*कमाने की योग्यता होने भर से पत्नी को गुजाराभत्ता से*

*कमाने की योग्यता होने भर से पत्नी को गुजाराभत्ता से*

 

*वंचित नहीं कर सकते*

*नई दिल्ली।* उच्च न्यायालय ने कहा है कि सिर्फ कमाने की योग्यता रखने भर से अलग रह रही पत्नी को गुजाराभत्ता से वंचित नहीं किया जा सकता है। उच्च न्यायालय ने परिवार न्यायालय के फैसले को बहाल रखते हुए यह टिप्पणी की है।

 

जस्टिस मनोज कुमार ओहरी ने कहा है कि कमाने की योग्यता रखना और वास्तव में आय अर्जित करना, दोनों अलग-अलग चीजें और जरूरत हैं। उन्होंने कहा है कि पत्नी कमाने की योग्यता रखती है, महज यह तय हो जाने के आधार पर परिवार न्यायालय द्वारा तय गुजाराभत्ता को खत्म या कम नहीं किया जा सकता है। न्यायालय ने कहा कि जहां तक इस मामले में सवाल है तो याचिकाकर्ता ने अपनी पत्नी के बैंक खाते के लेनदेन के बारे में जानकारी पेश की है जो कि गुजाराभत्ता की मांग को लेकर अर्जी दाखिल करने से पहले का है। न्यायालय ने कहा कि इससे यह जाहिर नहीं होता कि महिला अभी भी आय अर्जित कर रही है। इसके साथ ही पीठ ने इस मामले में परिवार न्यायालय ने फैमिली केक (कुल आय) को पांच हिस्से में विभाजित किया और इसका दो-दो हिस्सा याचिकाकर्ता और उसके माता-पिता को दिया जबकि प्रतिवादी (याचिकाकर्ता की पत्नी) को सिर्फ एक हिस्सा दिया। इसके अलावा याचिकाकर्ता ने खुद कहा है कि महिला द्वारा गुजाराभत्ता की मांग को लेकर अदालत में अर्जी दाखिल करने से पहले, वह हर माह उसे 30 हजार रुपये स्वेच्छा से देता रहा है। इस तथ्यों को देखते हुए न्यायालय ने अगस्त में परिवार न्यायालय द्वारा याचिकाकर्ता को हर माह 20 हजार रुपये अंतरिम गुजाराभत्ता देने के आदेश को बहाल रखा। साथ ही, इस आदेश को चुनौती देने वाली पति की अपील को खारिज कर दिया।

 

पति ने हर माह 20 हजार रुपये गुजाराभत्ता देने के परिवार न्यायालय के आदेश को चुनौती देते हुए कहा कि उसकी पत्नी काफी शिक्षित है और काफी कमाती है। पति ने कहा कि उसकी पत्नी ने एमसीए किया है और काफी आय अर्जित कर रही है। लेकिन उच्च न्यायालय ने कहा कि याचिकाकर्ता ये साबित नहीं कर पाया कि वह कमा रही है।

 

*यह मामला है*

 

दरअसल, रश्मि और रवि (दोनों परिवर्तित नाम) की शादी 2008 में हुई थी। आपसी विवाद होने के बाद 2015 में दोनों अलग-अलग रहने लगे। इसके बाद 2017 में महिला ने याचिका दाखिल कर डेढ़ लाख रुपये हर माह गुजारभत्ता की मांग की। महिला ने कहा कि उसका पति हर माह पांच लाख रुपये कमाता है। हालांकि, उसके पति ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि उसकी आय पांच लाख रुपये नहीं है बल्कि सिर्फ एक लाख 2582 रुपये ही है। इसके बाद परिवार न्यायालय ने इसी साल अगस्त में याचिककर्ता को हर माह 20 हजार रुपये पत्नी को गुजाराभत्ता देने का आदेश दिया था।