*लखनऊ में पंडित राम प्रसाद बिस्मिल विचार मंच द्वारा*
*ब्राम्हण समाज दशा और दिशा विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया*
*लखनऊ/उत्तर प्रदेश:-* पंडित राम प्रसाद बिस्मिल विचार मंच के तत्वाधान में ब्राह्मण समाज दशा और दिशा विषय पर संगोष्ठी का आयोजन हुआ संगोष्ठी का संचालन विचार मंच की तरफ से रीना त्रिपाठी ने किया।इस अवसर पर समाज के विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े हुए विद्वान ब्राह्मण जनो ने अपने विचार रखे।समाज की युवा पीढ़ी संस्कार मय हो, *अराजनीतिक संगठनात्मक* रूप से ब्राह्मण समाज की स्थिति, संगठन, ब्राह्मण सशक्तिकरण के प्रयासों पर, आरक्षण इत्यादि विषय पर विचार विमर्श हुआ।
संगोष्ठी में मुख्य वक्ता शैलेंद्र दुबे ने बताया कि हमें ब्राह्मणों के अराजनीतिक स्वरूप को बनाना होगा, ब्राह्मण ने हमेशा समाज को दिशा प्रदान की है परंतु आज ब्राह्मण समाज ही दिशाहीन होता जा रहा है ,इसी कारण उसकी दशा समाज में निश्चित नहीं हो पा रही है। ब्राह्मण ने सदैव देश में चाणक्य की भूमिका निभाई है आज ब्राह्मण को चाणक्य की भूमिका से अलग कर दिया गया है या अलग हो गया है ऐसे में जब देश में चाणक्य नहीं है तो चंद्रगुप्त भी नहीं है चाणक्य के अभाव में चंद्र गुप्त विहीन देश की देश की दशा और दिशा भी सही नहीं हो सकती है अतः चाणक्य की भूमिका में ब्राह्मण को अपने को पुनः स्थापित करना होगा और इसके लिए उसे अपने चाणक्यत्व को प्रदर्शित करना होगा
मीटिंग में विचार मंच के पदाधिकारियों ने सवर्णों को 10% आरक्षण देकर अनारक्षित 50% की सीमा खोलने का विरोध किया। तथा अनारक्षित 40% अब अन्य जातियों को लगातार आरक्षण देने की प्रक्रिया गलत बताया।
संगोष्ठी में कई वक्ताओं ने विचार रखें की कभी आरक्षण के नाम पर तथा कभी अन्य दमनकारी नीतियों के नाम पर ब्राह्मणों का शोषण हो रहा है । इतिहास के विभिन्न काल खंडों में ब्राह्मण भारतीय राजनीतिक में नीति निर्माता की की भूमिका में सम्मानजनक स्थिति प्राप्त करता रहा है, उसे आज उसकी भूमिका से हटाने का षड्यंत्र कारी प्रयास किया जा रहा है। राजनीति में व्याप्त भ्रष्टाचार, अनाचार ,विखंडन कारी नीति से देश में ब्राह्मण समाज की अस्मिता खतरे में है ।
ब्राह्मण समाज ने आदि काल से महत्वपूर्ण निर्णयों में अपनी अहम भूमिका निभाते हुए समाज को नेतृत्व प्रदान किया है परंतु आज की सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक परिस्थितियां ऐसी होती जा रही है कि ब्राह्मण अपना अस्तित्व खोने को विवश हो रहा है.
पंडित राम प्रसाद बिस्मिल विचार मंच से जुड़े हुए कौशल्या उपाध्याय, डा.नीना शर्मा ,सीमा द्विवेदी ,अजय द्विवेदी ,डॉ. ममता शुक्ला, हरेंद्र नाथ पांडे, अजय दत्त शर्मा ,अशोक त्रिवेदी ,हरेंद्र पांडे ,इं. एच एन मिश्रा, रविंद्र कुमार शर्मा, वीरेंद्र मिश्रा, श्रीकांत त्रिपाठी ,अमित कुमार पांडे ,रजनीश चतुर्वेदी, रामनारायण उपाध्याय, शिव प्रकाश दीक्षित,ज्ञानेंद्र त्रिपाठी ,धनंजय द्विवेदी ,डॉक्टर दीपक चंद्र शर्मा, शांतनु दीक्षित, अनुराग सारस्वत ,विनय भारद्वाज, रामनारायण उपाध्याय, राकेश पांडे, मृत्युंजय तिवारी ,अमित कुमार पांडे इत्यादि ब्राह्मणों ने हिस्सा लिया।
संगोष्ठी में अजय दत्त शर्मा ने नव युवकों से गलत को गलत कहने का साहस लाने का आवाहन किया तो वही इं.हरेंद्र नाथ पांडे ने स्पष्ट रणनीति बनाते हुए ब्राह्मण उत्थान तथा समाज में ब्राह्मण की भूमिका पर मनन करने को कहा वही अजय द्विवेदी ने कहा कि हमें समय पर ब्राह्मण समाज के दोहन के लिए बनने वाले कानूनों का विरोध करना होगा। वही नीना शर्मा ने बताया कि ब्राह्मण को ऐसी योजनाओं को बनाना होगा जिसमें उनके बच्चों को और युवाओं को ब्राह्मण संस्कारों से अवगत कराया जा सके, वही सीमा द्विवेदी ने ब्राह्मण को अहंकार और आत्मविश्वास से बचने की सलाह दी, और ममता शुक्ला ने संगठनों के माध्यम से ब्राह्मणों को ज्यादा से ज्यादा सहयोग देने का आश्वासन लिया। वही ज्ञानेंद्र त्रिपाठी ने कहा कि इस समय ब्राह्मण समाज को आत्मविश्लेषण की जरूरत है ।विनय भारद्वाज ने मांग रखी कि हम सब को एकजुट होकर कर्मचारियों को भी सक्रिय राजनीति में भाग लेने की छूट दिलानी होगी । डाक्टर राकेश पांडे ने बताया कि ब्राह्मण सभी जातियों के निशाने पर है ब्राह्मणों पर सभी जातियों को शिक्षा से वंचित करने का आरोप समय-समय पर दूसरी जातियों द्वारा लगाया जाता रहा है जबकि यह गलत है ब्राह्मण हमेशा से ही वेद पाठ, ज्योतिष विद्या तथा महान विद्याओं के लेखन पठन पाठन में व्यस्त था उसने कभी किसी समाज के दमन के लिए रणनीति नहीं बनाई है।
रीना त्रिपाठी ने कहा कि जिसने आदिकाल से देश और समाज को दिशा प्रदान की है परंतु आज वही ब्राह्मण समाज ही दिशाहीन होता जा रहा है इसी कारण आज ब्राह्मण समाज को एकजुट होकर अपनी भूमिका का आत्म मनन और आत्म विश्लेषण करने की जरूरत है। यदि वास्तव में 21वीं शताब्दी के भारत को विश्व की महाशक्ति बनाना है तो हमें आरक्षण रूपी वैशाखी को छोड़ना होगा, कभी 10% आरक्षण के नाम पर ब्राह्मणों को जो अफीम दी गई है उसे बाहर निकलना होगा और यह अच्छी तरह समझना होगा कि अब आपको 50% से घटाकर 10% में सीमित किया जा रहा है.
इस प्रकार विभिन्न शोषणकारी नीतियों का जो कि सवर्णों विशेषकर ब्राह्मणों के पतन के लिए बनाई जा रही है हमें सब एकजुट होकर उन पर मंथन करना होगा तथा एक विचार और एक सोच विकसित करके एक स्पष्ट दिशा में मिलकर दमकारी संयंत्र पूर्ण नीतियों का विरोध करना होगा.
समाज में ब्राह्मण समाज के वंचित और पिछड़े हुए साथियों की मदद के लिए हम सब को आगे आना होगा युवाओं को जो कि किसी कारणवश टेक्निकल शिक्षा नहीं ले पा रहे हैं उन्हें इसे प्रोत्साहित करना होगा.
ब्राह्मण समाज को अपने परिवार अपने बच्चों को संस्कारों की मंत्रों की वेदों की शिक्षा देनी होगी यदि मुस्लिम अपने बच्चों को जो औरत भी पढ़ा सकता है तो हम अपने बच्चों को 24 घंटे में आधे घंटे संस्कृत और मंत्रों का उच्चारण करना क्यों नहीं सिखा सकते.
आज समय आ गया है कि विभिन्न संगठनों के माध्यम से बिखरे हुए ब्राह्मणों को ब्राह्मण समाज के नाम पर एक होना होगा तथा ब्राह्मणों के अहित में बनने वाली नीतियों का विरोध करते हुए समाज में अपनी दशा और दिशा का निर्धारण करना ही होगा।
संगोष्ठी में बात निकल कर सामने आई कि देश मेरिट के आधार पर चलेगा या जातिगत आरक्षण के आधार पर.. 21वीं शताब्दी की महाशक्ति आरक्षण की वैशाखी से बनेगा या नौजवानों की काबिलियत और मेरिट के आधार पर ,यह सोचने की बात है। ब्राह्मण समाज को यदि अपनी भूमिका वर्तमान राजनीति में तय करनी है या अपनी स्थिति का अवलोकन करना है तो क्या यह संभव है देश और प्रदेश के प्रमुख पद ब्राह्मण को दिए जाए।
आज हम सबको मिलकर मनन करना होगा जिस दिन चाणक्य की भूमिका हम से छिन जाती है उस दिन चंद्रगुप्त भी हमारे हाथ से निकल जाते हैं चंद्रगुप्त कोई और होता है और चाणक्य अवहेलना का शिकार होता है यदि हम चाणक्य की भूमिका में हैं तो अपना चाणक्य तो हमें प्रमाणित करना होगा।
रीना त्रिपाठी ने बताया कि पंडित राम प्रसाद बिस्मिल विचार मंच के माध्यम से हम ब्राह्मण समाज से जुड़ी हुई विभिन्न समस्याओं तथा उन सभी विषयों की खुलकर चर्चा करेंगे जो उसके उत्थान के लिए सहायक हैं।
*हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट*