चित्रकूट शूटआउट/इनकाउंटर: 9 एमएम इटैलियन पिस्टल कैसे पहुंची जेल के अंदर….?
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30 अप्रैल को ही डीएम ने किया था जेल का निरीक्षण: चुन-चुनकर मारे जा रहे हैं मुख्तार के गुर्गे…
लखनऊ। हाई सिक्योरिटी वाली चित्रकूट जेल के अंदर कल दिन में शातिर अपराधी अंशु दीक्षित ने पश्चिमी यूपी के कुख्यात मुकीम काला व बाहुबली मुख्तार अंसारी के खास गुर्गे मेराजुद्दीन उर्फ भाई को 9 एमएम इटैलियन पिस्टल से दो-दो गोलियां मारी थीं, जबकि बाद में पुलिस ने करीब 22 गोलियां उसके शरीर में उतार दीं, जिनमें से ज्यादातर उसके शरीर के आर-पार हो गई। सबसे बड़ा सवाल ये बना हुआ कि जेल के अंदर इटैलियन पिस्टल पहुंची कैसे। चित्रकूट के जिलाधिकारी शुभ्रांत कुमार ने 30 अप्रैल को ही जेल का निरीक्षण किया था। अत्याधुनिक संचार प्रणाली, मेटल डिटेक्टर, सीसीटीवी कैमरों के अलावा नाइट विजन बाइनाकुलर की व्यवस्था भी जेल में हैं। मारे गए मेराजुद्दीन उर्फ भाई के शव का कल रात ही पोस्टमार्टम के बाद उसे परिजनों को सुपुर्द कर दिया गया था, जिसे आज दिन में गाजीपुर के करीमुद्दीन थाना क्षेत्र के माहेन गांव के कब्रिस्तान में दफना दिया गया।
2007 में बाइक चोरी में पकड़ा गया था मुकीम…
कैराना का रहने वाला मुकीम काला कभी मजदूरी कर परिवार का पेट पालता था। अपराध की दुनिया में पैर रखने के चंद वर्षों में ही पश्चिमी यूपी के अपराध जगत का बड़ा नाम बन गया था। यह वो नाम था, जिसे सुनकर शामली, कैराना, मुजफ्फरनगर, सहारनपुर, पानीपत, सोनीपत और देहरादून के कारोबारी, नेता, आम और खास लोग दहशत में आ जाते थे। उसकी दहशत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि कैराना और उसके आसपास से पलायन शुरू हो गया था। गांवों में लोगों ने अपने घरों के बाहर “मकान बिकाऊ है” का बोर्ड लगा दिए थे। मुकीम काला को सबसे पहले 2007 में हरियाणा के पानीपत में चांदनीबाग थाने के एसआई छबील सिंह ने बाइक चोरी के मामले में गिरफ्तार किया था। यूपी एसटीएफ की नोएडा यूनिट द्वारा 2015 में पकड़े जाने के बाद से वह जेल में था। उसे पहले सहारनपुर फिर महाराजगंज और फिर चित्रकूट जेल में रखा गया था।
एसओजी प्रभारी के घर पहुंच गया था धमकाने…
मुकीम काला का जब कैराना मे आंतक मचा तो शासन में भी हडक़ंप मच गया। शामली पुलिस को मुकीम की गिरफ्तारी के आदेश दिए गए। उस वक्त शामली एसओजी के प्रभारी सचिन मलिक थे। सचिन मलिक ने उसकी घेराबंदी शुरू की, जिससे वह बौखला गया। पहले उन्हे फोन पर धमकी देनी शुरू की और एक दिन सारी हद पर कर दीं, वह उनके घर तक परिवार को धमकाने पहुंच गया। जिसके बाद से ही मुकीम काला के बुरे दिन शुरू हुए। दिसबंर 2011 में पुलिस एनकाउंटर में मुस्तफा उर्फ कग्गा मारा गया जिसके बाद मुस्तकीम काला ने कग्गा के गैंग की बागडोर संभाल ली थी।
वर्चस्व की लड़ाई: मुख्तार के गुर्गे निशाने पर…..
पूर्वांचल में अपराधियों के बीच वर्चस्व के लिए लगातार आपसी रंजिश चलती रही है, वर्तमान में सभी के निशाने पर मुख्तार अंसारी का गिरोह है। करीब छह साल पहले मुख्तार के करीबियों पर हमले की शुरूआत हुई। अब तक इस गिरोह के प्रमुख लोगों में मुन्ना बजरंगी, उसके साले पुष्पजीत सिंह, मो. तारिक, पूर्व उप प्रमुख अजीत सिंह की हत्या हो चुकी है। वहीं गिरोह के दो प्रमुख किरदार भी चित्रकूट जेल में गैंगवार की भेंट चढ़ गये, इसमें मेराज व मुकीम काला का नाम शामिल है। इन दोनों की हत्या करने वालो अंशु दीक्षित भी कभी मुख्तार के लिए काम करता था। पूर्वांचल में मुन्ना बजरंगी ने 1995 में विधायक रामचंदर सिंह की हत्या कर दी। इसके बाद उसने मुख्तार का दामन थामा और उनके राजनीतिक पकड़ का फायदा उठाकर उसका ढाल बना। फिर ठेकों व जमीन के कारोबार में स्थापित हो गया। मऊ से तत्कालीन विधायक कृष्णानंद राय की हत्या के बाद से मुख्तार अंसारी के विरोधी उसके नाम से दहशत खाने लगे। दूसरे गिरोह भी अपनी साख बचाने व वर्चस्व कायम करने के लिए लगातार रास्ता तलाश रहे थे।मुख्तार के करीबी व ढाल बने मुन्ना बजरंगी को सबसे पहले निशाने पर लिया गया।
लखनऊ से शुरू हुआ हत्याओं का दौर. . . . .
मुन्ना बजरंगी की कमर तोड़ने के लिए सबसे पहले उसके साले पुष्पजीत सिंह उर्फ पीजे को निशाना बनाया गया। पुष्पजीत ही मुन्ना के सभी अवैध व वैध कारोबार को संभालता था। 5 मार्च 2016 में पुष्पजीत अपने दोस्त संजय मिश्रा के साथ एक समारोह में शामिल होने जा रहा था। विकासनगर इलाके में बाइक सवार बदमाशों ने ताबड़तोड़ फायरिंग कर पुष्पजीत व संजय की हत्या कर दी। इसके बाद मुन्ना और पुष्पजीत के करीबी मो. तारिक ने मजबूती से कारोबार को संभाला था, लेकिन उसे भी 2 दिसंबर 2017 की शाम को गोमतीनगर विस्तार इलाके के ग्वारी फ्लाईओवर पर गोलियों से भूनकर मौत की नींद सुला दिया गया।
बागपत जेल के अंदर हुई मुन्ना बजरंगी की हत्या….
9 जुलाई 2018 को बागपत जेल में मुन्ना बजरंगी की भी गोली मारकर हत्या कर दी गई। इस वारदात को अंजाम देने वाला सुनील राठी उसी जेल में बंद था। इसकी आशंका मुन्ना बजरंगी की पत्नी हत्या से एक महीने पहले जताया था। मुन्ना बजरंगी की हत्या के बाद इसी साल 6 जनवरी को मुख्तार के करीबी व मऊ के मुहम्मदाबाद गोहना के पूर्व उप प्रमुख अजीत सिंह की विभूतिखंड थाना क्षेत्र में ताबड़तोड़ गोलियां बरसाकर हत्या कर दी गई। इस वारदात को अंजाम देने के लिए पूर्वांचल व पश्चिमी उत्तर प्रदेश से आए शूटरों ने 50 राउंड से अधिक गोलियां चलाई थीं। इस हत्याकांड की साजिश रचने में पूर्वांचल के बाहुबली व पूर्व सांसद धनंजय सिंह का नाम सामने आने के बाद पुलिस ने उन पर 25 हजार रुपये का इनाम घोषित किया, वह इस मामले में फरार चल रहे हैं।
सीतापुर में पुलिस अभिरक्षा से फरार हुआ था अंशु…
सीतापुर जिले के मानकपुर कुड़रा बनी निवासी अंशु दीक्षित लखनऊ विवि में छात्र राजनीति करता था, यहीं से उसका संपर्क अपराधियों से हुआ। उसने विश्वविद्यालय के पूर्व महामंत्री/कांग्रेस नेता विनोद त्रिपाठी की 11 दिसंबर 2006 को लखनऊ में गोली मारकर हत्या कर दी। बताते हैं कि वारदात की रात में जय सिंह, अंशुल दीक्षित उर्फ अंशु व सुधाकर पांडेय के बीच किसी बात पर विवाद हुआ। इसी दौरान अंशु ने विनोद त्रिपाठी व गौरव सिंह को गोली मार दी थी। वारदात के कुछ दिन बाद पुलिस ने जय सिंह को मुठभेड़ में मार गिराया था। अंशु को पुलिस ने 2008 में गोपालगंज (बिहार) के भोरे में अवैध असलहों के साथ पकड़ा था। छह साल बाद ही वह पेशी से लौटते समय सीतापुर रेलवे स्टेशन पर सिपाहियों को जहरीला पदार्थ खिलाकर फायरिंग करते हुए फरार हो गया था। उस पर 50 हजार का इनाम घोषित हुआ था, उसके बाद उसकी लोकेशन भोपाल में मिली थी जिस पर एसटीएफ लखनऊ की टीम गिरफ्तारी के लिए वहां गई।
भोपाल में दरोगा व सिपाही को लगी थी गोली…..
एसटीएफ व भोपाल क्राइम ब्रांच की संयुक्त टीम के साथ उसकी गिरफ्तारी के लिए घेराबंदी की गई तो उसने पुलिस पर फायरिग शुरू कर दी। जिसमें एसटीएफ के दरोगा संदीप मिश्र को गोली लगी वहीं भोपाल क्राइम ब्रांच के सिपाही राघवेंद्र भी घायल हो गया था। भोपाल में अलकापुरी इलाके में अंशु गलत नाम-पते से किराए का मकान लेकर रह रहा था। हजरतगंज इलाके में स्थित डीआरएम कार्यालय के बाहर गोरखपुर के तिवारीपुर से तत्कालीन सभासद फैजी की हत्या व सीएमओ हत्याकांड में भी नाम आया था। उस पर भोपाल में भी पुलिस द्वारा 10 हजार रुपए का इनाम घोषित किया गया था। 2014 में पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया था। सुल्तानपुर जेल में बंद अंशु को 8 दिसंबर 2019 को चित्रकूट जेल भेजा गया था।
दो एफआईआर: 4 लोग लोग सस्पेंड, जांच जारी…
चित्रकूट जेल में हुए गैंगवार व इनकाउंटर के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सख्त रुख एवं मामले की प्रारंभिक रिपोर्ट आने के बाद अभी तक जेलर महेंद्र पाल, जेल अधीक्षक एसपी त्रिपाठी, हेड जेल वार्डर हरिशंकर व वार्डर संजय खरे को सस्पेंड किया जा चुका है। मामले की विस्तृत जांच रिपोर्ट आने के बाद अभी कुछ और लोगों के खिलाफ भी कार्रवाई हो सकती है। कमिश्नर और आईजी चित्रकूट के साथ डीआईजी जेल मुखयालय की कमेटी कर रही है मामले की जांच। अशोक कुमार सागर को नयि जेल अधीक्षक एवं सीपी त्रिपाठी को जेलर बनाया गया है। मामले में दो मुकदमें दर्ज कराए गए हैं। पहली एफआईआर जेल अधीक्षक एवं दूसरी एफआईआर सदर कोतवाल की ओर से दर्ज कराई गई है।
चित्रकूट जेल कांड की न्यायिक जाँच हो. . . . .
पूर्व आईपीएस अमिताभ ठाकुर तथा डॉ नूतन ठाकुर ने चित्रकूट जेल के कथित गैंगवार तथा एनकाउंटर के बाद ् मारे गए गैंगस्टर अंशु दीक्षित के एक कथित पुराने वायरल विडियो में कही जा रही बातों के आधार पर मामले की न्यायिक जाँच की मांग की है। मुख्यमंत्री को भेजे अपने पत्र में उन्होने कहा कि विडियो में अंशु दीक्षित ने अन्य बातों के अलावा यह भी कहा था कि जेल प्रशासन व आईजी एसटीएफ अमिताभ यश उनकी हत्या की साजिश रच रहे थे। उसके द्वारा कहा गया था कि यदि उसकी हत्या होती है तो इसका सीधा आरोप आईजी एसटीएफ अमिताभ यश व जेल प्रशासन के अफसरों पर लगाया जाये। अमिताभ ठाकुर व नूतन ठाकुर ने कहा कि चित्रकूट जेल में घटित घटना अंशु दीक्षित द्वारा लगाये गए पूर्वानुमान से काफी मिलता है, जो इस घटना को अत्यंत संदिग्ध बना देता है। (15 मई 2021)
विशेष संवाददाता विजय आनंद वर्मा की रिपोर्ट, , ,