अपनाएं सावधानी, दूर रहेगी गर्मी…

अपनाएं सावधानी, दूर रहेगी गर्मी…

 

घर से निकलते ही तीखी धूप सताने लगती है। सावधानी न बरत पाएं तो आपका बीमार होना तय समझिए। कई बीमारियां हैं, जो इस मौसम में हम पर हमला करने को तैयार रहती हैं, लेकिन आप उनसे बचे रह सकते हैं। सर्दियों के बाद सुहानी गर्मियों का इंतजार बेसब्री से रहता है, लेकिन ये आती है तो अपने साथ बहुत-सी समस्याएं भी साथ लाती है। गर्मी में हेल्थ की एबीसी समय रहते ही जान लें तो बेहतर होगा। ए से अवेयरनेस, बी से बैलेंसिंग यानी संतुलन और सी से कंट्रोल यानी नियंत्रण। यदि आप इन्हें जान लें और थोड़ी सावधानी बरतें तो गर्मियों का भरपूर आनंद ले सकते हैं।

हीट स्ट्रोक:- गर्मी बढ़ने पर शरीर से पसीना आना और हवा लगा कर उसे ठंडा करना एक सामान्य प्रकिया है। हमारा शरीर इस तरह से डिजाइन किया गया है कि गर्मी मतलब पसीना। इस क्रिया से त्वचा ठंडी होती है और शरीर का तापमान संतुलित रहता है। चढ़ता पारा हमारी बैचेनी को कम करता है। जब किसी वजह से ऐसा होना बंद हो जाए, यानी बढ़ते पारे के अनुसार शरीर से पसीना न निकले तो यह हीट स्ट्रोक की स्थिति है। ऐसे में चढ़ता पारा और गर्मी की घबराहट कभी-कभी हमारे नर्वस सिस्टम को भी प्रभावित कर देती है। शरीर के साथ दिमाग भी इस गर्मी की चपेट में आ जाता है। इसे हीट स्ट्रोक कहते हैं।

लक्षण:-

गर्मी से अजीब सी घबराहट होने लगती है।

शरीर का तापमान ज्यादा या कभी-कभी सामान्य से भी कम होने लगता है।

उल्टी महसूस होती है।

सिर के साथ शरीर के किसी भी हिस्से में दर्द की शिकायत होती है।

भूख व प्यास नहीं लगती।

सावधानी:-

तरल पदार्थों का सेवन बढ़ाएं

बहुत जरूरी न हो तो धूप में बाहर न जाएं। जाना ही हो तो इस बात का ध्यान रखें कि आपका पेट खाली न हो, पानी साथ हो, धूप से बचाव के सभी उपाय साथ हों

गर्मी में पूरी तरह सूती वस्त्र पहनें, जो पूरे शरीर को ढकें।

आंखों की एलर्जी:- गर्म हवाओं, मिट्टी और प्रदूषण से आंख की समस्याएं इस मौसम में बढ़ जाती हैं। थोड़ी-बहुत खुजली और ईचिंग के साथ आंखों की लाली कभी-कभी बहुत बढ़ जाती है। आंखों से पानी बहने लगता है और आई लिड सूज जाते हैं। सूरज की अल्ट्रा वॉयलेट किरणों से मोतियाबिंद, रेटिना को नुकसान और अनेक तरह के संक्रमण हो जाते हैं। विशेषज्ञ मानते हैं कि जैसे गर्मी में त्वचा रूखी हो जाती है, वैसे ही आंखें भी ड्राई हो जाती हैं।

सावधानी:-

अल्ट्रा वायलेट किरणों से बचाव के लिए हमेशा धूप का चश्मा लगाएं।

सिर पर लगाई टोपी या छाता आपकी नाजुक आंखों और त्वचा, दोनों को तेज यूवी किरणों से बचाकर रखेगा। वासन आई केयर हॉस्पिटल के डॉं. राज आनन्द बताते हैं कि शरीर की तरह आपकी आंखों को भी मॉयश्चर चाहिए, इसलिए खूब पानी पिएं।

सन बर्न:- यूवी किरणों के कारण स्किन कैंसर से ग्रसित व्यक्तियों की संख्या एक साल में एक मिलियन है। यह भी गर्मी का ही रोग है। इंसान के शरीर में त्वचा ही ऐसा संवेदनशील हिस्सा है, जिस पर हर मौसम का असर सीधा होता है। त्वचा विशेषज्ञ डॉं. वी. के. उपाध्याय बताते है कि सूरज की तेज यूवी किरणें और पसीने की नमी त्वचा को अधिक नुकसान पहुंचाती हैं। हीट, धूल, प्रदूषण से त्वचा मृत होती है और इसी कारण एक्ने आदि पैदा होते हैं।

लक्षण:-

त्वचा पर चकत्ते पड़ जाते हैं

कई हिस्से टैन हो जाते हैं

त्वचा मृत हो जाती है

कई बार ईचिंग और खुजली भी होने लगती है।

सावधानी:-

तेज धूप से बचें

घमौरियों से बचने के लिए प्रिक्ली हीट पाउडर लगाएं व नहाने के पानी में एक चम्मच यूडीक्लोन डालें

पूरी बांह के सूती कपड़े पहनें।

सन स्क्रीन क्रीम का इस्तेमाल करें।

फीवर:- शरीर में जब भी किसी प्रकार का संक्रमण होता है, उसका परिणाम बुखार के रूप में दिखाई पड़ता है। इस मौसम में मक्खी-मच्छर बुखार का एक बड़ा कारण हैं। वायरल, मलेरिया, फ्लू, लू, डेंगू, चिकनगुनिया या स्वाइन फ्लू आदि कई बुखार ऐसे हैं, जो इस गर्मी की देन हैं।

लक्षण:-

कांपना, घरघराहट, खांसी

भूख न लगना

पानी की कमी

डिप्रेशन

सिर या शरीर के किसी हिस्से में दर्द होना।

सावधानी:- शुरुआत में पैरासिटामोल या क्रोसिन जैसी दवाएं लोग अपने आप ले लेते हैं। फोर्टिस अस्पताल के डॉं. विवेक नांगिया बताते हैं कि बुखार नियंत्रण में नहीं है तो तुरंत डॉंक्टर की सलाह लें।

बचाव:- खाना खाने से पहले, खाना खाने के बाद और टॉयलेट इस्तेमाल करने के बाद हाथ जरूर धोएं। अपने हाथों को चेहरे से दूर रखें, जिससे हाथ में मौजूद वायरस आंख और नाक के जरिये शरीर में प्रवेश न करें।

माइग्रेन-सिर दर्द:- नोवा सुपर स्पेशलिटी की इंटरनल मेडिसन की डॉं. नवनीत कौर बताती हैं कि सिर के दर्द से परेशान लोगों के लिए गर्मी कम सताने वाली नहीं होती। बढ़ता तापमान सिर दर्द भी बढ़ा देता है।

लक्षण:-

सिर के आधे हिस्से में दर्द होता है

नींद नहीं आती और आवाज या रोशनी बुरी लगने लगती है।

सावधानी:-

तेज चकाचैंध वाली जगह से दूर रहे

कमरे में गहरे व भारी परदे लगाएं।

फूड पॉयजनिंग:- सीडीसी के अनुमान के अनुसार एक साल में विश्व स्तर पर 76 मिलियन लोग फूड पॉयजनिंग के शिकार होते हैं। फूड पॉयजनिंग के ज्यादा मामले गर्मियों में ही होते हैं। गर्मी में खाने पर पनपने वाले बैक्टीरिया की संख्या सबसे ज्यादा होती है, इसलिए इस मौसम में फूड पॉयजनिंग होने का अंदेशा भी सबसे ज्यादा होता है। गर्मी और नमी, दोनों ही ऐसी स्थितियां हैं, जो इन बैक्टीरिया को फैलने में मदद करती हैं।

लक्षण:-

बेचैनी और घबराहट के साथ शुरुआत

वॉमिट होने लगती है

संक्रमण ज्यादा हो तो बुखार भी हो जाता है

वॉमिट ज्यादा होने पर पानी की कमी से शरीर निस्तेज होने लगता है।

सावधानी:-

बासी और ठीक से न पका भोजन न करें

बाहर के खुले और तले खाद्य पदार्थों से दूर रहें

पकाने और हाइजीन के तरीकों का पालन करें

क्षमता से कम ही खाएं, ज्यादा खाने से बचें।

डिहाइड्रेशन:- ज्यादातर लोगों का मानना है कि उन्हें प्यास नहीं लगती, इसलिए वे पानी कम पीते हैं। उनका मानना है, ऐसा इसलिए होता है कि उनके शरीर को पानी की जरूरत नहीं है। यह एकदम गलत विचार है। हर शरीर को पानी की आवश्यकता समान रहती है। गर्मियों में इसकी खपत इसलिए बढमनी पडम्ती है, क्योंकि शारीरिक क्रियाओं में पसीना बहने से शरीर में पानी की कमी होने लगती है।

लक्षण:-

प्यास नहीं लगती

मुंह सूखने लगता है

भूख खत्म हो जाती है

शरीर में ताकत महसूस नहीं होती

डायरिया या वॉमिट भी होता है।

सावधानी:-

पानी हमेशा साथ रखें और याद करके उसे लगातार पीते रहें

मंद गति से पानी का इनटेक बढ़ाएं

रोगी को आराम करने दें

जरूरत महसूस होने पर डॉंक्टरी सलाह लेने में देरी न करें।

गैस्ट्रोएंटराइटिस यानी स्टमक फ्लू:- गर्मियों में सबसे ज्यादा परेशान करने वाली बीमारी है गैस्ट्रोएंटराइटिस। विशेषज्ञों का मानना है कि गर्मियों में हॉस्पिटल आने वाले रोगियों में काफी प्रतिशत इसी रोग का है।

लक्षण:-

पेट खराब होने के लक्षण उभरने लगते हैं

अतिसार आरंभ हो जाता है

कभी-कभी ज्यादा संक्रमण से उल्टियां भी शुरू हो जाती हैं।

सावधानी:-

छाछ, नींबू की शिकंजी और चावल का मांड लें।

तला-भुना खाना खाने से बचें।

हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट…