अंतर्राष्ट्रीय साइबर क्राइम गिरोह के चार जालसाज गिरफ्तार…

अंतर्राष्ट्रीय साइबर क्राइम गिरोह के चार जालसाज गिरफ्तार…

  शातिर जालसाज नाइजीरिया निवासी गोड्स टाईम उर्फ सन्डे 👆                                                        तरुन यादव जो महिला से बन गया पुरुष 👆

जालसाज जसपाल 👆

गैंग में ज्यादातर अपराधी नाइजीरिया के, करोड़ों की धोखाधड़ी का खुलासा…

  जालसाज आसिफ 👆

अंतर्राष्ट्रीय ठगों को गिरफ्तार करने वाली पुलिस टीम 👆

बीमा पाॅलिसियों के नाम पर आगरा निवासी से 95 लाख की धोखाधड़ी…

लखनऊ/आगरा। विभिन्न सरकारी संस्थानों की वेबसाइट एवं फेसबुक फ्रेंड बनाकर तथा इंश्योरेंस पॉलिसी चालू रखने के नाम पर करोड़ों की धोखाधड़ी करने वाले अंतरराष्ट्रीय साइबर क्राइम गिरोह के एक विदेशी अभियुक्त सहित चार जालसाजों को आगरा पुलिस ने गिरफ्तार करने में सफलता हासिल की है। गैंग से जुड़े ज्यादातर अपराधी नाइजीरिया से भारत में अपराध करके करोड़ों की धनराशि अपने देश भेज चुके हैं। आगरा परिक्षेत्र के आईजी ए. सतीश गणेश द्वारा मामले को गंभीरता से लिए जाने के बाद गठित की गई विशेष टीम ने इस फर्जीवाड़े का खुलासा किया है।
पुलिस के अनुसार आगरा के शाहगंज निवासी प्रताप सिंह चाहर के पास वर्ष 2015 में एक अज्ञात व्यक्ति ने अपना परिचय इंश्योरेंश अधिकारी के रूप में देते हुए उन्हे तमाम प्रलोभन देकर कई बीमा कंपनियों भारतीय हैक्सा, फ्यूचर जनरली, सिग्ना टीटीके, एचडीएफसी, एक्साइड, टाटा एआईए एवं रिलायंस नियो जैसी बड़ी कंपनियों की लगभग 30 लाख रूपये की बीमा पाॅलिसी करा दी एवं सभी के पाॅलिसी बाॅड इनके घर के पते पर रजिस्टर्ड डाक से भेज दिये गये। यह सारा कार्य मोबाइल फोन के माध्यम से एवं आनलाईन किया गया। मार्च 2017 में प्रताप सिंह के पास जगदीश नेगी और राजीव शुक्ला नाम के दो व्यक्तियों के फोन आए, जिन्होने अपना परिचय मुंबई क्राइम ब्रांच के अधिकारी के रूप में देते हुए कहा कि उन्होने जो पाॅलिसी कराई हैं वह सभी फर्जी हैं और इस गैंग को मुंबई क्राइम ब्रांच ने गिरफ्तार कर लिया है। उनके द्वारा यह भी बताया गया कि आवेदक की सभी बीमा पाॅलिसियों का पैसा उन्हे वापस करा दिया जायेगा। बीमा पाॅलिसियों की मौजूदा वैल्यू कई करोड़ की बताते हुए रकम वापस दिलाने के नाम पर विभिन्न खातों में उनसे 95 लाख रूपए अलग-अलग तिथियों में जमा करा लिये गये। इसके बाद उन लोगों द्वारा प्रताप सिंह चाहर का नम्बर ब्लाॅक कर दिया। प्रताप सिंह को जब अपने साथ धोखाधड़ी होने का एहसास हुआ तो उन्होने आगरा के साइबर क्राइम थाने पर शिकायत दर्ज कराई।
उपरोक्त घटना की गंभीरता को देखते हुए आगरा परिक्षेत्र के आईजी ए. सतीश गणेश ने मामले की जांच के लिए सहायक पुलिस अधीक्षक/ क्षेत्राधिकारी साइबर थाना सौरभ दीक्षित के पर्यवेक्षण में टीम का गठन किया। पुलिस ने प्रताप सिंह चाहर के साथ घटित घटना से संबंधित तकनीकी पक्षों एवं उपलब्ध विवरणों के आधार पर जांच की तो पता चला कि गैंग में विदेशों के भी अपराधी सम्मलित हैं। गैंग के एक विदेशी एवं तीन भारतीय साइबर अपराधियों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया।
ठगी के 50 करोड़ से अधिक भेज दिए नाइजीरिया…
पकड़े गये अपराधियों में नाइजीरिया का गुडसटाइम संडे उर्फ बेन्शन जो यहां गुरुग्राम के मानेसर रोड, सेक्टर-82/83 में रह रहा था, के अलावा गाजियाबाद निवासी तरून यादव, संभल निवासी आसिफ एवं जसपाल शामिल हैं।अपराधियों के कब्जे से 3 लैपटाॅप, पीओएस स्वैप मशीन, 2 दर्जन मोबाइल फोन, विभिन्न बैंको की 75 पासबुक, 40 एटीएम कार्ड, 2 दर्जन चेक बुक, 3 इंटरनेट डिवाइस, 2 हाईपाॅवर हार्डडिस्क एवं अभियुक्त तरून यादव के अलग-अलग नाम के 14 आईडी प्रूफ व सैकड़ों खाता धारकों के विवरण वाली एक डायरी हुई। बरामद लैपटाॅप में अपराध से संबंधित विभिन्न प्रकार के साफ्टवेयर व डाटाबेस माजूद हैं, जिनका विश्लेषण साइबर टीम द्वारा किया जा रहा है। गैंग का सरगना जाॅन स्टेनले नाम का व्यक्ति है, जो अपने अन्य सहयोगियों डिक्सन उर्फ स्माॅल टू एवं वीटा इनलाॅ निवासीगण नाइजीरिया के साथ गैंग संचालित करता है, गैंग विभिन्न प्रकार के साइबर अपराध करता रहा है। गैंग राजकीय संस्थानों की वेबसाइट बनाकर गूगल पर अपलोट कर वेबसाइट पर विजिट करने वाले व्यक्तियों का ई-मेल एवं फोन नम्बर प्राप्त कर उनसे संपर्क करता है एवं इंश्योरेंस की पाॅलिसी को दोबारा चालू कराने एवं कई गुना वृद्धि का मुनाफा का लालच देकर विभिन्न खातों में अलग-अलग बहाने बनाकर कमीशन एवं गारंटी आदि के नाम पर मोटी रकम जमा कराकर धोखाधड़ी करता है। गिरफ्तार अभियुक्त संडे के कब्जे से बरामद लैपटाॅप के निरीक्षण से पाया गया है कि यह गैंग फेसबुक एवं अन्य सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर अपने आप को इंग्लैण्ड एवं अमेरिका में बसी भारतीय महिला व लड़की बताते हुए लोगों से संपर्क करता है, कुछ समय पश्चात विश्वास जीतकर उन्हे मंहगे तोहफे भेजने की बात करता है। गैंग के लोग कस्टम अधिकारी आदि बनकर उक्त व्यक्ति को फोन करते हैं एवं कस्टम क्लिीयरेन्स के नाम पर बड़ी धनराशि विभिन्न बैंक खातों में जमा करा लेते।
ठगी के लिए किराए पर लेते थे बैंक खाते. . . . .
इसके अलावा यह गैंग सोशल मीडिया के माध्यम से आम व्यक्तियों को बड़ी लाॅटरी निकलाने का प्रलोभन देते हैं एवं लाॅटरी निकलने से संबंधित पम्पलेट एवं लिफलेट भेज कर विश्वास दिला देते हैं। विश्वास होने पर लाॅटरी के कमीशन एवं टैक्स के नाम पर मोटी रकम विभिन्न बैंक खातों में जमा कराकर धोखाधड़ी करते हैं। यह गैंग जिन बैंक खातों का प्रयोग धोखाधड़ी हेतु करता है उनमें से अधिकांश खाते कूटरचित अभिलेखों के आधार पर खुलवाये होते हैं, साथ ही यह गैंग बड़ी संख्या में आम व्यक्तियों के बैंक खाते एक मुश्त रकम का भुगतान कर खरीद लेता है एवं उन खातों का प्रयोग अपराध में करता है, इसके अतिरिक्त यह गैंग कमीशन के आधार पर भी बैंक खाते किराये पर लेता है एवं उनमें धोखाधड़ी की रकम जमा करवाता है।
गैंग सरगना लेता था ठगी गई रकम का 75% …..
यह गैंग अब तक कई सौ करोड़ रूपए की धोखाधड़ी कर चुका है। संडे के लैपटाॅप में विदेशों को भेजी गई रकम के जो विवरण उपलब्ध है उसके अनुसार यह लगभग 50 करोड़ रूपए भारतीय मुद्रा के बराबर रकम अपने देश को भेज चुका है। जिस व्यक्ति का खाता अपराध में प्रयोग किया जाता है उसको ठगी की रकम का 8 प्रतिशत हिस्सा दिया जाता है। अभियुक्त जसपाल अपने बैंक खाते के प्रयोग के लिए 8 प्रतिशत हिस्सा लेता था। तरून यादव, जसपाल और संडे के मध्यम की कड़ी है। तरून यादव 7 प्रतिशत हिस्सा लेता था, जबकि संडे उर्फ बेन्सन को 10 प्रतिशत हिस्सा मिलता शेष 75 प्रतिशत रकम जाॅन स्टेनले डिक्सन एवं वीटा के माध्यम से अपने पास मंगा लेता। गैंग के किसी व्यक्ति को यह नहीं पता था कि स्टेनले कहाँ रहता है, वह विदेश के नम्बरों पर व्हाट्सएप काॅल के माध्यम से वेन्सन को मैसेज देकर मिलने का समय और स्थान बताता था। निर्धारित जगह पर वेन्सन उर्फ संडे धोखाधड़ी की 75 प्रतिशत धनराशि बैग में रखकर चला आता, वेन्सन और स्टेनले की कभी मुलाकात नहीं हुई। तरून यादव इससे पहले नाइजीरिया के फ्रांसिस और स्टाइलिस नाम के अपराधियों के साथ काम करता था।
स्तन निकलवा कर तरुन बन गया पुरुष…..
अभियुक्त तरून यादव से पूछताछ में जो जानकरियां मिली वह काफी चैकाने वाली हैं। तरून यादव मूलतः स्त्री है, काफी समय तक यह स्त्री के रूप में फ्रासिंस और स्टाइलिस के लिए बैंक खातों का प्रबंध कराता रहा। बाद में इसने अपने स्तन आॅपरेशन करवाकर निकलवा दिये तथा क्रतिम पुरूष अंग लगाने लगा। इसी दौरान इसने चाँदनी नाम लड़की से विवाह किया एवं आईवीएफ के द्वारा एक लड़के को जन्म दिया।
अपराधियों की गिरफ्तारी में साइबर थाने के निरीक्षक शैलेश कुमार सिंह, एसआई चेतन भारद्वाज, मोहित वर्मा, आशीष मलिक, एएसआई (एम) विशाल वर्मा, हेड काॅस्टेबल इंद्रदेव, सिपाही सुशील कुमार, जितेन्द्र कुमार, नवीन प्रताप सिंह, पुष्पेन्द्र कुमार, साइबर क्राइम यूनिट आगरा परिक्षेत्र की प्रुमुख भूमिका रही एवं सिपाही रवि मिश्रा, प्रवेश कुमार शर्मा, शैलेन्द्र कुमार, शुभम व ड्राइवर संजेश कुमार साइबर थाना आगरा भी टीम में शामिल रहे। आईजी ए. सतीश गणेश ने पुलिस टीम को पुरस्कार करने की घोषणा की है। (13 अगस्त 2020)

विशेष संवाददाता विजय आनंद वर्मा की रिपोर्ट, , ,