हाटमेला व गरीबों की जीविका पर आखिर डाल ही दिया कोविड-19 ने अपना असर…
ऊंचाहार। कार्तिक पूर्णिमा के दूसरे दिन ग्रामीणांचलो के साथ-साथ गंगा तटों पर सदैव मेला लगने पर गरीब निर्धन सूप, खुरपा, चाकू, गुल्लक, मटका, लाठी व हांथों से बनाए गए तरह तरह के खिलौना व बच्चों के बैलगाड़ी, लाठी व फूसफास की बढ़नी को बेंचकर अपना जीविका चलाने के लिए काफी कुछ कमा लेते थे। जिसमे यहां पर दूरदराज से आने वाले लोगों मे बैलगाड़ियों के साथ साथ बैलों के पैरों मे बंधे घुंघरू व गले मे घण्टी की आवाज लोगों को मेला का अहसास करवाने के साथ साथ गंगा तट पर कार्तिक मेला के दूसरे दिन खाना कंडो मे बनाकर अपने अपने घरों के लिए गृहस्थी खरीदकर रवाना हो जाते थे।
लेकिन इस बार कोविड-19 महामारी का हवाला देने के बाद स्नान के साथ साथ मेला पर लगे प्रतिबंध से कई गरीबों के चेहरों मे मयूशी छाई हुई है। सभी यही कहते नजर आए अपकी बार तो कोरोना महामारी के कारण दुई पैसा तक नही कमा पाए, कैसे आगे की जीविका चलेगी। ये गरीबो के साथ-साथ बढ़े व्यापारियो तक को झटका लगा है। जिनके भी आमदनी मे बाधा पहुंचा और गंगा के किनारे के गंगापुतरी रमेश, भीम, जितेन्द्र, प्रेम आदि तक अपनी व्यथा बताते है कि कार्तिक पूर्णिमा मे सीधा आने के बाद साल भर बैठकर खाते थे। इसबार महामारी व बेरोजगारी से हमहू लोग परेशान है।
हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट…