*कोरोना महामारी में सरकार का दोहरा मापदंड,*
*लगन के सीजन में अमीरों पर रहम और गरीबों पर सितम*
*सुल्तानपुर।* कहते हैं सरकार की नजर में हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई गरीब और अमीर सब एक समान होते हैं। लेकिन योगी सरकार में अमीर और गरीब के बीच में बहुत गहरी खाई बना दी गयी है।कोरोना महामारी में सरकार की ओर से शादी ब्याह के लिए जो कानून बनाए गए हैं, उसमें किसी भी कार्यक्रम में सिर्फ 50 व्यक्तियों के शामिल होने की अनुमति शासन प्रशासन की ओर से दी जा रही है।लेकिन योगी सरकार के अफसर अमीरों पर रहम कर रहे हैं और गरीबों पर सितम। शादी विवाह के लिए जब कोई गरीब जिलाधिकारी कार्यालय अनुमति के लिए जाता है तो उसे मात्र 50 व्यक्तियों की अनुमति दी जाती है, और जब कोई सांसद विधायक नेता या बहुत बड़े व्यापारी का करीबी अनुमति लेने पहुंचता है तो कागज में तो उसे 50 व्यक्ति की ही अनुमति दी जाती है।लेकिन शादी में शामिल होने के लिए, जब शादी का इंतजाम शहर के प्रतिष्ठित मैरिज हॉल में होता है तो उसमें व्यक्तियों की संख्या 50 से कहीं अधिक होती है। प्रशासन सब कुछ देख कर भी आंखें मूंद लेता है।जिमेदार कोई कार्रवाई नहीं करते है।गरीब के कार्यक्रम में 50 से अगर 51 व्यक्ति शामिल हो जाते हैं तो जिला प्रशासन के कर्मचारी कार्यवाही के लिए पहुंच जाते हैं। शहर के जलसा मैरिज हॉल में एक बड़े व्यक्ति की शादी का कार्यक्रम था। उस शादी में करीब 500 लोगों ने शिरकत की। उन सभी को कोरोना महामारी से बचने के लिए कोई अमीर पर जुर्माना नहीं किया गया। शादी विवाह में काम करने वाले गरीब लोगों का कहना है कि इस महामारी से बचने के लिए सरकार सिर्फ गरीबों को ही परेशान कर रही है। अमीरों पर कोई रोक टोक नहीं है।अमीर को तो प्रशासन से अनुमति लेने की भी जरूरत नहीं पड़ती है। गरीब अनुमति लेने के बाद भी ठीक ढंग से डर की वजह से शादी का कार्यक्रम नहीं कर पा रहा है। जलसा मैरिज हाल में हो रही शादी का वीडियो यह बयां करता है कि अमीरों को करोना महामारी का कोई खौफ नहीं है। जिला प्रशासन भी अमीरों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करता दिख रहा है।