उत्तर प्रदेश की राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने आज राजभवन से चन्द्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, कानपुर द्वारा विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर आयोजित ‘जलवायु परिवर्तन एवं कृषि वानिकी-प्रभाव…
लखनऊ 5 जून। उत्तर प्रदेश की राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने आज राजभवन से चन्द्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, कानपुर द्वारा विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर आयोजित ‘जलवायु परिवर्तन एवं कृषि वानिकी-प्रभाव, निहितार्थ एवं रणनीतियां’ विषयक राष्ट्रीय वेबिनार को संबोधित करते हुए कहा कि प्राकृतिक संतुलन बनाये रखने के लिये हम सभी को जमीन, जल, जंगल और जानवरों के प्रति संवेदनशीलता एवं संतुलन बनाये रखना होगा। उन्होंने कहा कि अनियोजित विकास और मानव की लालची प्रवृत्ति ने जिस प्रकार प्रकृति का शोषण एवं दोहन किया है, उसी छेड़छाड़ का ही नतीजा कोरोना जैसी महामारी विश्व के सामने है।
श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने कहा कि पर्यावरण की समस्या आज पूरे विश्व के लिये चिन्ता का विषय बनी हुई है। इस समस्या से न केवल मानव जीवन प्रभावित हो रहा है, बल्कि यह पशु-पक्षियों, जीव-जन्तुओं, पेड़-पौधों, वनस्पतियों, वनों, जंगलों, पहाड़ों, नदियों सभी के अस्तित्व के लिये घातक सिद्ध हो रही है। राज्यपाल ने कहा कि जीवन पर्यावरण से अलग नहीं है। पर्यावरण और जीवन एक-दूसरे पर आश्रित होते हैं। शुद्ध पर्यावरण के लिये पेड़-पौधों, पशु-पक्षियों एवं जीव-जन्तुओं का होना अत्यन्त आवश्यक है। उन्होंने कहा कि वृक्ष मानव के स्वास्थ्य का सबसे बड़ा रक्षा कवच है। वृक्ष के आसपास रहने से जीवन में मानसिक संतुलन और संतुष्टि मिलती है।
राज्यपाल ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने इस वर्ष विश्व पर्यावरण दिवस पर ‘जैव विविधता’ की थीम दी है, जो आज के परिप्रेक्ष्य में विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। राज्यपाल ने कहा कि हमारी जैव विविधता जितनी समृद्ध होगी उतना ही सुव्यवस्थित और संतुलित हमारा वातावरण होगा। अलग-अलग प्रकार के पशु-पक्षी, जीव-जन्तु और पेड़-पौधे ही मिलकर मनुष्य की मूलभूत जरूरतों को पूरा करने में सहायता करते हैं। उन्होंने कहा कि हम सभी को इन सभी के प्रति स्नेह और कृतज्ञता का भाव रखना चाहिए। उन्हांेेने कहा कि लाॅकडाउन के दौरान नदियों के जल एवं वायुमण्डल में आश्चर्यजनक परिवर्तन देखने को मिला।
श्रीमती पटेल ने कहा कि कोरोना संक्रमण काल ने मानव के समक्ष विकराल चुनौतियों को उत्पन्न किया है। इन सभी चुनौतियों पर सामूहिक संकल्प से शीघ्र ही विजय पायी जा सकती है। यदि मानव सभ्यता को बचाना है तो वर्तमान कृषि प्रणाली में कृषि वानिकी, उद्यानिकी, पशुपालन, मत्स्य पालन सभी को अपनी खेती में बराबर का स्थान देना होगा।
इससे पहले प्रदेश के कृषि मंत्री श्री सूर्य प्रताप शाही ने वेबिनार को सम्बोधित करते हुए कहा कि सृष्टि की रचना के समय से मानव जीवन का पर्यावरण से घनिष्ठ संबंध रहा है। पृथ्वी से लेकर अंतरिक्ष तक शान्ति की प्रार्थना की गयी है। प्रकृति के अति दोहन के कारण ही सभी मानव एवं जीव-जन्तु प्रभावित हुए हैं। जीवन शैली में परिवर्तन लाकर हम पर्यावरण को बचा सकते हैं। उन्होंने कहा कि लाॅकडाउन के काल में उन पशु-पक्षियों का कलरव फिर से सुनने को मिले, जो बरसों से सुनाई नहीं देते थे। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक संसाधनों का अंधाधुंध दोहन न करें तथा पर्यावरण संरक्षण के लिए अधिक से अधिक वृक्षारोपण करें। उन्होंने कहा कि हमें रासायनिक खादों का प्रयोग कम करके प्राकृतिक एवं जैविक खेती पर विशेष ध्यान देना चाहिए।
वेबिनार में चन्द्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, कानुपर के कुलपति डाॅ0 डी0आर0 सिंह, विभिन्न संस्थानों के निदेशक, कृषि वैज्ञानिक, शोधार्थी और छात्र-छात्राएं भी आॅनलाइन जुड़े हुए थे।
“हिंद वतन समाचार” की रिपोर्ट…