राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने आज राजभवन से इलाहाबाद संग्रहालय, प्रयागराज द्वारा आयोजित…
दाण्डी यात्रा-एवं आत्मनिर्भर भारत एक चर्चा’ विषयक संगोष्ठी तथा ‘एकल प्रदर्श प्रदर्शनी’ का आॅनलाइन उद्घाटन…
लखनऊ 14 अप्रैल। उत्तर प्रदेश की राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने आज राजभवन से इलाहाबाद संग्रहालय, प्रयागराज द्वारा आयोजित ‘दाण्डी यात्रा-एवं आत्मनिर्भर भारत एक चर्चा’ विषयक संगोष्ठी तथा ‘एकल प्रदर्श प्रदर्शनी’ का आॅनलाइन उद्घाटन करते हुए कहा कि महात्मा गांधी की दाण्डी यात्रा भारत की पहली आत्मनिर्भर यात्रा थी, जिसके द्वारा अंग्रेजी शासन के विरूद्ध स्वदेशी नमक बनाकर देश को आत्मनिर्भर करने का प्रयास किया गया। उन्होंने कहा कि 12 मार्च, 1930 को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी ने अहमदाबाद के साबरमती आश्रम से दाण्डी मार्च की शुरूआत करके अपनी अहिंसात्मक ताकत का परिचय दिया था।
राज्यपाल ने कहा कि प्रयागराज जो उस समय इलाहाबाद के नाम से जाना जाता था, वह स्वाधीनता आन्दोलन का बहुत बड़ा केन्द्र था। दाण्डी में महात्मा गांधी द्वारा बनाये गए नमक का एक हिस्सा 13 अप्रैल, 1930 को प्रयागराज लाया गया। यह दाण्डी-नमक इलाहाबाद वासियों के लिए कोई मामूली नमक नहीं था, अपितु देश में हजारों की संख्या में स्वाधीनता की अपेक्षा रखने वाले भारतवासियों के लिए एक जगी हुई उम्मीद की किरण थी। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी ने देश के दर्द को महसूस किया और नमक सत्याग्रह के रूप में लोगांे की नब्ज को समझा। इसलिए यह आन्दोलन जन-जन का आन्दोलन बन गया था। उन्होंने कहा कि इलाहाबाद संग्रहालय में सुरक्षित दाण्डी में बनाये गये नमक का अपना ऐतिहासिक महत्व है।
श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने कहा कि 15 अगस्त, 2022 को भारत अपनी स्वतंत्रता संग्राम की 75वीं वर्षगांठ मनाने जा रहा है। देशवासियों में देशभक्ति की भावना जगाने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इसके लिये ‘अमृत महोत्सव’ मनाये जाने का निर्णय लिया है, जो सभी के लिये खुशी का अवसर है। उन्होंने कहा कि यह अमृत महोत्सव पूरे एक साल तक मनाया जायेगा। इसकी शुरूआत 12 मार्च, 2021 को प्रधानमंत्री जी द्वारा की जा चुकी है। राज्यपाल ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि इस प्रदर्शनी और संगोष्ठी के माध्यम से इलाहाबाद संग्रहालय ‘अमृत महोत्सव’ में अपना योगदान दे रहा है।
राज्यपाल ने इलाहाबाद संग्रहालय, प्रयागराज को निर्देशित करते हुए कहा कि आजादी की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर स्वाधीनता संग्राम से जुड़ी 75 घटनाओं की खोज करें और उनका विवरण तैयार कर राजभवन भेंजे, ताकि उस पर नई रूपरेखा तैयार कर विस्तृत चर्चा की जा सके। उन्होंने कहा कि इस कार्य में विश्वविद्यालयों के कुलपतियों, शिक्षकों, विद्वानों, शोधार्थियों और छात्र-छात्राओं का सहयोग लिया जा सकता है। उन्होंने कहा कि आजादी का इतिहास युवा पीढ़ी को अवश्य पता होना चाहिए। यह इतिहास आत्मनिर्भर भारत की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
इस अवसर पर संग्रहालय के निदेशक सुनील गुप्ता, पर्यावरण विद् हसन नकवी, इलाहाबाद विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डाॅ0 ओ0एन0 वानखेड़े, शिक्षाविद् डाॅ0 राजेश मिश्र, प्रो0 अनामिका राय सहित अन्य गणमान्य लोग आॅनलाइन जुड़े हुए थे।
हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट…