उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था का मूल आधार कृषि…
लखनऊ 4 फरवरी। उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था का मूल आधार कृषि है। प्रदेश में कृषि कार्यों में लगे श्रमिक, किसानों, कृषि विपणन आदि कार्यों में लगे लोगों की जीविका के साधन में कृषि का बड़ा योगदान है। प्रदेश की जनसंख्या के लगभग 65 प्रतिशत लोग किसी न किसी तरह से कृषि से जुड़े है। प्रदेश के किसानों को खेती में लाभ दिलाने और उनकी आय दोगुनी करने के लिए प्रदेश सरकार ने आठ सूत्रीय रणनीति बनाई है। सी.सी.आई एवं मण्डी परिषद उत्तर प्रदेश के संयुक्त तत्वाधान में ”फार्मर्स-एग्रो इण्डस्ट्रियलिस्ट-”फार्मर्स फस्र्ट” का आयोजन लखनऊ में किया गया जिसमें कृषि उत्पादों से जुडे़ उद्यमी, कृषि वैज्ञानिक, कृषि से सम्बन्धित विषयों के अधिकारी कृषक गणों ने भाग लेते हुए मण्डी रिफाम्र्स, कृषको की आय वृद्धि में सहायक संसाधन, कृषि के साथ साथ अन्य सहायक फसलों के उत्पादन में वृद्धि आदि विषयों पर दिये गये सुझावों को अमल में लाया जा रहा है।
वर्ष 2022 तक प्रदेश के किसानों की कृषि आमदनी दोगुना किये जाने के लिए कृषि विभाग द्वारा कृषको को कृषि की नवीनतम तकनीक से प्रशिक्षित करने के लिए रबी 2017-18 में एक अनूठी किसान पाठशाला (द मिलियन फार्मर्स स्कूल) का आयोजन पूरे प्रदेश में किया गया। प्रदेश में किसान पाठशाला के माध्यम से 5 दिवसीय 02 सत्रो में किसानों को आय दोगुना करने के लिए प्रशिक्षण दिया गया। इस प्रशिक्षण में किसानों को नवीन तकनीकि के कृषि उपकरण एवं प्रमाणित बीजों के प्रयोग करने की विधि बताई गई, साथ ही सिंचाई के लिए स्प्रिंकलर/ड्रिप सिंचाई के माध्यम से कम लागत में सिंचाई करने की जानकारी दी गई। किसानों को जैविक खाद के प्रयोग, भूमि की मृदा जाँच और सरकार द्वारा कृषि उपकरणो, बीजो, खाद, फसली ऋण आदि के विषय में अवगत कराया गया। किसान पाठशाला में किसानों को यह भी जानकारी दी गई कि वे कृषि के साथ-साथ उद्यानीकरण करके अच्छी आमदनी कर सकते है। गन्ना की गुणवत्तायुक्त अत्याधुनिक प्रजातियों के बीज अपनाने तथा गन्ना के साथ अन्य फसल अपनाने की भी जानकारी दी गई। प्रशिक्षण में पशुपालन करने, मत्स्य पालन करने, रेशम के उत्पादन करने, आय बढ़ाने में सहायक अन्य कृषि सम्बन्धी गतिविधियों की जानकारी दी गई। किसान पाठशालाओं का आयोजन प्रतिवर्ष किया गया। प्रदेश में अब तक कुल 76 हजार गाँवों में 5 सत्रों में 53.65 लाख किसानों को प्रशिक्षण दिया गया है।
प्रदेश सरकार कृषकों की आय दोगुना करने के लिए कृषि एवं मनरेगा कनवर्गेंस के अन्तर्गत प्रदेश के 4 सम्भागो में राज्य स्तरीय कार्यशालाओं का आयोजन करते हुए फसलोत्पादन, उनके विपणन मण्डी समितियों द्वारा फसल की बिक्री आदि के विषय में विस्तार से अवगत कराया गया। यदि किसी किसान की भूमि ऊँची-नीची, जलभराव आदि क्षेत्र में है तो उसे मनरेगा के अन्तर्गत भूमिसुधार व समतल भी कराया जाता है। किसानों को कृषि के अतिरिक्त उद्यानीकरण हेतु मनरेगा के अन्तर्गत कन्वर्जन कर धनराशि देकर कार्य कराया जाता है। राज्य स्तरीय कार्यशालाओं में प्रगतिशील किसानों के साथ-साथ खेती करने वाले अन्य किसान, ग्राम प्रधान, कृषि विशेषज्ञ, कृषि वैज्ञानिक आदि द्वारा सहभागिता की गई।
प्रदेश सरकार ने किसानों की आय को दोगुनी करने के उद्देश्य से प्रदेश के इतिहास में पहली बार ”अन्तर्राष्ट्रीय स्तर का कृषि कुम्भ” का आयोजन सफलतापूर्वक किया गया। अन्तर्राष्ट्रीय कृषि कुम्भ में अन्तर्राष्ट्रीय कृषि सम्मेलन, कृषि एवं सम्बन्धित विभागों की तकनीकी प्रदर्शनी, सजीव प्रदर्शन, फसल अवशेषों को किस तरह उपयोग निस्तारण किया जाए आदि विभिन्न तरह के 14 तकनीकी आयामों पर तकनीकी सेमिनार आयोजित किये गये। इस कृषि कुम्भ में देश के विभिन्न राज्यों से लगभग एक लाख कृषको, कृषि वैज्ञानिको, भारत सरकार तथा प्रदेश सरकार के विशेषज्ञों, अधिकारियों, जनप्रतिनिधियों, विदेशी राजनयिको आदि न सहभागिता की गई। इस अवसर पर जापान और इजराइल ने सहयोगी देशों के रूप में भाग लिया। इजरायल के राजदूत द्वारा प्रदेश में ”सेन्टर आफ एक्सीलेंस” की स्थापना तथा जापान के उप सहायक मंत्री (कृषि वन एवं मत्स्य मंत्रालय) द्वारा कृषि क्षेत्र में उद्योगों की स्थापना में सहयोग के सम्बन्ध में एम.ओ.यू. हस्ताक्षरित किये गये। प्रदेश में महिला किसानों को भी फसलोत्पादन में बढ़ोत्तरी करते हुए आय दोगुनी करने की जानकारी दी गई।
हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट…