नागरिकों को मिली लिबर्टी बहुमूल्य संवैधानिक अधिकार: सुप्रीम कोर्ट…
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि क्रिमिनल केस में निष्पक्ष जांच जरूरी है लेकिन अदालतों को सुनिश्चित करना होगा कि किसी नागरिक को प्रताड़ित करने के लिए क्रिमिनल लॉ का इस्तेमाल हथियार के तौर पर न हो। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच ने कहा कि मानवीय लिबर्टी बहुमूल्य संंवैधानिक अधिकार है। हाई कोर्ट को असीम अधिकार मिले हुए हैं ताकि लोगों के संवैधानिक मूल्य और स्वच्छंदता (लिबर्टी) संरक्षित रहे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि भारतीय संविधान के तहत मानवीय लिबर्टी महत्वपूर्ण और बहुमूल्य अधिकार है। इसमें संदेह नहीं है कि ये कानून के दायरे में है। सीआरपीसी की धारा-482 के तहत हाई कोर्ट को पावर है कि वह किसी भी कानूनी प्रक्रिया के दुरुपयोग को रोके ताकि न्याय पूर्ण हो सके। हाई कोर्ट को अपने अधिकार का इस्तेमाल करना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने जो मंशा जाहिर की है उसके अनुरूप हाई कोर्ट को काम करना चाहिए। हाई कोर्ट को अधिकार है कि वह कानून के गलत इस्तेमाल को रोके। उसे लिबर्टी को संरक्षित रखने के लिए पूर्ण न्याय करना होगा। आजादी के बाद संसद ने हाई कोर्ट के असीम अधिकार को मान्यता दे रखी है ताकि लोगों के संवैधानिक मूल्य और लिबर्टी संरक्षित रहे। संवैधानिक तानेबाने के जरिये लिबर्टी का रिट मिला हुआ है। जस्टिस चंद्रचूड़ ने अपने फैसले में कहा कि निष्पक्ष जांच महत्वपूर्ण है क्योंकि विक्टिम के अधिकार को प्रोटेक्ट करता है। दूसरी तरफ क्रिमिनल लॉ के गलत इस्तेमाल को भी देखना निचली अदालत और हाई कोर्ट का काम है। अदालत को पब्लिक इंस्ट्रेस्ट और सेफगार्ड को हमेशा सजग तरीके से देखना होगा। अपराध की निष्पक्ष जांच जरूरी है लेकिन दूसरी तरफ निचली अदालत, हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट को ये सुनिश्चित करना होगा कि क्रिमिनल लॉ हथियार न बने किसी नागरिक को प्रताड़ित करने के लिए। अदालतों को दोनों पहलुओं के लिेए सजग रहना होगा। एक तरफ क्रिमिनल लॉ लागू करना और दूसरी तरफ ये सुनिश्चित करना कि किसी नागरिक का कानून के गलत इस्तेमाल से प्रता़ड़ना न हो। लिबर्टी मानवीय युग के हर स्तर पर होना जरूरी है। सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा हर वैसे नागरिक के लिए बंद नहीं हो सकता जो पहली नजर में साबित करे कि सरकार ने क्रिमिनल लॉ का उसके खिलाफ इस्तेमाल हथियार के तौर पर किया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम के रूल में बेल है न कि जेल। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमारी अदालतों को ये सुनिश्चित करना होगा कि जिन्हें भी लिबर्टी से वंचित किया जाता है उनका पहली पंक्ति का डिफेंस अदालत है। लिबर्टी से एक दिन भी वंचित करना एक दिन होता है। हमारी प्राथमिक जिम्मेदारी है कि सभी नागरिकों के लिबर्टी संरक्षित रहें। सुप्रीम कोर्ट ने टीवी जर्नलिस्ट अर्नब गोस्वामी को दी गई अंतरिम राहत को कायम रखते हुए कहा कि जब तक उनकी अर्जी हाई कोर्ट में पेंडिंग है तब तक उन्हें अंतरिम जमानत मिली रहेगी। बॉम्बे हाई कोर्ट के फैसले के चार हफ्ते बाद तक अंतरिम राहत कायम रहेगी। हाई कोर्ट में एफआईआर के खिलाफ अर्नब की अपील पेंडिंग है। अर्नब ने हाई कोर्ट से अंतरिम जमानत नहीं मिलने पर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। सुप्रीम करो्ट ने 11 नवंबर को अंतरिम जमानत दे दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को उस मामले में विस्तार से आदेश पारित किया है।
हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट…