साक्षरता (बाल-कथा)…

साक्षरता (बाल-कथा)…

-अमृता गोस्वामी-

 

शहर से कुछ ही दूर एक विशाल वन में वीनू खरगोश और चिंकी गिलहरी रहते थे। वीनू और चिंकी अच्छे दोस्त थे। वन की हरी-हरी घास पर खेलते हुए उनका समय कब पास हो जाता पता ही नहीं चलता था। एक बार खेलते-खेलते उनकी नजर वन में लगे एक टैंट पर पड़ी। वीनू बोला-चिंकी! पहले कभी तो यहां कोई टैंट नहीं था, चलो नीचे चलकर देखते हैं वन में क्या चल रहा है, ये टैंट किसने लगाया है?

चिंकी और वीनू जब टैंट के नजदीक पहुंचे तो उन्होंने देखा वहां गोलू हाथी ने अपनी पाठशाला लगाई हुई थी। गोलू हाथी शहर से पढ़ाई कर आया था। उसकी पाठशाला में सुंदर-सुंदर चित्रों की पाठ्य पुस्तकें सबका ध्यान अपनी ओर खींच रहीं थी। टैंट के बाहर पाठशाला का जो बैनर लगा था उसमें कई सारे पशु-पक्षियों के पिक्चर्स थे… पिक्चर्स में सभी पशु-पक्षी सुंदर यूनिफॉर्म पहनकर पढ़ाई कर रहे थे। गोलू की पाठशाला में दाखिला लेने के लिए वन से लगातार जानवर आ रहे थे। अपने स्कूल में गोलू हाथी जानवरों को पढ़ने-लिखने के अलावा साफ-सफाई से रहना और डिसीप्लेन भी सिखा रहा था।

गोलू की पाठशाला देखकर वीनू का मन भी वहां पढ़ने का हुआ उसने चिंकी से कहा- क्यों न हम भी यहां पढ़ाई करने आया करें। चिंकी ने कहा- वीनू तुम्हें पढ़ना है तो पढ़ो पर मेरा मन पढ़ाई जैसा कुछ करने का नहीं है, मैं तो यूं ही हंसते-खेलते जिंदगी बिताना चाहती हूं। ये सिर पर चश्मा चढ़ाकर किताबें हाथ में लिए मैं नहीं बैठी रह सकती। वीनू ने चिंकी को पढ़ने के लिए बहुत कहा किन्तु चिंकी ने उसकी एक न सुनी।

वीनू ने चिंकी के बिना अकेले ही स्कूल जाना शुरू कर दिया। वह होशियार तो था ही, जल्दी ही पढ़-लिख कर समझदार भी हो गया। एक दिनवीनू किसी काम से कहीं जा रहा था। उसने देखा थोड़ी ही दूरी पर उससे आगे चिंकी भी गाना गाती हुई चली जा रही थी। वीनू ने चिंकी को आवाज लगाई पर चिंकी अपने गाने की मस्ती में थी, उसने वीनू की आवाज को नहीं सुना और आगे बढ़ती रही। रास्ते में वीनू ने हाईवे का बोर्ड लगा देखा, वीनू वहीं रूक गया पर, यह क्या हाईवे के बोर्ड को देखकर भी चिंकी नहीं रूकी थी और आगे बढ़ी जा रही थी। वीनू ने दौड़कर चिंकी को रोकने की कोशिश की किन्तु चिंकी तेज रफ्तार वाहनों के बीच फंस चुकी थी। चिंकी घबराई सी वाहनों से बचने के लिए इधर से उधर भागने लगी।

वीनू से चिंकी की हालत देखी नहीं जा रही कि उसने अपनी जान की परवाह न करते हुए तेजी से दौडकर चिंकी का हाथ पकड़ा और उसे किनारे पर ले आ या। थोड़ी ही देर में रेड लाईट हो गई। जैसे ही वाहनों की आवाजाही रूकी वीनू चिंकी को सुरक्षित वापस वन में लेकर जाने में सफल हुआ।

चिंकी बहुत डरी हुई थी।

वीनू ने चिंकी से कहा- चिंकी! यदि तुमने उस दिन पढ़ाई करने वाली मेरी बात मान ली होती तो आज तुम्हारे साथ यह सब नहीं होता, रास्ते में हाईवे के बोर्ड को देखकर भी तुम उसे नहीं पढ़ पाईं और आगे बढती़ गईं, भगवान का शुक्र मनाओ जो तुम बच गईं वरना कुछ भी हो सकता था।

चिंकी डरी हुई तो थी ही, पढ़ाई न करने वाली अपनी गलती पर बहुत पछताई और अगले ही दिन से उसने स्कूल जाने का फैसला कर लिया। अब वह अनपढ़ रहकर फिर कभी अपनी जान जोखिम में डालना नहीं चाह़ती थी।

हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट…