गांधी आश्रम शताब्दी वर्ष के अंतर्गत खादी, स्वदेशी एवं स्वालंबन की…

गांधी आश्रम शताब्दी वर्ष के अंतर्गत खादी, स्वदेशी एवं स्वालंबन की…
थीम पर आधारित आत्मनिर्भर भारत यात्रा मंगलवार को बाराबंकी से लखनऊ पहुंची…
लखनऊ 23 मार्च। श्री गांधी आश्रम शताब्दी वर्ष के अंतर्गत खादी, स्वदेशी एवं स्वालंबन की थीम पर आधारित आत्मनिर्भर भारत यात्रा मंगलवार को बाराबंकी से लखनऊ पहुंची। यह यात्रा में शामिल लोगों ने आजादी के अमर शहीदों के स्मारकों पर भ्रमण कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित किया।
यात्रा के संयोजक गांधीवादी चिन्तक राजनाथ शर्मा के नेतृत्व में संचालित यात्रा का पहला पड़ाव मोती महल लाॅन पर था। जहां आचार्य नरेंद्र देव व चंद्रभानु गुप्त के समाधि स्थल पर पुष्प अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी गई। जहां से पूर्व मंत्री शारदा प्रताप शुक्ला ने यात्रा को रवाना किया। मोती महल लॉन से यह यात्रा हजरतगंज पहुंची। जहां महात्मा गांधी, सरदार पटेल व डाॅ. भीमराव अम्बेडकर की प्रतिमाओं पर माल्यार्पण किया गया। तदोपरान्त यात्रा काकोरी स्थित काकोरी स्मृति स्थल पर पहुंची। जहां काकोरी के अमर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई। वहीं स्वदेशी आन्दोलन के जनक एवं स्वतंत्रता संग्राम सेनानी मौलाना हसरत मोहनी के जन्मस्थल पर पहुंच कर उन्हें श्रद्धांजलि दी और गौसिया मस्जिद से मदरसा तक पदयात्रा निकालकर जनजनगरण का कार्य किया गया।
इस मौके पर यात्रा संयोजक राजनाथ शर्मा ने बताया कि यह कार्यक्रम महात्मा गांधी के सपनों को साकार करने और भारत को आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से किया जा रहा है। गांधी जी कहते थे कि चरखे में बड़ी ताकत है। वह ताकत अहिंसा की ताकत है। हमने चरखा चलाया, पर उसे अपनाया नहीं। आज जो हालत है, उसके जिम्मेदार हम ही हैं। अगर हमें अहिंसक शक्ति बढ़ानी है तो फिर से चरखे को अपनाना होगा और उसका पूरा अर्थ समझना होगा।
पूर्व मंत्री शारदा प्रताप शुक्ल ने कहा कि आज गांधी जी को याद करने का मतलब है उस चरखे की तलाश जिसके इस्तेमाल से अहिंसा और एका की ताकत मिलती हो, गैर बराबारियां दूर होती हों। क्योंकि गांधी जी के लिये चरखा, अहिंसा, स्वराज एकता की रुहानी ताकत थी। आर्थिक बदलाव का मजबूत औजार था। हमें उनके चरखा दर्शन को जिंदगी में उतारने की जरूरत है।
उ.प्र. गांधी स्मारक निधि के सचिव लाल बहादुर राय ने कहा कि महात्मा गांधी ने चरखा चलाकर आत्मनिर्भरता से देश को जोड़ा था। गांधी जी के लिये चरखा अपनाना अहिंसा, हिन्दू-मुस्लिम एकता, छुआछूत खात्मा, स्त्री सम्मान के लिये जरुरी शर्त रहा है।
यात्रा सहसंयोजक अनिल त्रिपाठी ने कहा कि आत्मनिर्भर भारत यात्रा एक ऐसा अवसर है, जब हम इस बात का मूल्यांकन कर सकते हैं कि स्वाधीनता के बाद की सात दशक की यात्रा में हमने क्या खोया और क्या पाया है।
इस मौके पर प्रमुख रूप से प्रसपा नेता धनंजय शर्मा, नदीम वारसी, संजीव सोनकर, युनूस मोहानी, उमानाथ यादव, रंजय शर्मा, नरेश नारायण अवस्थी, नासिर खान, हाजी मोहम्मद जुबैर, शिवा शर्मा, मो. तौफीक अहमद, पाटेश्वरी प्रसाद, सोनू यादव, मो. अनस सहित कई लोग मौजूद रहे।

हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट…