*विशेष विवाह कानून के तहत शादी की अनुमति के लिए*
*अदालत पहुंचा समलैंगिक जोड़ा*
*नई दिल्ली, 08 अक्टूबर।* एक समलैंगिक जोड़े ने दिल्ली उच्च न्यायालय का रुख कर विशेष विवाह अधिनियम के तहत उन्हें शादी करने की अनुमति देने की मांग की है। उन्होंने अपनी याचिका में कहा है कि वे आठ साल से दंपति की तरह साथ रह रही हैं, एक-दूसरे से प्यार करती हैं, साथ मिलकर जीवन में उतार-चढ़ाव का सामना कर रही हैं, लेकिन विवाह नहीं कर सकतीं, क्योंकि दोनों महिला हैं। इसी तरह की याचिका एक समलैंगिक पुरुष जोड़े ने भी दायर की है। दोनों ने अमेरिका में विवाह किया था लेकिन समलैंगिक होने के कारण भारतीय वाणिज्य दूतावास ने विदेशी विवाह अधिनियम, 1969 के तहत उनकी शादी का पंजीकरण नहीं किया। दोनों याचिकाएं सुनवाई के लिए न्यायमूर्ति नवीन चावला की पीठ के समक्ष सुनवाई के लिये आयीं, जिन्होंने रजिस्ट्री से दोनों अर्जियों को मुख्य न्यायाधीश की पीठ के समक्ष सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया। गौरतलब है कि दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल समलैंगिक विवाह को हिन्दू विवाह अधिनियम और विशेष विवाह अधिनियम के तहत वैध घोषित करने का अनुरोध करने वाली एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहे हैं। याचिकाकर्ताओं का पक्ष अदालत में वरिष्ठ अधिवक्ता मेनका गुरुस्वामी और अधिवक्ता अरुंधति काटजू, गोविंद मनोहरण और सुरभि ने रखा। याचिका दायर करने वाली दोनों महिलाओं (47 और 36 वर्ष की) का कहना है कि सामान्य विवाहित जोड़े के लिए जो बातें सरल होती हैं, जैसे… संयुक्त बैंक खाता खुलवाना, परिवार स्वास्थ्य बीमा लेना आदि, उन्हें इसके लिए भी संघर्ष करना पड़ता है। दोनों ने अपनी याचिका में कहा है, ‘‘विवाह सिर्फ दो लोगों के बीच बनने वाला संबंध नहीं है, यह दो परिवारों को साथ लाता है। इससे कई अधिकार भी मिलते हैं। विवाह के बगैर याचिका दायर करने वाले कानून की नजर में अनजान लोग हैं। भारत के संविधान का अनुच्छेद 21 अपनी पसंद के व्यक्ति से विवाह करने के अधिकार की रक्षा करता है और यह अधिकार विषम-लिंगी जोड़ों की तरह ही समलैंगिक जोड़ों पर भी पूरी तरह लागू होता है।’’ दोनों ने अनुरोध किया है कि समलैंगिक विवाह को मान्यता नहीं देने वाले विशेष विवाह अधिनियम के प्रावधानों को असंवैधानिक घोषित कर दिया जाए। उन्होंने यह भी अनुरोध किया है कि अदालत यह घोषणा करे कि विशेष विवाह अधिनियम के प्रावधान सभी जोड़ों पर लागू होते हैं, चाहे उनकी लैंगिक पहचान और सेक्सुअल ओरिएंटेशन कुछ भी हो और वह कालकाजी के उप संभागीय मजिस्ट्रेट को कानून के तहत उनका विवाह पंजीकृत करने का आदेश दे। कालकाजी के उपसंभागीय मजिस्ट्रेट दिल्ली के दक्षिण पूर्वी जिला के विवाह अधिकारी भी हैं।