*किसानों के समर्थन में 12 यूनियनों ने एकजुट होकर प्रदर्शन किया*
*गुरुग्राम।* किसानों के समर्थन में तीसरे दिन शनिवार को भी सर्व कर्मचारी संघ के साथ यूनियनों ने प्रदर्शन किया। नगर निगम के पुराने कार्यालय के परिसर में विरोध सभा कर सरकार के खिलाफ नारेबाजी की गई। प्रदर्शन कारियों ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारों की दमनकारी नीतियों के खिलाफ आवाज उठाने वाले यूनियन और किसान नेताओं को गिरफ्तार किया गया। उनको रिहा नहीं किया गया तो सभी यूनियन काम बंद कर प्रदर्शन जारी रखेंगी। वहीं, कर्मचारियों के प्रदर्शन को लेकर पुलिस बल तैनात रहा, जिससे कोई कर्मचारी बवाल नहीं कर सके।
*निगम के पुराने कार्यालय पर विरोध*
प्रदर्शन की अध्यक्षता सर्व कर्मचारी संघ गुरुग्राम के जिला प्रधान उमेश कुमार खटाना ने की। प्रदर्शन को संबोधित करते हुए सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा के राज्य उपाध्यक्ष सुरेश नोहरा ने कहा कि केंद्र व हरियाणा सरकार की किसान विरोधी, दमनकारी नीतियों, औद्योगिकरण, निजीकरण, कोरोना वैश्विक महामारी को अवसर मानते हुए सरकारी उपक्रमों को बेचने का कार्य कर रही है। सर्व कर्मचारी संघ केंद्र और राज्य सरकार की कर्मचारी विरोधी नीतियों को कतई बर्दाश्त नहीं करेगा। कार्यक्रम का संचालन जिला सचिव रामनिवास ठाकरान ने किया।
*12 यूनियनें प्रदर्शन में शामिल रही*
किसानों का समर्थन में गुरुग्राम की 12 यूनियनों ने समर्थन में प्रर्दशन किया। इसमें सर्व कर्मचारी संघ, नगर निगम सफाई कर्मचारी संघ, सर्वे कर्म फायर विभाग, हरियाणा टूरिज्म यूनियन, आशा वर्कर, मिड डे मील, ग्रामीण सफाई कर्मचारी संघ, महिला जनवादी समिति, आईटीआई, एससीईआरटी, बिजली बोर्ड, शिक्षा विभाग, हुडा कर्मचारी संघ शामिल रही है। इस विरोध प्रदर्शन में गुरुग्राम ब्लॉक के प्रधान बसंत कुमार, सोहना ब्लॉक के सचिव कोडाराम, नगर पालिका कर्मचारी संघ के जिला प्रधान राजेश कुमार, इकाई उप प्रधान महेश कुमार, विनोद लुक्कड़ आदि नेता व कर्मचारी शामिल रहे।
*किसानों की आवाज दबाने नहीं देंगे*
हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ के प्रदेश उपाध्यक्ष सत्यनारायण यादव ने कहा कि सरकार मांगों को मानने की बजाय शांतिपूर्ण विरोध कर रहे किसानों का दमन करते हुए उन पर झूठे मुकदमे बना रही हैं। यह तीनों कृषि कानून पहले से ही घाटे में चल रही खेती व किसानी को बर्बाद कर देंगे। किसान आंदोलन को बिचौलिये दलालों का आंदोलन कहकर बदनाम करना भी शुरू कर दिया है।
*बातचीत का रास्ता अपनाएं नहीं तो आंदोलन*
यूनियन के नेताओं ने कहा कि सरकार पूरी तरह से कारपोरेट कंपनियों के पक्ष में खड़ी हो गई है तो इन किसान विरोधी कानूनों को रद्द करवाने के लिए आंदोलन को तेज करने के अलावा कोई चारा नहीं बचता। इसीलिए यूनियनों ने मांग किया कि सरकार टकराव का रास्ता छोड़कर किसानों की समस्याओं का बातचीत के द्वारा स्थाई हल करें, नहीं तो प्रदेश का कर्मचारी, मजदूर और किसान मिलकर केंद्र सरकार को इन काले कृषि कानूनों को वापस लेने के लिए बाध्य कर देंगे।