रमजान मुबारक में अफजल तरीन अमल रोजा रखना है : मुफ़्ती इकबाल कासमी

रमजान मुबारक में अफजल तरीन अमल रोजा रखना है : मुफ़्ती इकबाल

कासमी

कानपुर। रमजान के पाक महीने में लोगों ने रब के बताए हुए तरीके के अनुसार रोजे गुज़ारे गए है। जिससे हमारे अंदर तकवा यानी बुरे कामो से परहेज आया है। यह महीना धीरे धीरे खत्म की ओर जा रहा है। रमजान मुबारक में अफजल तरीन अमल रोजा रखना है। इसके बाद तरावीह व कलाम पाक की तिलावत है, बाकी ज़िक्र व इस्तेगफार, तहज्जुद की नमाज आदि है। इस महीने मे हमे बतौर प्रशिक्षण अपने नफ़्स (इंद्रियों) पर नियंत्रण पाने का महीना है, इसमें रोजा रखना व इबादत करने से अपने नफ़्स पर कंट्रोल पावर हासिल होता है। रमजान के महीने के बाद भी हम अल्लाह के बताए हुए तरीके पर ही ज़िन्दगी गुजारे। गुनाह करने से बचे।ऐसे में रमजान के महीने में कमाई गई नेकियों की हिफाजत करें। यह बातें शनिवार को मुफ़्ती इकबाल अहमद कासमी कुल हिन्द इस्लामिक इल्मी अकादमी की अल-शरिया हेल्पलाइन से पूछे गए प्रश्नों के उत्तर में कही। कुल हिन्द इस्लामिक इल्मी अकादमी कानपुर की अल-शरिया हेल्पलाइन से पूछे गए प्रश्नों के उत्तर प्रश्न:- बगैर जबान हिलाये क्या तिलावत कर सकते हैं? उत्तर:- तिलावत जबान से कुरआन मजीद के शब्दों को पढ़ने का नाम है, जबान से ना पढ़े और सिर्फ दिल में ख्याल करे तो तिलावत को सवाब नहीं मिलेगा। प्रश्न:- रमजान मुबारक का अफजल तरीन अमल क्या है ? उत्तर:- रमजान मुबारक में अफजल तरीन अमल रोजा रखना है, इसके बाद तरावीह व कलाम पाक की तिलावत है, बाकी ज़िक्र व इस्तेगफार, तहज्जुद की नमाज आदि है। प्रश्न :- क्या अमीर व गरीब, और निकट सम्बन्धियों को इफ्तार कराने का सवाब बराबर है? उत्तर:- इफ्तार कराने का सवाब बराबर है, गरीब की खिदमत और अमीर के साथ अच्छे व्यवहार का सवाब अलग है। प्रश्न:- अगर किसी व्यक्ति ने रोजा नहीं रखा तो क्या उस पर सदका ए फित्र वाजिब है? उत्तर:- अगर किसी ने रोजा नहीं रखा है, उस पर भी सदका ए फित्र वाजिब है और जिसने रखा है उस पर भी वाजिब है।