जब बच्चा रोए बार-बार…

जब बच्चा रोए बार-बार…

 

नन्हे शिशु का रोना एक सामान्य बात है, परंतु जब बच्चा अपना रोना बंद ही न करे, तो निःसंदेह यह मां के लिए चिंता का कारण बन जाता है। जन्म के बाद बच्चे का रोना अच्छा होता है। उस वक्त बच्चा इसलिए रोता है, क्योंकि रोने से उसके फेफड़ों में हवा भर जाती है और वह अपनी मां के गर्भ से बाहर निकल कर पहली बार सांस लेता है। जब भी आपका बच्चा ज्यादा रोए तो इन बातों पर जरूर ध्यान दें, क्योंकि आम तौर पर उसके रोने का कारण इनमें से ही एक होता है।

-कई बार बच्चा खेलना चाहता है, परंतु उसे खिलाने वाला कोई भी उसके आस-पास नहीं होता। ऐसे में वह रो कर अपने मां-बाप या अन्य परिजनों को बुलाता है।

-अधिक गर्मी और सर्दी बच्चे के लिए असहनीय होती है। ऐसे में भी वह रोता है।

-बच्चे ने यदि अपने कपड़े गीले कर दिए हैं, तो वह गीलेपन से परेशान हो, रो कर अपने कपड़े बदलने का संकेत देता है।

-यदि कमरे में ज्यादा अंधेरा हो तो भी बच्चा डर से रो उठता है।

-ज्यादातर भूख लगने पर बच्चा रोता है।

-यदि आपने बच्चे को तंग या ज्यादा कपड़े पहना दिए हैं तो उन तंग कपड़ों में शरीर के कसने या ज्यादा कपड़ों की असहजता भी उसके रोने का एक कारण हो सकती है।

नन्हे के छोटे-छोटे पैरों के लिए:- बच्चों के लिए शॉपिंग करना बहुत मुश्किल होता है। सबसे ज्यादा परेशान करने वाली बात होती है, उनका चंचल होना और दूसरी बात उनका जल्दी-जल्दी साइज बदलना। ऐसे में सही साइज का जूता खरीदने के लिए काफी एहतियात बरतनी जरूरी है।

-शूज की शॉपिंग के लिए दोपहर के बाद जाएं, इस समय पांव सामान्य आकार में होता है।

-बच्चे के शूज बहुत महंगे न खरीदें, क्योंकि बच्चे की ग्रोथ तेजी से होती है। इससे पैर का आकार जल्दी-जल्दी बदलता है।

-बच्चे का जूता नंबर से न खरीदें और न ही उनके मामले में इस फंडे को अपनाएं, क्योंकि इससे फिटिंग में प्रॉब्लम आ सकती है।

-जूतों का साइज हमेशा आधा इंच ज्यादा रखें।

-कई बार लोग एक साइज बड़ा जूता लेते हैं, ताकि लंबे समय तक इस्तेमाल कर सकें, लेकिन ऐसा करने से बच्चों को पैर से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं।

स्वीट बेबी की क्यूट ड्रैस:- पहले के 2-3 वर्षों में बच्चे के कपड़े काफी कम चलते हैं, क्योंकि आपका बच्चा बड़ी तेजी से बढ़ रहा होता है। इसलिए इस दौरान हमेशा ऐसे कपड़े चुनें जो साइज में एक या दो नंबर बड़े हों। भले ही वे पहली बार देखने में कुछ ढीले दिखाई दें, मगर यही ज्यादा व्यावहारिक होगा। इससे बच्चे को बांहें और टांगें हिलाने-डुलाने में ज्यादा आसानी होगी। अपने बच्चे के लिए कपड़े खरीदते समय इन बातों को ध्यान में रखें।

-आप कैसा भी डिजाइन चुनें, वह आरामदायक हो, पहनाने में आसान और आसानी से धोया जा सकने वाला हो। ऐसे कपड़े न खरीदें जो रेशे छोड़ते हों।

-कपड़े ऐसे खरीदें कि नैपी आसानी से पहनाई और उतारी जा सके। ऐसी नाइट ड्रैस जिसे केवल उठा कर ही नैपी तक पहुंचा जा सके, प्रारंभिक हफ्तों के लिए सबसे बढिय़ा है।

-आपके बच्चे के सभी कपड़े मुलायम और आरामदायक हों तथा उनमें कोई सख्त सिलाई या जोड़ न हो।

-चैड़े गले वाले कपड़े ज्यादा बेहतर होते हैं। लेस युक्त ड्रैस न खरीदें। आपके बच्चे की उंगलियां उनके छेदों में आसानी से फंस सकती हैं।

-उजले सफेद ही नहीं बल्कि बेबी कलर्स में रंग-बिरंगे कपड़े उसके लिए खरीदें, बच्चों पर वे उतने ही सुंदर लगते हैं, जितने कि सफेद और पेस्टल रंग। भड़कीले रंगों के कपड़े आसानी से गंदे नहीं होते तथा धोते समय ज्यादा सावधानी भी नहीं बरतनी पड़ती।

हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट…