उ0प्र0 की सत्तासीन भाजपा सरकार के चार वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में जिस प्रकार सामान्य एवं सोशल…
मीडिया के माध्यम से प्रदेश सरकार की उपलब्धियों का अतिशयोक्तिपूर्ण एवं भ्रामक प्रचार किया जा रहा…
लखनऊ 23 मार्च। उ0प्र0 की सत्तासीन भाजपा सरकार के चार वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में जिस प्रकार सामान्य एवं सोशल मीडिया के माध्यम से प्रदेश सरकार की उपलब्धियों का अतिशयोक्तिपूर्ण एवं भ्रामक प्रचार किया जा रहा है, उस पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुये राष्ट्रीय लोकदल के राष्ट्रीय प्रवक्ता अनुपम मिश्रा ने पत्रकार वार्ता में सरकार से कुछ अति महत्वपूर्ण सवाल पूछे हैं। श्री मिश्र ने कहा कि दैनिक प्रशासनिक कार्यकलापों को अपनी उपलब्धियों की सूची में शामिल करना स्वयं इस बात का द्योतक है कि सरकार के पास राजकीय/प्रशासकीय कार्यो के नाम पर कोई उपलब्धि नहीं है। सुबह अखबार पढ़ने बैठे तो ऐसा लगा कि भाजपा की कोई पत्रिका पढ़ रहे हैं, क्योंकि पूरा अखबार विज्ञापन व प्रायोजित लेखों से पटा पड़ा था।
अनुपम मिश्रा ने कहा कि हलाकि नीति और नीयत तो हर सरकार की अपनी होती है लेकिन उसकी परख तो यर्थात के धरातल पर होती है। 19 मार्च 2017 को सूबे की कमान सभांलने वाले मुख्यमंत्री ने पिछले चार वर्षो में सिर्फ पुरानी योजनाओं के फीते काटे हैं और धरातल पर गाय, गोबर, गोमूत्र, गौशाला, दीप प्रज्जवलन, लव जिहाद, साम्प्रदायिकता, हिन्दु मुस्लिम, तीर्थ यात्रा, अयोध्या, काषी, मथुरा की बातकर मुख्य विषयों से ध्यान भटकाते रहे हैं। अगले वर्ष चुनाव समीप आते देख मुख्यमंत्री घबराये और चाटुकार नौकरशाहों को तलब कर जमीनी हकीकत का जायजा लिया तो सीएम के होश उड़ गये।
चलिए सरकार द्वारा की जा रही आत्म प्रशंसा पर एक नजर डालते हैंः-
1. ईज आफ डूइंग बिजनेस रैकिंग में देश में प्रदेश के दूसरे स्थान का प्रचार प्रसार करने से पहले आप यह क्यूं भूल जाते हैं कि हकीकत किसी से छिपी नहीं रहती। सवाल यह है कि वह कौन सी एजेन्सी थी जिसने यह सर्वेक्षण किया? उसके पैमाने/मानक क्या थे? उसकी प्रासंगिकता क्या है? उसने किस मुख्य विषय को आधार बनाकर यू0पी0 को दूसरा स्थान दे दिया?
2. देष की दूसरी बड़ी अर्थव्यवस्था में प्रति व्यक्ति आय दुगुनी हुयी तो पहली बड़ी अर्थव्यवस्था कौन सी है? किस आधार पर प्रति व्यक्ति आय दुगुनी होने का दावा किया जा रहा है, और सबसे अहम सवाल यह है कि क्या प्रतिव्यक्ति आय में बढ़ोत्तरी का बढ़ती मंहगाई के साथ समानुपातिक आंकलन किया गया?
3. बेरोजगारी दर 2017 में 17.5 प्रतिषत की जोकि मार्च 2021 में 4.1 प्रतिषत हो गयी। (24 करोड़ का 17.5 प्रतिशत त्र ?, अर्थात 13.4 प्रतिशत और लोगों को रोजगार मिला क्या?) रोजगार कहां मिला, किस क्षेत्र में मिला, संगठित या असंगठित, सरकारी या निजी क्षेत्र? कहीं यह बेरोजगारी पंजीकरण के आंकड़ों में खेल तो नहीं?
4. क्या परियोजनाओं के फीते काटने व शिलान्यास करने मात्र से ही विकास हो जाता है ? यदि ऐसा होता तो हम विश्व में तीस साल पूर्व ही नम्बर एक पर पहुंच गये होते।
5. 40 लाख से अधिक प्रधानमंत्री आवास निर्मित/स्वीकृत किये जाने का दावा किया गया है। पहले स्वयं पुष्टि कर लीजिए कि निर्मित है या स्वीकृत ? अगर निष्पक्ष जांच का दी जाएं तो सरकार को मुंह छिपाने की जगह नहीं मिलेगी।
6. प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि किन किन खातों में गई, कितना भ्रष्टाचार बैंको में किया गया? राजधानी से चंद किमी दूर गांवों तक तो लोगों को पैसा मिला नहीं और आप करोड़ों के आंकड़े दिखा रहे हो।
7. प्रधानमंत्री आवास/शौचालय के निर्माण/खाद्यान्न वितरण/आत्मनिर्भर भारत योजना/प्रधानमंत्री गरीब योजना/मनरेगा आदि की ईमानदारी से जांच करा दी जाय तो 90 प्रतिषत सीडीओ/बीडीओ/लेखपाल/सचिव जैसे अधिकारी जेल की सलाखों के पीछे होंगे। प्रदेश सरकार द्वारा अपने कार्यकर्ताओं पार्टी एजेन्टों व प्रभावशाली लोगों (अपात्रों) को छोड़कर भारी संख्या में पात्र योजनाओं का लाभ पाने के लिए आज भी दर दर भटक रहे हैं।
8. प्रधानमंत्री जन आरोग्य बीमा/मुख्यमंत्री जन आरोग्य बीमा के अन्र्तगत 5 लाख की बीमा सुरक्षा की बात सिर्फ अपनी पीठ थपथपाने जैसा है। धरातल पर सब कुछ धुंधला है।
9. आत्मनिर्भर भारत योजना के अन्र्तगत ऋण वितरण में भ्रष्टाचार और कमीषन खोरी का बोलबाला है।
10. गन्ना किसानों के लिए क्या वादा किया गया था? आगे भुगतान कितना किया यह महत्वपूर्ण नहीं है बल्कि महत्वपूर्ण यह है कि बकाया कितना है और क्यों है? बकाये के भुगतान का वादा कितने दिनों का था?
11. न्यूनतम समर्थन मूल्य के अन्र्तगत 378 लाख मी0 टन खाद्यान्न की खरीद व 36 हजार करोड़ रूपये के भुगतान का दावा किया गया है। यह भुगतान मुटठी भर किसानों को ही मिल पाया और अभी भी अधिसंख्य किसान औने पौने दामों पर ही बेच पाते हैं। आपने एमएसपी पर अवश्य खरीदा होगा, मगर किसानों से ही नहीं बिचौलियों से।
12. कोरोना प्रबन्धन में कई राज्यांे ने आपसे बेहतर कार्य किया है, भले ही उन्हें प्रशंसा न मिली हो पर वे सतत रूप से कार्य कर रहे हैं।
13. 1.38 करोड़ घरो को निशुल्क बिजली कनेक्शन दिये जाने का दावा सिर्फ कागजों पर है। हकीकत यह है कि गांवों में खम्भे लगे नहीं है पर घरों में मीटर लगा दिये गये हैं। अगर किसी गांव में खम्भे गाड़ दिये गये तो उसे भी विद्युतीकरण मान लिया गया।
14 1.47 करोड़ परिवारों को निःषुल्क गैस कनेक्शन एक बिजनेस रणनीति प्रतीत होती है। गैस कनेक्शन दे दो फिर भरवाने आयेगा तो वसूलेंगे। गैस सिलेंडर के दाम आसमान पर है और गांवों में अधिसंख्य लोगों की आर्थिक स्थिति गैस भराने की नहीं हैं। आप भावनात्मक भाषण देकर पहले सब्सिडी छीनते हैं और फिर उसी पैसे से गांव वालों को मुफ्त कहकर गैस कनेक्षन देते हैं और इस तरह उद्योगपतियों को एक बड़ा बाजार उपलब्ध करा देते हैं।
15 1.35 लाख सरकारी स्कूलों की कायाकल्प का दावा किया गया है। कैसा कायाकल्प किया गया? षिक्षा का स्तर बढ़ाया गया, आधारभूत ढांचा बदला गया? षिक्षकों की गुणवत्ता बढ़ायी गयी? क्या बच्चों की संख्या बढ़ी?
बड़े बड़े दावों के समक्ष ऐसे बहुत से अनुत्तरित प्रष्न हैं जिनका संतोषजनक उत्तर सरकार को देना होगा। बेहतर तो तब होता जब जनता प्रशंसा करती। सरकार द्वारा करदाता के धन को विकास कार्यो में खर्च करने के स्थान पर (सरकारी धन) अपनी उपलब्धियों के प्रचार प्रसार पर व्यय किया जाने वाला धन इस बात की स्वयं पुष्टि करता है कि सरकार धरातल पर फेल हो चुकी है।
अनुपम मिश्रा ने कहा कि हलाकि नीति और नीयत तो हर सरकार की अपनी होती है लेकिन उसकी परख तो यर्थात के धरातल पर होती है। 19 मार्च 2017 को सूबे की कमान सभांलने वाले मुख्यमंत्री ने पिछले चार वर्षो में सिर्फ पुरानी योजनाओं के फीते काटे हैं और धरातल पर गाय, गोबर, गोमूत्र, गौशाला, दीप प्रज्जवलन, लव जिहाद, साम्प्रदायिकता, हिन्दु मुस्लिम, तीर्थ यात्रा, अयोध्या, काषी, मथुरा की बातकर मुख्य विषयों से ध्यान भटकाते रहे हैं। अगले वर्ष चुनाव समीप आते देख मुख्यमंत्री घबराये और चाटुकार नौकरशाहों को तलब कर जमीनी हकीकत का जायजा लिया तो सीएम के होश उड़ गये।
चलिए सरकार द्वारा की जा रही आत्म प्रशंसा पर एक नजर डालते हैंः-
1. ईज आफ डूइंग बिजनेस रैकिंग में देश में प्रदेश के दूसरे स्थान का प्रचार प्रसार करने से पहले आप यह क्यूं भूल जाते हैं कि हकीकत किसी से छिपी नहीं रहती। सवाल यह है कि वह कौन सी एजेन्सी थी जिसने यह सर्वेक्षण किया? उसके पैमाने/मानक क्या थे? उसकी प्रासंगिकता क्या है? उसने किस मुख्य विषय को आधार बनाकर यू0पी0 को दूसरा स्थान दे दिया?
2. देष की दूसरी बड़ी अर्थव्यवस्था में प्रति व्यक्ति आय दुगुनी हुयी तो पहली बड़ी अर्थव्यवस्था कौन सी है? किस आधार पर प्रति व्यक्ति आय दुगुनी होने का दावा किया जा रहा है, और सबसे अहम सवाल यह है कि क्या प्रतिव्यक्ति आय में बढ़ोत्तरी का बढ़ती मंहगाई के साथ समानुपातिक आंकलन किया गया?
3. बेरोजगारी दर 2017 में 17.5 प्रतिषत की जोकि मार्च 2021 में 4.1 प्रतिषत हो गयी। (24 करोड़ का 17.5 प्रतिशत त्र ?, अर्थात 13.4 प्रतिशत और लोगों को रोजगार मिला क्या?) रोजगार कहां मिला, किस क्षेत्र में मिला, संगठित या असंगठित, सरकारी या निजी क्षेत्र? कहीं यह बेरोजगारी पंजीकरण के आंकड़ों में खेल तो नहीं?
4. क्या परियोजनाओं के फीते काटने व शिलान्यास करने मात्र से ही विकास हो जाता है ? यदि ऐसा होता तो हम विश्व में तीस साल पूर्व ही नम्बर एक पर पहुंच गये होते।
5. 40 लाख से अधिक प्रधानमंत्री आवास निर्मित/स्वीकृत किये जाने का दावा किया गया है। पहले स्वयं पुष्टि कर लीजिए कि निर्मित है या स्वीकृत ? अगर निष्पक्ष जांच का दी जाएं तो सरकार को मुंह छिपाने की जगह नहीं मिलेगी।
6. प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि किन किन खातों में गई, कितना भ्रष्टाचार बैंको में किया गया? राजधानी से चंद किमी दूर गांवों तक तो लोगों को पैसा मिला नहीं और आप करोड़ों के आंकड़े दिखा रहे हो।
7. प्रधानमंत्री आवास/शौचालय के निर्माण/खाद्यान्न वितरण/आत्मनिर्भर भारत योजना/प्रधानमंत्री गरीब योजना/मनरेगा आदि की ईमानदारी से जांच करा दी जाय तो 90 प्रतिषत सीडीओ/बीडीओ/लेखपाल/सचिव जैसे अधिकारी जेल की सलाखों के पीछे होंगे। प्रदेश सरकार द्वारा अपने कार्यकर्ताओं पार्टी एजेन्टों व प्रभावशाली लोगों (अपात्रों) को छोड़कर भारी संख्या में पात्र योजनाओं का लाभ पाने के लिए आज भी दर दर भटक रहे हैं।
8. प्रधानमंत्री जन आरोग्य बीमा/मुख्यमंत्री जन आरोग्य बीमा के अन्र्तगत 5 लाख की बीमा सुरक्षा की बात सिर्फ अपनी पीठ थपथपाने जैसा है। धरातल पर सब कुछ धुंधला है।
9. आत्मनिर्भर भारत योजना के अन्र्तगत ऋण वितरण में भ्रष्टाचार और कमीषन खोरी का बोलबाला है।
10. गन्ना किसानों के लिए क्या वादा किया गया था? आगे भुगतान कितना किया यह महत्वपूर्ण नहीं है बल्कि महत्वपूर्ण यह है कि बकाया कितना है और क्यों है? बकाये के भुगतान का वादा कितने दिनों का था?
11. न्यूनतम समर्थन मूल्य के अन्र्तगत 378 लाख मी0 टन खाद्यान्न की खरीद व 36 हजार करोड़ रूपये के भुगतान का दावा किया गया है। यह भुगतान मुटठी भर किसानों को ही मिल पाया और अभी भी अधिसंख्य किसान औने पौने दामों पर ही बेच पाते हैं। आपने एमएसपी पर अवश्य खरीदा होगा, मगर किसानों से ही नहीं बिचौलियों से।
12. कोरोना प्रबन्धन में कई राज्यांे ने आपसे बेहतर कार्य किया है, भले ही उन्हें प्रशंसा न मिली हो पर वे सतत रूप से कार्य कर रहे हैं।
13. 1.38 करोड़ घरो को निशुल्क बिजली कनेक्शन दिये जाने का दावा सिर्फ कागजों पर है। हकीकत यह है कि गांवों में खम्भे लगे नहीं है पर घरों में मीटर लगा दिये गये हैं। अगर किसी गांव में खम्भे गाड़ दिये गये तो उसे भी विद्युतीकरण मान लिया गया।
14 1.47 करोड़ परिवारों को निःषुल्क गैस कनेक्शन एक बिजनेस रणनीति प्रतीत होती है। गैस कनेक्शन दे दो फिर भरवाने आयेगा तो वसूलेंगे। गैस सिलेंडर के दाम आसमान पर है और गांवों में अधिसंख्य लोगों की आर्थिक स्थिति गैस भराने की नहीं हैं। आप भावनात्मक भाषण देकर पहले सब्सिडी छीनते हैं और फिर उसी पैसे से गांव वालों को मुफ्त कहकर गैस कनेक्षन देते हैं और इस तरह उद्योगपतियों को एक बड़ा बाजार उपलब्ध करा देते हैं।
15 1.35 लाख सरकारी स्कूलों की कायाकल्प का दावा किया गया है। कैसा कायाकल्प किया गया? षिक्षा का स्तर बढ़ाया गया, आधारभूत ढांचा बदला गया? षिक्षकों की गुणवत्ता बढ़ायी गयी? क्या बच्चों की संख्या बढ़ी?
बड़े बड़े दावों के समक्ष ऐसे बहुत से अनुत्तरित प्रष्न हैं जिनका संतोषजनक उत्तर सरकार को देना होगा। बेहतर तो तब होता जब जनता प्रशंसा करती। सरकार द्वारा करदाता के धन को विकास कार्यो में खर्च करने के स्थान पर (सरकारी धन) अपनी उपलब्धियों के प्रचार प्रसार पर व्यय किया जाने वाला धन इस बात की स्वयं पुष्टि करता है कि सरकार धरातल पर फेल हो चुकी है।
हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट…