प्रदेश का किसान जब अपनी फसल का उत्पादन कर बाजार में बेचने जाता हैं तो उसे उसकी उपज में लगे श्रम…
जुताइर्, बुआई, बीज, खाद, सिंचाई की लागत से अधिक मूल्य मिले, तभी उसको फायदा होगा…
लखनऊ 05 फरवरी। प्रदेश का किसान जब अपनी फसल का उत्पादन कर बाजार में बेचने जाता हैं तो उसे उसकी उपज में लगे श्रम, जुताइर्, बुआई, बीज, खाद, सिंचाई की लागत से अधिक मूल्य मिले, तभी उसको फायदा होगा, और किसान खुशहाल होगा। प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने किसानों को उनकी उपज का सही मूल्य/समर्थन मूल्य दिलाने की सुदृढ व्यवस्था की है, और उसी व्यवस्था के अन्तर्गत किसानों को फसल का सही मूल्य मिल रहा है। राष्ट्रीय कृषि आयोग की संस्तुतियों के आधार पर, प्रदेश में कृषकों की उपज को वैज्ञानिक आधार पर उचित विपणन व्यवस्था स्थापित करने, विपणन कार्य कुशलता में अभिवृद्धि करने तथा कृषि विपणन संगठन, एवं मण्ड़ी परिषद/मण्ड़ी समितियों के कार्यों में उचित समन्वय स्थापित किए जाने के उद्देश्य से राज्य सरकार ने ”कृषि विपणन अनुभाग” को कृषि निदेशालय से पृथक कर स्वंतन्त्र कृषि विपणन निदेशालय का गठन किया था। जिसे विभाग का नाम परिवर्तित कर ”कृषि विपणन एवं कृषि विदेश व्यापार निदेशालय, उ0प्र0” कर दिया गया है।
प्रदेश सरकार के इस विभाग द्वारा प्रदेश की बाजारों की विपणन सूचनाओं यथा दैनिक/साप्ताहिक थोक/फुटकर भावों, आवक, आन्तरिक आयात-निर्यात मण्ड़ी बाजारों के भावी अनुमान आदि की सूचनाएं संकलित किया जाता है। प्रमुख कृषि बाजारों से कम्प्यूटर के माध्यम से भारत सरकार की वेबसाइट ूूूण्ंहउंतादमजण्हवअण्पद तथा कृषि विपणन एवं कृषि विदेश व्यापार निदेशालय की वेबसाइट ूूूण्नचातपेीपअपचतंदण्पद पर कृषि जिन्सों के बाजार भाव व आवक आदि की सूचना केन्द्रों/मंडियों में अपडेट की जाती है। विभिन्न श्रोतो से प्राप्त सूचना मोबाइल एप नचउंदकपइींअ पर भी आम जनता को उपलब्ध कराई जाती है।
वर्तमान प्रदेश सरकार द्वारा उ0प्र0 राज्य कृषि उत्पादन मण्डी (संशोधन) अधिनियम-2018 द्वारा भाण्डागार/साइलो/शीतग्रहो मण्डी स्थल से बाहर सीधा थोक क्रय (धारा-7-ख) व निजी मंडी स्थल, स्थापित करने हेतु (धारा-7-घ) द्वारा लाइसेंस प्रदान करने का महत्वपूर्ण कार्य निदेशक, कृषि विपणन द्वारा किया जा रहा है। कृषकों को उनकी उपज की गुणवत्ता के आधार पर राष्ट्रीय कृषि बाजार (ई-नाम) योजना के अंतर्गत एसेयिंग व श्रेणीकरण का कार्य प्रदेश की 125 चयनित ई-नाम मण्डियों में किया जा रहा है। उपभोक्ताओं को शुद्ध एगमार्क वर्गीकृत कृषि पदार्थ (आटा, शहद, मसाले, घी आदि) उपलब्ध कराने हेतु भारत सरकार के कृषि उत्पाद (वर्गीकरण एवं चिन्हांकन) अधिनियम-1937 के प्राविधानों के अन्तर्गत एगमार्क वर्गीकरण के कार्यक्रमों के अंतर्गत 12 एगमार्क वर्गीकरण प्रयोगशालाओं में कृषि पदार्थों के नमूनों की जांच की जा रही है।
प्रदेश सरकार द्वारा उ0प्र0 में कृषि निर्यात को बढ़ाकर दोगुना करने के उद्देश्य से उ0प्र0 कृषि निर्यात नीति 2019 निरुपित की गई है तथा कृषि विपणन एवं कृषि विदेश व्यापार निदेशालय, उ0प्र0 को इस नीति में नोडल एजेन्सी नामित किया है। किसानों को उनकी उपज का वाजिब मूल्य मिलता रहे और बाजारोें मेें विभिन्न फसलों का मूल्य स्थानीय उत्पादन निर्यात/आयात वस्तुओं के आधार पर अधिक भिन्नता न रहें इस पर विशेष ध्यान दिया जाता हैे। प्रदेश सरकार कृषि निर्यात को बढ़ावा दे रही है। इसके लिए राज्य स्तर पर मुख्य सचिव, उ0प्र0 शासन की अध्यक्षता में राज्य निर्यात निगरानी समिति गठित की गई है। मंडल में मंडलायुक्त की अध्यक्षता में मंडल स्तरीय कृषि निर्यात निगरानी समिति तथा जनपदों में जिलाधिकारी की अध्यक्षता में क्लस्टर सुविधा इकाई का गठन किया जा रहा है। प्रदेश सरकार की इस नीति के अंतर्गत परिवहन अनुदान हेतु तीन आवेदन पत्र प्राप्त हुए है। जिस पर कार्यवाही की गई है। कृषि निर्यात को बढ़ावा देने के लिए किसानों के हित में सरकार ने ठोस कदम उठाये है।
हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट…