कोरोना के इलाज और जांच के नाम पर हो रहे हैं बड़े-बड़े खेल…..!

कोरोना के इलाज और जांच के नाम पर हो रहे हैं बड़े-बड़े खेल…..!

श्याम बाबू: न सैंपल न कोई जांच, बता दिया पाॅजिटिव 👆   

सिपाही का न सैंपल लिया गया, न कोई जांच हुई बता दिया पाॅजिटिव…

रिटायर्ड बुजुर्ग की जगह दूसरे युवक का शव दे दिया, अंतिम संस्कार के समय खुला राज…

लखनऊ/कन्नौज। वैश्विक आपदा कोरोना से निपटने हेतु जहां सरकार की ओर से तमाम उपाय किए गए हैं। मुख्यमंत्री से लेकर अनेक मंत्री व पूरा सरकारी अमला दिन रात जुटा हुआ है वहीं कोरोना की दहशत की आड़ में कुछ प्राइवेट अस्पताल वाले ऐसे भी हैं जो मरीजों की जेब पर डाका डाल रहे हैं तो मरीजों के उत्पीड़न में कुछ सरकारी कर्मचारी व डाक्टर भी पीछे नहीं हैं। कहीं फर्जी रिपोर्ट थमा दी जा रही है तो कहीं एक ही मरीज की दो जगह से जांच कराने पर अलग-अलग रिपोर्ट भी आ रहीं हैं। एक में मरीज को निगेटिव तो दूसरे में पाॅजिटिव बताया जा रहा है। राजधानी लखनऊ में पिछले दिनों पीजीआई जैसे सबसे बड़े अस्पताल में भी फर्जी रिपोर्ट के आधार पर मरीज को भर्ती कराए जाने के खेल का भंडाफोड़ हुआ था।
ताजा मामला भी लखनऊ का है जहां कोरोना से बुजुर्ग रिटायर्ड रेलकर्मी यतींद्र कुमार तिवारी की मृत्यु होने के बाद जब कल उसके शव को अंतिम संस्कार के लिए भैंसाकुंड शमशान घाट ले जाया गया। वहां मृतक के पुत्र महेंद्र के आखिरी समय पिता का एक बार चेहरा देखने की काफी मिन्नते करने के बाद जब मृतक का चेहरा उसे दिखाया गया तो वह ये देखकर दंग रह गया कि उक्त शव उसके बुजुर्ग पिता का न होकर किसी युवक का था। तीन घंटे के बाद प्राइवेट अस्पताल वालों ने शव की पैकिंग के दौरान लापरवाही होने की गलती मानी। पहले जिस व्यक्ति के शव को यतींद्र कुमार तिवारी का बताकर अंतिम संस्कार की तैयारी थी वह गोंडा के बाबूलाल का निकला।
ऐसी ही एक बेहद लापरवाही का मामला कन्नौज से भी सामने आया है, जहां किसी प्राइवेट अस्पताल के कर्मचारियों ने नहीं बल्कि जिला अस्पताल के ही डाक्टरों ने ही वह कारनामा कर दिखाया कि एक कांस्टेबल की जान सांसत में पड़ गई, इस आरक्षी का सैंपल तक नहीं लिया गया और जांच के नाम पर खाली पर्चा भराकर ही पाॅजिटिव घोषित कर दिया गया। कन्नौज पुलिस लाइन में तैनात कांस्टेबल श्याम बाबू 29 जुलाई को फतेहपुर गया था, वहां से 4 अगस्त को लौटने पर वह सीधा जिला अस्पताल कोरोना की जांच के लिए गया। अस्पताल में डाक्टरों ने उससे फार्म/पर्चा भरवाकर उसे एक पर्ची देकर बाद में आने को कहा। श्याम बाबू इसी बीच छुट्टी लेकर फतेहपुर चला गया, जहां 7 अगस्त को कन्नौज के जिला अस्पताल से डाक्टर का फोन आया कि उसकी रिपोर्ट पाॅजिटिव आई। यह सुनकर सिपाही श्याम बाबू हैरत में पड़ गया कि जब न तो उसका सैंपल लिया गया न ही कोई जांच हुई तो रिपोर्ट पाॅजिटिव कैसे आ गई ?
मजे की बात यह है कि श्याम बाबू के अनुसार दिन भर में अलग-अलग जिला अस्पताल के कई डाक्टरों व खुद सीएमओ ने फोन कर उसे कोरोना पाॅजिटिव होने की जानकारी दी। परेशान सिपाही श्याम बाबू ने छुट्टी से 12 अगस्त को कन्नौज लौटकर मामले की जानकारी अपने अधिकारियों व सीएमओ आफिस में दी। अब यह जांच हो रही है कि जब सिपाही का सैंपल ही नहीं लिया गया तो उसे पाॅजिटिव कैसे बता दिया गया। (17 अगस्त 2020)

विशेष संवाददाता विजय आनंद वर्मा की रिपोर्ट, , ,