अपराधी के आगे कानून नतमस्तक- मानसी गंगा मुखारविन्द मन्दिर घोटाले में अभी तक एसआईटी की जाँच क्यो नही?…
ये हैं रमाकांत गोस्वामी…नाम तो सुना ही होगा, अब कारनामे भी सुन लीजिए…
मानसी गंगा, मुकुट मुखारबिंद मंदिर, रमाकांत गोस्वामी पर लगे करोड़ो ₹ गबन के आरोप जब भी घोटालों की बात आती है तो केंद्र सरकार राज्य सरकार भी निशाना सादती है जैसे चारा घोटाले में लालू प्रसाद जिन पर चारा घोटाला साबित होते ही उन पर कानूनी कार्यवाही हुई पर Up के मुखिया आदित्यनाथ योगी जी तेजतर्रार होने के बाद भी रमाकांत गोस्वामी लोग उनकी निगाह से दूर है 20 सितम्बर 2019 को मुख्यमंत्री जी से संम्मान पाकर ओर बड़े बड़े न्याययिको की शिला पट्टिका मन्दिर पर लगा दिखाई देना इस बात का सबूत देती है कि इनकी उच्च राजनीतिक पहुँच होने के कारण इनका बाल भी बांका कोई नही कर सकता रमाकान्त जैसे लोग सुर्खियों में आते हैं।
चूंकि इनका उदय ही किसी दुरभि संधि के तहत होता है इसलिए आसानी से इनका बाल बांका नहीं हो पाता।
यही कारण है कि गोवर्धन स्थित मुकुट मुखारबिंद मंदिर में करोड़ों रुपए की हेराफेरी करने का आरोप होने के बावजूद रिसीवर रमाकांत गोस्वामी खुली हवा में सांस ले रहे हैं और यथासंभव सबूतों से भी छेड़छाड़ कर रहे हैं।
रमाकांत गोस्वामी के कारनामों की जानकारी देने के लिए 13 मई 2018 को इंपीरियल पब्लिक फाउंडेशन नामक एनजीओ ने बाकायदा एक प्रेस कांफ्रेंस करके बताया कि अपर सिविल जज प्रथम मथुरा के आदेश से गोवर्धन स्थित मुकुट मुखारबिंद मंदिर के रिसीवर नियुक्त किए गए रमाकांत गोस्वामी ने अपने अधिकारों का दुरुपयोग कर करोड़ों रुपए की संपत्ति हड़पी है।
एनजीओ के चेयरमैन रजत नारायण के अनुसार रमाकांत गोस्वामी का कारनामा ठीक उसी तरह का है जिस तरह का कारनामा करने पर कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा के पति रॉबर्ट वाड्रा आज तमाम जांच एजेंसियों के चक्कर काट रहे हैं।
इंपीरियल पब्लिक फाउंडेशन द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति में बताया गया कि वर्ष 2010 में रमाकांत गोस्वामी ने न्यायालय के समक्ष इस आशय का एक प्रस्ताव रखा कि मुकुट मुखारबिंद मंदिर का प्रबंधतंत्र मंदिर के पैसों से एक अस्पताल बनवाना चाहता है।
रमाकांत गोस्वामी का यह प्रस्ताव न्यायालय के पीठासीन अधिकारी को इतना पसंद आया कि उन्होंने न सिर्फ मंदिर के पैसों से अस्पताल बनवाने का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया बल्कि रिसीवर रमाकांत गोस्वामी को ही उसके लिए आवश्यक जमीन खरीदने के अधिकार भी सौंप दिए।
रमाकांत गोस्वामी यही तो चाहते थे इसलिए उन्होंने तत्काल एक जमीन का इकरार नामा पहले तो अपने खास मित्रों के नाम मात्र 40 लाख रुपयों में करवाया और फिर मात्र 4 महीने बाद उसी जमीन को उसके असली मालिक से 2 करोड़ 30 लाख रुपए में मंदिर के नाम खरीद लिया।
कारनामे को अंजाम तक पहुंचाने के लिए रमाकांत गोस्वामी ने अपने मित्रों को द्वितीय पक्ष दिखा दिया जबकि जमीन के असली मालिक को प्रथम पक्ष बताया।
इस तरह सिर्फ चार महीने के अंतराल में मंदिर को बड़ी चालाकी के साथ करीब एक करोड़ 90 लाख रुपए का चूना लगा दिया गया।
रमाकांत गोस्वामी यहीं नहीं रुके, इसके बाद उन्होंने मंदिर को विस्तार देने की आड़ में 5 अगस्त 2011 को अपने मित्रों से ‘खास महल’ नामक एक संपत्ति 2 करोड़ 70 लाख रुपयों में खरीदी।
वर्ष 2011 में अपनी साजिश सफल हो जाने पर रिसीवर रमाकांत गोस्वामी के हौसले बुलंद हो गए अत: उन्होंने वर्ष 2014-15 में फिर मंदिर की ढाई करोड़ रुपयों से अधिक की धनराशि का गबन किया।
इसी प्रकार वर्ष 2015-16 में पौने चार करोड़ का, 16-17 में पौने छ: करोड़ रुपयों का घोटाला किया गया।
इतना सब हो जाने पर भी कोई कार्यवाही होते न देख इंपीरियल पब्लिक फाउंडेशन ने 05 जून 2018 को तहसील दिवस में एक शिकायती पत्र दिया, जिसके बाद जिलाधिकारी ने समस्त प्रकरण की जांच एसडीएम गोवर्धन के हवाले कर दी।
इंपीरियल पब्लिक फाउंडेशन के अध्यक्ष ने बताया कि उसके बाद से लेकर अब तक वह इस संबंध में डीएम मथुरा को सात पत्र और लिख चुके हैं किंतु फिलहाल कोई नतीजा सामने नहीं आया।
हां, इतना जरूर हुआ कि एनजीओ के अध्यक्ष रजत नारायण ने गत दो दिन पूर्व जब डीएम से मुलाकात की तो उन्होंने रजत नारायण को अवगत कराया कि एनजीओ द्वारा रमाकांत गोस्वामी पर लगाए गए सभी आरोप एसडीएम की जांच में प्रथम दृष्टया सही पाये गए हैं।
गौरतलब है कि इन्हीं घोटालों की शिकायत इंपीरियल पब्लिक फाउंडेशन ने एनजीटी में भी की थी, जिसके बाद एनजीटी ने एसआईटी का गठन कर जांच कराने के आदेश दिए थे।
इससे पहले दसविसा (गोवर्धन) निवासी राधारमन और प्रभुदयाल शर्मा ने मंदिर के रिसीवर रमाकांत गोस्वामी पर ठेकेदारों की मिलीभगत से करोड़ों रुपए की हेराफेरी करने का आरोप लगाया था।
इन आरोपों की जांच भी एसडीएम गोवर्धन नागेन्द्र कुमार सिंह द्वारा की गई और उन्होंने प्रथम दृष्ट्या रिसीवर रमाकांत गोस्वामी पर लगाए गए आरोपों को सही पाया।
गुरूपूर्णिमा पर दिया गया विज्ञापन भी चर्चा में
इस बीच गुरूपूर्णिमा पर रमाकांत गोस्वामी द्वारा आगरा से प्रकाशित एक प्रमुख अखबार को मुकुट मुखारबिंद मंदिर के रिसीवर की हैसियत से पूरे पन्ने का मुखपृष्ठ कलर विज्ञापन देना भी चर्चित है।
उस विज्ञापन की चर्चा के पीछे रमाकांत गोस्वामी की हैसियत है। लोग पूछ रहे हैं कि आखिर उस विज्ञापन का भुगतान अखबार को किस मद से किया गया।
बताया जाता है कि मंदिर के लिए निर्धारित न्यायिक व्यवस्था के अनुसार रिसीवर को मात्र 50 हजार रुपए खर्च करने का अधिकार है। इससे ऊपर के सभी खर्चों के लिए न्यायालय की इजाजत लेना जरूरी है।
इन हालातों में सवाल यह उठ रहे हैं कि रमाकांत गोस्वामी ने रिसीवर की हैसियत से लाखों रुपए का विज्ञापन कैसे छपवा दिया, और उसका भुगतान किस तरह किया।
रमाकांत गोस्वामी का इस विषय में कहना है कि उन्होंने तो अखबार को विज्ञापन के एवज में मात्र 5 हजार रुपए का भुगतान किया है।
ज्यादा पूछने पर वह यह भी कहते हैं कि उनका अपना अखबार पर कुछ बकाया चला आ रहा था।
रमाकांत गोस्वामी का अखबार पर कैसा बकाया हो सकता है और उसे अखबार के मालिकान विज्ञापन की धनराशि में क्यों एडजस्ट करेंगे, यह बात रमाकांत गोस्वामी के अलावा शायद ही किसी अन्य को हजम होगी।
शायद इसीलिए रमाकांत गोस्वामी यह कहकर पल्ला झाड़ लेते हैं कि अखबार ने कैसे इतना बड़ा विज्ञापन 5 हजार रुपए में छापा, यह अखबार ही बता सकता है। मैंने तो 05 हजार रुपए का ही भुगतान किया है।
जांच और लूट साथ-साथ जारी
इस पूरे घटनाक्रम का सबसे रोचक पहलू यह है कि एक ओर जहां इंपीरियल पब्लिक फाउंडेशन की शिकायत और एनजीटी के आदेश-निर्देशों पर रमाकांत गोस्वामी के खिलाफ जांच चल रही है वहीं रमाकांत गोस्वामी रिसीवर की हैसियत से न सिर्फ लगातार अधिकारों का अतिक्रमण कर रहे हैं बल्कि मंदिर की धनराशि का मनमाना इस्तेमाल भी कर रहे हैं जो एक और किसी बड़े घोटाले की साजिश का हिस्सा हो सकता है।
हालांकि इंपीरियल पब्लिक फाउंडेशन के अध्यक्ष रजत नारायण का कहना है कि वह सारे सबूतों के साथ केंद्रीय सतर्कता आयोग भी गए थे किंतु वहां से बताया गया कि उसके द्वारा केवल केंद्रीय कर्मचारियों से जुड़े मामलों का संज्ञान लिया जा सकता है। निजी संस्थाओं का संज्ञान वह नहीं ले सकता। इसके बावजूद रजत नारायण निराश नहीं हैं। वो कहते हैं कि हमारी संस्था लगातार इस भ्रष्टाचार को सक्षम अधिकारियों के समक्ष उठाती रहेगी जिससे रमाकांत को अविलंब हिरासत में लेकर कठोर कार्यवाही की जा सके और जल्द से जल्द मुकुट मुखारबिंद मंदिर की संपत्ति को लूटने का सिलसिला बंद हो। मन्दिर में हो रहे फूल बंगला,मन्दिर में लोकडाउन्न में चल रहा नया पत्थर तुड़वाकर दूसरे पत्थर को लगवाने के कार्य जो कि दसविसा ब्राह्मण में चर्चा का माहौल हो गया है अब देखना ये होगा कि Up में क्या ये भृष्टाचारी को सजा मिल पाएगी या नही या ऐसे ही उच्च राजनीतिक पहुँच होने पर इनका वाल बाँका नही कर सकता कोई। एसआईटी की जांच तक नही हुई अभी तक देखते है अपराधियो को कब तक पालेगी योगी सरकार।।
पत्रकार अमित गोस्वामी की रिपोर्ट…