*दिल्ली दंगा : अदालत ने पांच मामलों में*

*दिल्ली दंगा : अदालत ने पांच मामलों में*

*24 वर्षीय व्यक्ति को जमानत दी*

 

*नई दिल्ली।* दिल्ली की एक अदालत ने पिछले साल फरवरी में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में सांप्रदायिक हिंसा से जुड़े पांच मामलों में आरोपी 24 वर्षीय व्यक्ति को जमानत देते हुए कहा कि पुलिस के दो गवाहों की विश्वसनीयता पर काफी संदेह है। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश विनोद यादव ने गोकलपुरी इलाके में दंगे के दौरान उपद्रव और संपत्ति को जलाने से जुड मामलों में 20,000 रुपये की जमानत राशि के साथ प्रत्येक मामले में इतनी राशि के मुचलके पर आरोपी की जमानत अर्जी मंजूर कर ली। अदालत ने कहा कि पुलिस के बीट अधिकारियों ने कथित तौर पर आरोपी को दंगों में संलिप्त देखा था लेकिन उन्होंने बयान दर्ज होने तक इंतजार किया और फिर उनकी पहचान आजाद के तौर पर की। अदालत ने कहा, ‘‘पुलिस अधिकारी होने के नाते उन्हें मामले के बारे में थाना या पुलिस के उच्च अधिकारियों को अवगत कराने से किसने रोका था। इससे, पुलिस के दोनों गवाहों की विश्वसनीयता पर काफी संदेह होता है।’’ न्यायाधीश ने कहा कि प्राथमिकी में ना तो आरोपी का नाम था, ना ही उसके खिलाफ कोई विशेष आरोप लगाए गए। अदालत ने रेखांकित किया कि आजाद को घटना के करीब 50 दिन गुजरने के बाद गिरफ्तार किया गया। जबकि, उस समय वह पहले से ही किसी दूसरे मामले में जेल में था जहां उसने कथित तौर पर इस मामले में अपनी संलिप्तता वाला बयान दिया। अदालत ने कहा कि पुलिस ने रिकॉर्ड पर घटना का कोई सीसीटीवी फुटेज भी नहीं रखा। अदालत ने आरोपी को सबूतों से छेड़छाड़ नहीं करने और अपने मोबाइल फोन पर आरोग्य सेतु ऐप डॉउनलोड करने को कहा। सुनवाई के दौरान आजाद के वकील ने दावा किया कि उनके मुवक्किल को मामले में गलत तरीके से फंसाया गया और उसका कथित अपराध से कोई लेना-देना नहीं था। वहीं, पुलिस के विशेष लोक अभियोजक डी के भाटिया ने जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा कि आरोपी कथित तौर पर घटनास्थल पर मौजूद था।