पहले स्थगन खारिज किया फिर उसी मामले में दे दिया…
भोपाल,12 मई। भोपाल के उपपंजीयक कोर्ट में अपनी तरह का एक मामला सामने आया है। कोर्ट ने जिस स्थगन को खारिज कर दिया था, उसी मामले में डेढ़ माह बाद (28 अप्रैल को) दोबारा स्थगन दे दिया है। मामला भोपाल सहकारी दुग्ध संघ से जुड़ा है। कोर्ट ने स्थगन ठेका श्रमिक फर्म मेसर्स गोपाल विश्वास को दिया है। यह फर्म भोपाल सहकारी दुग्ध संघ में ठेका श्रमिक सप्लाई करती है, जिसे भोपाल संघ प्रदेश के अन्य पांच संघों की तुलना में नौ फीसद अधिक सेवा शुल्क चुका रहा है। कोर्ट द्वारा दोबारा दिए गए स्थगन के बाद संघ को नए सिरे से ठेका श्रमिक रखने के लिए जारी टेंडर को निरस्त करना पड़ा है। दरअसल, मेसर्स गोपाल विश्वास फर्म बीते दस साल से भोपाल संघ में श्रमिक सप्लाई का काम कर रही है। इस फर्म का टेंडर कई बार बढ़ाया गया है। नए सिरे से जब भी टेंडर की बात आती है तो कुछ न कुछ अड़ंगे लगा दिए जाते हैं। उक्त फर्म को दूसरे दुग्ध संघों की तुलना में भोपाल संघ नौ फीसद अधिक सेवा शुल्क भुगतान भी कर रहा है, इस तरह सालों में करीब 66 करोड़ रुपय से अधिक का भुगतान किया जा चुका है। जानकारों का कहना है कि इसका असर उपभोक्ता और किसानों पर पड़ रहा है, क्योंकि संघ अधिक भुगतान कर रहा है और घाटे की भरपाई के लिए उपभोक्ताओं को बेचे जाने वाले दूध की कीमतें बढ़ा रहा है। बताया जा रहा है कि भोपाल संघ ने ही मामले में स्थगन खारिज कराया था। अब न्यायिक सहकारी संस्थाएं जिला भोपाल के उप पंजीयक बबलू सातनकर ने उक्त मामले में सुनवाई 19 मई को तय की है। ठेका फर्म ने स्थगन के लिए नए सिरे से जो पक्ष प्रस्तुत किया है, उसमें प्रशासक की कार्रवाई पर सवाल उठाए हैं।
हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट…