।
हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट…