बर्ड फ्लू पर नियंत्रण: सरकार की प्रभावी रणनीति का परिणाम…
लखनऊ: दिनांक: 04 फरवरी, 2021मनुष्य अभी कोरोना की मार से उबर भी नहीं पाया, कि एवियन इनफ्लूएंजा (बर्ड फ्लू) ने पक्षियों पर हमला बोल दिया। प्रदेश के सातजिले (उन्नाव, कानपुर, मुज्फ्फरनगर, पीलीभीत, लखीमपुर खीरी, देवरिया एवं जालौन) इसकी चपेट में आ जाने से अनेक पक्षियों की जानें चली गईं। मानव के साथ ही पक्षियों की रक्षा करना सभी की जिम्मेदारी है। पक्षी जैव विविधता की विशेष धरोहर हंै और इनका संरक्षण अत्यंत ही आवश्यक है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को जैसे ही बर्ड फ्लू के प्रदेश में दस्तक का पता चला, उन्होंने इस मामले को अत्यंत ही गम्भीरता से लिया और पूरी सतर्कता व निगरानी बरतने एवं सुरक्षात्मक तरीका अपनाने के सख्त निर्देश अधिकारियों को दिये। उन्होंने बर्ड फ्लू की रोकथाम के लिये प्रभावी कार्ययोजना बनाकर काम करने के निर्देश दिए और समस्त जनपदों में कन्ट्रोल रूम स्थापित करने पर बल दिया। मुख्यमंत्री के दिशा निर्देश एवं उनकी कुशल रणनीति का ही परिणाम रहा कि राज्य में बर्ड फ्लू का संक्रमण नियंत्रण में आ गया। फिर भी सावधानी एवं सतर्कता पर विशेष जोर दिया जा रहा है, ताकि इस रोग का संक्रमण न हो सके और लोगो ंमें व्याप्त भय कम हो सके।
पक्षियों की रक्षा के प्रति अपनी चिंता जताते हुये मुख्यमंत्री ने यह भी निर्देश जारी किये कि उत्तर प्रदेश के सीमावर्ती प्रदेशों की स्थिति पर कड़ी नजर रखी जाए एवं बराबर इसकी मानीटरिंग सुनिश्चित की जाए। बर्ड फ्लू की भयावहता को दृष्टिगत रखते हुये वाटरबाडीज, झील, तालाब के आस पास प्रवासी पक्षियों के आवागमन पर भी नजर रखे जाने की जरूरत है। बरेली स्थित भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान से बर्ड फ्लू की जांच पर पूरा ध्यान केन्द्रित करने को कहा गया।
राज्य सरकार के दिशा निर्देशों के तहत पशुपालन विभाग सहित अन्य सम्बंधित विभागों द्वारा सभी जनपदोंें में निगरानी टीम एवं टास्क फोर्स का गठन किया गया। जनपद से लेकर पंचायत स्तर तक पोल्ट्री फार्म पर कड़ी दृष्टि रखने की भी व्यवस्था की गई। नानवेज खाने वालें लोगों को सतर्क रहने को कहा गया। जनपदों में स्थापित कामर्शियल लेयर फार्म तथा स्थानीय कुक्कुट फार्मों की सतत निगरानी की भी व्यवस्था की गई। कुक्कुुट फार्मों को चूना तथा सेनीटाइजर से विसंक्रमित किया जा रहा है। बायोसिक्यांेरिटी नियमों का पालन करते हुये फार्म में बाहरी पक्षियों एवं प्रवासी पक्षियों को आने से रोका जा रहा है। स्वास्थ्य, पर्यावरण, वन, सिंचाई, गृह एवं पशुपालन विभाग टास्क फोर्स में सदस्य हैं। को किसी भी पक्षी की अस्वाभाविक मौत पर तत्काल कार्यवाही करने को कहा गया। जनपद/तहसील स्तर पर रैपिड रिस्पांस टीम गठित कर कार्यवाही सुनिश्चित करने में ठिलाई नहीं बरते जाने के कड़े निर्देश पारित किये गये।
जनमानस में बर्ड फ्लू के प्रति व्याप्त भांतियों को दूर करने के लिये व्यापक प्रचार-प्रसार की व्यवस्था की गई। लोगों को डरने की जरूरत नहीं, बल्कि सतर्क एवं सावधान रहने के लिये सजग किया गया। भारत सरकार द्वारा जारी गाइड लाइन का पूर्णतः अनुपालन करने के निर्देश भी राज्य सरकार द्वारा जारी किये गये।
बर्ड फ्लू के कई वायरस हैं, जिनमें सबसे खतरनाक वायरस एच5एन1 है, जिससे पक्षी मरने लगते हैं।यद्यपि बर्ड फ्लू से बचाव अथवा उपचार की कोई दवा या वैक्सीन नहीं हेै। चूंकि ये बीमार पक्षी के ंसंक्रमित होने से फैलने वाला वायरस है। मनुष्यों में इसका उपचार एण्टी वायरस से ही किया जा सकता है। आमतौर पर इनफ्लूएंजा वैक्सीन को ही उपयोग में लाया जाता है।
यह पक्षियों में होने वाला विषाणुजनिक संक्रामक रोग है। सामान्यतः यह पक्षियों को स्वयमेव संक्रमित करता है। परन्तु यह सूकर एवं अश्व को भी अपनी चपेट में तेजी से ले लेता है। विपरीत परिस्थितियों में स्पीसीज बैरियर को क्रासकर मनुष्य को भी संक्रमित कर सकता है। पक्षियों की आंख, श्वांस नलिका तथा बीट के सम्पर्क में आने से मुख्यतः एक पक्षी से दूसरे पक्षी तथा मनुष्यो ंमें फैल जाता है।
देश में वर्ष 2006, 2012, 2015 के बाद अब 2021 में बर्ड फ्लू ने हमला किया है। देश/प्रदेश में बर्ड फ्लू का संक्रमण फैलने के दो मुख्य कारण प्रकाश में आए हैं। एक प्रवासी पक्षी द्वारा और दूसरा संक्रामक वस्तुओं के माध्यम से। देश में ज्यादातर बर्ड फ्लू का संक्रमण प्रवासी पक्षियों की वजह से ही फैला है। सरकार ने लोगों को सतर्क किया है कि पक्षियों को छूने आदि में सावधानी बरतें वरना बर्ड फ्लू का वायरस इंसानों को भी संक्रमित कर सकता है। इंसानों में बर्ड फ्लू का पहला केस वर्ष 1997 में हांगकांग में सामने आया था, जिसमें प्रभावित लोगों में से 60 प्रतिशत लोगों की मृत्यु हुई थी। लोगों को इससे बचकर रहने की आवश्यकता है।
प्रदेश में एक हजार करोड़ रू0 से अधिक का कारोबार पक्षियों का होता है,। इस पर बर्ड फ्लू का साया मंडराने से यह उद्योग संकट में आज आ गया है। हजारों लोगों की रोजी रोटी प्रभावित हो रही है/हो गई है। बर्ड फ्लू की वजह से विभिन्न व्यजंनों के शौकीनों मे दहशत सी बैठ गई है। अब वे इन से निर्मित व्यंजनों से किनारा किये हुये है। बडर्् फ्लू के कारण रेस्तरां मालिक किसी तरह से अपना कारोबार करने को बैचेन है। वे इसके विकल्प पर विचार कर रहे हैं। ं
बर्ड फ्लू से बचाव हेतु सरकार ने यद्यपि कई आवश्यक कदम भी उठाये हैं, जिनमें नागरिकों को सलाह भी दी गई है कि कुक्कुट या कुक्कुट उत्पाद को अच्छी तरह से पकाकर ही खायें। यह वायरस 70 डिग्री सेन्टीग्रेड पर स्वतः ही समाप्त हो जलाता है। कुक्कुट एवं अन्य पक्षियों के पालने के स्थान/फार्म के आस पास जैव, सुरक्षा, साफ-सफाई एवं डिसइंफेक्शन अवश्य करें। पक्षियों को हैंडिल करने के उपरान्त एण्टीसेप्टिक लोशन से हांथ अच्छी तरह धोयें जाएं। बर्ड फ्लू से संक्रमित पक्षियों के सम्पर्क में आने पर चिकित्यक की सलाह पर ही दवा का सेवन किया जाए। इसके साथ ही मृत पक्षी को बिल्कुल ही छुआ न जाए। जिन क्षेत्रों में बर्ड फ्लू की सूचना प्राप्त हो उसके आस पास भ्रमण न किया जाए। संक्रमित पक्षियों के सीधे सम्पर्क में आने से बचा जाए। कुक्कुट या अन्य पक्षियों को खुले वाहनों में परिवहन न किया जाए। अफवाहों पर बिल्कुल ही ध्यान न दिया जाए। इसके साथ ही मृत पक्षी की सूचना तत्काल जिला स्तरीय कोविड कन्ट्रोल रूम, वन विभाग, अथवा पशुपालन विभाग को दी जाए। राज्य स्तरीय कन्ट्रोल रूम का फोन नम्बंर 0522–2741991 अथवा टोल फ्री नम्बर 18001804151 पर मृत पक्षी के बारे में जानकारी दी जा सकती है। इसके साथ ही हर जनपद में भी कन्ट्रोल रूम की स्थापना की गई है।
अभी तक प्रदेश में जनपद कानपुर, उन्नाव, मुजफ्फरनगर तथा देवरिया में कौवे रेड जंगल फाउल, गीज तथा हेरोन में और जालौन में बर्ड फ्लू के मामले पाॅजटिव पाये गये। जनपद पीलीभीत तथा लखीमपुर खीरी में भी मुर्गी के सैम्पल बर्ड फ्लू के लिए पाजिटिव पाये गये हैं। जनपद जालौन में भी कौए संक्रमित पाये गये। देवरिया में कौवों एवं बगुलों में एवियन इन्फ्लूएंजा वायरस की पुष्टि हुई है। इन सभी जनपदों में भारत सरकार के ”एक्शन प्लान फार प्रिवेंशन कन्ट्रोल एण्ड कन्टेनमेंट आफ एवियन इन्फ्लूएंजा-रिवाइज्ड-2021 के तहत कार्यवाही की जा रही है। इसके साथ ही फिर भी सावधानी और सतर्कता तथा निगरानी पर विशेष जोर रखा जा रहा है, ताकि इसका फैलाव न हो सके। साथ ही उपभोक्ताआंें एवं कारोबारियों में व्याप्त दहशत दूर हो सके।
वास्तव में सर्दियों के मौसम में हर साल प्रवासी पक्षियों का प्रदेश में आवागमन बड़ी संख्या में होता रहता है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को जैसे ही प्रदेश कुछ जिलों में बर्ड फ्लू के संक्रमण की जानकारी मिली, उन्होंने तत्काल रणनीति भारत सरकार की गाइड लाइन के अनुसार तैयार कराकर तेजी से उस पर अमल सुनिश्चित कराया। उनकी इसी प्रभावी रणनीति का ही परिणाम रहा कि बर्ड फ्लू के संक्रमण पर प्रदेश में अंकुश लग सका। आज बर्ड फ्लू पूरे प्रदेश में नियन्त्रण में है।
हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट…