बंदी होने से वित्तविहीन मान्यता प्राप्त प्राइवेट विद्यालयों के ऊपर भारी संकट प्रबंधकों का बिगड़ा बजट लक्ष्मी नारायण यादव…

बंदी होने से वित्तविहीन मान्यता प्राप्त प्राइवेट विद्यालयों के ऊपर भारी संकट प्रबंधकों का बिगड़ा बजट लक्ष्मी नारायण यादव…

काम बंद कमाई बंद बढ़ गया संकट फीस न मिलने से वित्तविहीन प्राइवेट विद्यालयों के ऊपर बोझ, तमाम छोटे विद्यालय बंद होने की कगार पर…

कोरोना की लड़ाई से देश का प्रत्येक नागरिक लड़ रहा है लेकिन इस कोरोना काल मे हुए लाॅकडाउन के दौरान बंदी के समय की स्कूल फीस अचानक से बोझ बन गई है। हालांकि इस बोझ से बड़े आदमियो पर या यूँ कहूँ तो सरकारी तन्ख्वाह पर काम करने वालो पर कोई खास असर नही दिखाई दे रहा क्योकि इस दौरान भी उनको तन्ख्वाह मिलने के कारण उनकी दैनिक दिन चर्या सामान है लेकिन प्राइवेट जाॅब करने वाले विद्यालय प्रबंधक या विद्यालय में शिक्षण का कार्य करने वाले शिक्षकों के लिए यह एक बहुत बड़ा संकट का समय दिख रहा है। लाॅकडाउन के दौरान फुटकर धंधा करने वाले वा प्राइवेट नौकरी करने वाले लोगो की कमाई एकदम बंद हो गई जिसके कारण वह इस दौरान पिछले कई महीनों की फीस पहले से ही नहीं मिली थी इसी बीच यह संकट की घड़ी आ खड़ी हुई।इस संकट की घड़ी मे अधिकतर जगहो पर प्राइवेट नौकरी करने वाले लोगो को तन्ख्वाह तक नही दे पा रहे हैं प्राइवेट विद्यालय के प्रबंधक क्योंकि उसका मुख्य कारण विद्यालय में पहले से ही फीस न जमा होना तथा इसके बाद बंदी हो जाना, प्राइवेट बस से विद्यालय किराए पर चल रहे हैं जिनका फीस ना मिलने से पिछला ही किराया नहीं दे पाए हैं।घर खर्च चलाना हो यह सब उतना आसान नही है जितना कि समझा जा रहा है। क्योकि पिछले कई महीने की फीस बकाया होना क्योंकि ग्रामीण स्तर पर विद्यालयों में अभिभावक समय से फीस नहीं देते हैं इसलिए फीस अधिक बकाया हो जाती है।

अब समझने वाली बात यह है कि बात पढ़ाई से मतलब है केवल सरकार को बित्तविहीन प्राइवेट विद्यालयों को देखने से मतलब है।के की फीस माफ की जाए फीस ना वसूली जाए गरीब परिवार के बच्चो के घर बैठने का नम्बर आ गया क्योंकि गांव देहात के वित्तविहीन प्राइवेट विद्यालय ही ग्रामीण अंचलों में बच्चों को कम खर्च पर अच्छी शिक्षा देते हैं। जिससे ग्रामीण स्तर के भी बच्चों को भी अच्छी शिक्षा मिलती है। क्योंकि प्राइवेट विद्यालय प्रबंधकों के पास इतनी ओवर आय नहीं होती है। जिससे विद्यालय का खर्च वाहन कर सकें। सरकार सभी लोगों को सहायता प्रदान करती है लेकिन वित्तविहीन प्राइवेट विद्यालय के शिक्षकों के लिए कुछ नहीं सोचती है जो समाज को शिक्षित और जागरूक करते हैं जब के वितरण प्राइवेट विद्यालयों के शिक्षकों के लिए भी कुछ सहयोग करने की आवश्यकता है

उन्होंने मांग की कि एक वित्तविहीन मान्यता प्राप्त प्राईवेट विद्यालय अपने छोटे से स्तर पर बहुत से अध्यापक एवं अन्य कर्मचारियों का जीविकोपार्जन कराता है जो इस समय बहुत ही गंभीर परिस्थितियों से गुजर रहा है और केंद्र सरकार अथवा राज्य सरकार द्वारा वित्तविहीन शिक्षकों के लिए जो बजट पेश हुआ उसमें उनके लिए कुछ भी नहीं दिया है ऐसे में उनका जीवन यापन करना बहुत ही दुर्गम दिखाई देता है। सरकार को मान्यता प्राप्त स्कूल के प्राइवेट शिक्षकों के लिए कोई अलग से आर्थिक सहायता प्रदान कर उनके जीविकोपार्जन कराने में सहायता प्रदान करें।

पत्रकार कैलाश नाथ राना की रिपोर्ट…